इतिहास

August 7, 2020
जनसामान्य में यह धारणा घर कर गयी है कि मुसलमान मूलतः और स्वभावतः अलगाववादी हैं और उनके कारण ही भारत विभाजित हुआ. सच यह है कि मुसलमानों ने हिन्दुओं के साथ कन्धा से कन्धा मिलाकर आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लिया और पूरी निष्ठा से भारत की साँझा विरासत और संस्कृति को पोषित किया. विभाजन का मुख्य कारण था अंग्रेजों की ‘बांटो और राज करो’ की नीति और देश को बांटने में हिन्दू और मुस्लिम...
July 25, 2020
आगामी पांच अगस्त को उस स्थान पर राम मंदिर का निर्माण शुरू किया जाना प्रस्तावित है जहाँ एक समय बाबरी मस्जिद हुआ करती थी. इसी बीच, इस मुद्दे पर दो विवाद उठ खड़े हुए हैं. पहला यह कि कुछ बौद्ध संगठनों ने दावा किया है कि मंदिर के निर्माण के लिए ज़मीन का समतलीकरण किये जाने के दौरान वहां एक बौद्ध विहार के अवशेष मिले हैं, जिससे ऐसा लगता है उस स्थल पर मूलतः कोई बौद्ध इमारत थी. दूसरे, नेपाल के प्रधानमंत्री...
July 3, 2020
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने दुनिया के सबसे बड़े जनांदोलन का नेतृत्व किया था. यह जनांदोलन ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध था. गांधीजी के जनांदोलन ने हमें अन्यायी सत्ता के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए दो महत्वपूर्ण औज़ार दिए - अहिंसा और सत्याग्रह. उन्होंने हमें यह सिखाया कि नीतियां बनाते समय हमें समाज की आखिरी पंक्ति के अंतिम व्यक्ति का ख्याल रखना चाहिए. जिन विचारों के आधार पर उन्होंने अपने आंदोलनों...
May 12, 2020
विश्व इतिहास की पहली साम्राज्यवादी शक्ति अंग्रेज नहीं थे। इतिहास साम्राज्यों की दास्तानों से भरा पड़ा है। हम सब पुर्तगाली, रोमन, फ्रांसीसी, उस्मानियाई, जर्मन इत्यादि साम्राज्यों की रक्त रंजित दास्तानों से बखूबी परिचित हैं, लेकिन यह भी सत्य है कि अंग्रेज साम्राज्य एक विशिष्ट स्थान रखता है। यह साम्राज्य ज्यादा व्यापक स्थायी और निरंतरता लिये था। अंग्रेज़ी  साम्राज्य के ज्यादा टिकाऊ होने का सबसे...
May 7, 2020
आज पूरे विश्व में वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा मनाई जा रही है। इस अवसर पर सभी को शुभकामनाएं। बुद्ध ने दुनिया को न केवल वैज्ञानिक चिंतन सिखाया अपितु करुणा और मैत्री को अपनी विचार धारा का मुख्य बिंदु बनाकर दुनिया में बदलाव की एक नीव रखी। बुद्ध के सम्पूर्ण दर्शन के केंद्र में मानव कल्याण की भावना है और यही बात उन्हें अपने समय से पहले और बाद के 'विचारको' से अलग करती है. उन्होंने कभी स्वयं...
January 31, 2020
क्या आपको मालूम है कि गाँधीजी को मारने की पांच विफल कोशिशों के बाद, छठी बार में हत्या की गई। उन्हें मारने की पहली कोशिश 1934 में हुई थी। वे कौन थे जिन्हें गांधीजी से इतनी नफरत थी? किसकी संकीर्ण, खूनी विचारधारा में गांधीजी जैसे महानुभाव की कोई जगह नहीं थी? और वे कौन हैं जो अब इतिहास को बदल कर अपनी काली करतूत को हमेशा के लिए मिटाना चाहते हैं? धार्मिक कट्टरवाद के खिलाफ एक लम्बे...
January 28, 2020
“आज एक तरफ हम महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहे हैं दूसरी तरफ इसी समय में वो सब किया जा रहा है जिसकी मुखालफत महात्मा गांधी जीवन भर करते रहे, उनकी शारीरिक हत्या 30 जनवरी, 1948 को कर दी गयी थी अब उनके आत्मा की हत्या नागरिकता संशोधन कानून जैसे बदलाओं और इसके समर्थन में उन्हें मिस्कोट करके किया जा रहा है”. उपरोक्त बातें राज्यसभा सांसद एवं मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा...
January 27, 2020
कहानी एकदम हिंदुस्तान की तरह दिलचस्प है. कुछ सदी पहले की बात है. गुजरात के मोरबी में एक जातीय समुदाय है मोड मोदी. इसके एक परिवार में कोई औलाद नहीं थी. उनके बच्चे तो होते थे, लेकिन वे जिंदा नहीं बचते थे. यहीं पर एक पीर हुआ करते थे हजरत दवलशा पीर. परिवार ने पीर की दरगाह में बच्चे के लिए दुआ मांगी. दुआ कबूल हो गई और परिवार में 7 बच्चे हुए. इसके पीछे मेडिकल साइंस भले तर्क दे कि बच्चे पीर की...
January 25, 2020
आज नेता और पार्टी कार्यकर्ता, क्षेत्रीय पदाधिकारी के बीच आत्मीयता घट रही है, दूरी बढ़ रही है, संवाद ज़िंदाबाद-मुर्दाबाद के आगे बढ़ नहीं पाता। बहुत कम नेता अपनी प्रकृति में लोकतांत्रिक रह गए हैं जो बराबरी के सखा-भाव से कार्यकर्ताओं और नागरिकों से पेश आए जैसा कर्पूरी जी किया करते थे। पिछड़ों-दबे-कुचलों के उन्नायक, बिहार के शिक्षा मंत्री, एक बार उपमुख्यमंत्री (5.3.67 से 31.1.68) और दो बार...
January 22, 2020
1946 में जब आज़ादी की लड़ाई चरम सीमा पर थी और देश के कोने कोने में लाखों की भीड़ सड़क पर डंडे गोली खा रही थी, उसी समय राष्ट्रीय सेवा संघ ने अपने तीन प्रचारकों को चुपके से असम भेज दिया। उनका काम था सरसंघचालक गोलवलकर के विचारों का प्रचार करना। क्या था गोलवलकर का पैगाम? यही कि "राष्ट्र पांच तत्वों पर आधारित है - भूगोल, जाति, धर्म, संस्कृति, और भाषा; मुसलमान हमलावरों के आने के पहले ऐसा ही हिन्दू...