ईप्सा शताक्षी को कविता संग्रह ‘इश्क और संघर्ष’ के लिए ‘कृत्या युवा पुरस्कार’

Written by sabrang india | Published on: December 31, 2025
अधिकांश कवि वही लिखता है, जो वह देखता है, सोचता है और कभी-कभी अनुभूत भी करता है। ईप्सा वह लिख रही हैं, जो वे स्वयं भोग रही हैं, जिससे वे जूझ रही हैं—यानी यहां कवि और उसके व्यक्तित्व में कोई दुराव नहीं है।



ईप्सा शताक्षी को उनके कविता संग्रह ‘इश्क और संघर्ष’ के लिए ‘कृत्या युवा पुरस्कार–2026’ से सम्मानित किया जाएगा। यह पुरस्कार उन्हें 15 जनवरी 2026 को प्रदान किया जाएगा। ‘कृत्या युवा पुरस्कार’ समिति ने इसकी घोषणा की है।

ईप्सा शताक्षी के कविता संग्रह के पहले पृष्ठ पर लिखा है—
“संघर्ष की राह पर चलने वाले और एक-दूसरे का हौसला बनने वाले साथियों को समर्पित।”

अधिकांश कवि वही लिखता है, जो वह देखता है, सोचता है और कभी-कभी अनुभूत भी करता है।

ईप्सा वह लिख रही हैं, जो वे भोग रही हैं, जिससे वे जूझ रही हैं—अर्थात यहां कवि और उसके व्यक्तित्व में कोई दुराव नहीं है। उनका संघर्ष उनकी जिंदगी का संघर्ष है। जब वे कहती हैं कि—

“ऐसी रोशनी का हम क्या करें,
जो रोशन करे सिर्फ एक घर को।
हमें तो चाहिए वे दीये,
जो रोशन करें मानवता को।”

ईप्सा की कविताओं में सादगी भरा कथन है, सीधे गहराई तक जाने वाली बात है और चिंता है तो संपूर्ण मानवता की। यहां शैली को तीखे तेवरों में नहीं बांधा गया है, लेकिन भीतर तक वार करने वाली एक तीव्रता मौजूद है।

यहां वे प्रेम की खैरियत मांगकर, दुआ करके ही चुप नहीं रहतीं, बल्कि वे सलामती के लिए प्रयासरत भी हैं।

वे प्रेमी के सपनों में खोना नहीं चाहतीं, बल्कि उसके सपनों को जीना चाहती हैं।

वे प्रतिरोध कर रही हैं तो एकदम सटकर खड़े होकर—निर्भीक, लेकिन शाइस्ता शब्दों में।

सच तो यह है कि ईप्सा की कविता नितांत व्यक्तिगत नहीं है, न ही केवल अपनी वेदना से उपजी है, बल्कि वह दबे-कुचले उस समस्त वर्ग की आवाज़ है, जिनका खड़ा होना मानवता के पक्ष में गिना जाएगा। यही ईप्सा का इश्क है, यही उनकी आज़ादी—जो कविता के मार्ग से इश्क की सुंदरता को दर्शाती है।

वे देख भी रही हैं और समझ भी रही हैं—
कि कैसे उनके हिस्से का
चांद, सूरज, तारे, फूल, खुशबू
सब कुछ मुट्ठियों में मसला जा रहा है,
और उन्हें भी अब
बंद करनी है अपनी मुट्ठियां
और हवा में तानकर
लेना है प्रण
कि अपने संघर्ष से छीन लेना है
अपनी धरती, अपना सूरज,
फूलों का खिलना,
पंछियों की चहचहाहट…

और आज़ाद कर लेना है, अपना इश्क—
“इश्क की सुंदरता।”

इस संग्रह को स्वीकार करने का एक अन्य कारण यह भी है कि प्रायः यह समझा जाता है कि स्त्री कविता में संघर्ष, चेतना और सामाजिक विद्रोह की कमी होती है, और उसकी दुनिया केवल अपने आसपास घूमती है। हालांकि ईप्सा भोगा हुआ सत्य लिख रही हैं, लेकिन उनका यह सत्य क्रांति की राह पर चलता है।

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