सिंह ने जुलाई में प्रशिक्षण सत्र का उद्घाटन करते हुए इन संस्थानों में रामचरितमानस का पाठ करने का निर्देश दिया था और कहा था कि इससे उनमें अनुशासन आएगा। इसको लेकर विपक्षी कांग्रेस ने कड़ी आलोचना करते हुए इसे पुलिसकर्मियों में हिंदुत्व की विचारधारा भरने का प्रयास बताया।

साभार : आज तक
रामचरितमानस के बाद मध्य प्रदेश पुलिस प्रशिक्षण शाखा ने शुक्रवार को अपने सभी केंद्रों को निर्देश दिया कि प्रशिक्षण ले रहे कर्मियों के लिए भगवद् गीता पाठ सत्र आयोजित करें, क्योंकि इससे उन्हें "धार्मिक" जीवन जीने में मदद मिलेगी।
रेडिफ की रिपोर्ट के अनुसार, यह निर्देश अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (प्रशिक्षण) राजा बाबू सिंह ने राज्य के सभी आठ प्रशिक्षण विद्यालयों के अधीक्षकों को जारी किया है। इन प्रशिक्षण केंद्रों में लगभग 4,000 युवक-युवतियां जुलाई से नौ महीने का कांस्टेबल प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
सिंह ने जुलाई में प्रशिक्षण सत्र का उद्घाटन करते हुए इन संस्थानों में रामचरितमानस का पाठ करने का निर्देश दिया था और कहा था कि इससे उनमें अनुशासन आएगा। रामचरितमानस में भगवान राम के गुणों और उनके 14 वर्ष के वनवास का वर्णन है।
1994 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी सिंह ने प्रशिक्षण विद्यालय निदेशकों से कहा कि यदि संभव हो तो भगवान कृष्ण के पवित्र महीने (अगहन कृष्ण) के दौरान भगवद् गीता के कम से कम एक अध्याय का पाठ शुरू किया जाए। उन्होंने निर्देश दिया कि यह प्रशिक्षुओं के दैनिक ध्यान सत्र से ठीक पहले किया जा सकता है।
एडीजी ने प्रशिक्षण विद्यालयों को दिए अपने संदेश में कहा, "भगवद् गीता हमारा शाश्वत धर्मग्रंथ है। इसका नियमित पाठ निश्चित रूप से हमारे प्रशिक्षुओं को एक धार्मिक जीवन जीने के लिए प्रेरित करेगा और उनका जीवन बेहतर होगा।"
2019 में ग्वालियर रेंज के पुलिस प्रमुख के रूप में कार्यरत रहते हुए, अधिकारी ने इसी तरह का एक अभियान शुरू किया था और कई स्थानीय जेल कैदियों और अन्य लोगों को भगवद् गीता की प्रतियां बांटी थीं।
विपक्षी कांग्रेस ने शुक्रवार को इस कदम की कड़ी आलोचना करते हुए इसे पुलिसकर्मियों में हिंदुत्व की विचारधारा भरने का प्रयास बताया।
कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि हर किसी को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार है और प्रशिक्षुओं को भगवद् गीता का पाठ कराने का निर्देश पुलिस बल को कट्टरपंथी बनाने जैसा है।
द लल्लनटॉप की रिपोर्ट के अनुसार, भोपाल में पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में नए सिपाहियों की ट्रेनिंग चल रही है।इनमें करीब 4000 युवक-युवतियां कॉन्स्टेबल पद के लिए 9 महीने का प्रशिक्षण ले रहे हैं। जमकर मेहनत हो रही है। परेड हो रही है। फिजिकल ट्रेनिंग में जमकर पसीना बहाया जा रहा है। इंडिया टुडे से जुड़े रवीशपाल सिंह की रिपोर्ट के मुताबिक, ये सब होने के बाद सारे सिपाही एक जगह बैठते हैं। पीला कुर्ता पहने एक व्यक्ति उन्हें भगवद्गीता के श्लोक और उनके अर्थ पढ़कर सुनाता है।
हालांकि मुस्लिम संगठन एडीजी साहब की बात से इत्तेफाक नहीं रखते। इस आदेश पर ऐतराज जताते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम त्योहार कमेटी के संयोजक शमसुल हसन ने कहा कि अगर पुलिस ट्रेनिंग में गीता पढ़ाया जा सकता है तो कुरान, बाइबल और गुरुग्रंथ साहिब भी क्यों न पढ़ाया जाए? तभी तो सही मायने में सर्वधर्म संवाद की मिसाल पेश की जा सकेगी।
ज्ञात हो कि राजाबाबू सिंह वही आईपीएस अफसर हैं, जिन्होंने बीते दिनों कॉन्स्टेबल ट्रेनिंग के दौरान रंगरूटों को रामचरितमानस पढ़ने की भी सलाह दी थी।
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रामचरितमानस के बाद मध्य प्रदेश पुलिस प्रशिक्षण शाखा ने शुक्रवार को अपने सभी केंद्रों को निर्देश दिया कि प्रशिक्षण ले रहे कर्मियों के लिए भगवद् गीता पाठ सत्र आयोजित करें, क्योंकि इससे उन्हें "धार्मिक" जीवन जीने में मदद मिलेगी।
रेडिफ की रिपोर्ट के अनुसार, यह निर्देश अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (प्रशिक्षण) राजा बाबू सिंह ने राज्य के सभी आठ प्रशिक्षण विद्यालयों के अधीक्षकों को जारी किया है। इन प्रशिक्षण केंद्रों में लगभग 4,000 युवक-युवतियां जुलाई से नौ महीने का कांस्टेबल प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
सिंह ने जुलाई में प्रशिक्षण सत्र का उद्घाटन करते हुए इन संस्थानों में रामचरितमानस का पाठ करने का निर्देश दिया था और कहा था कि इससे उनमें अनुशासन आएगा। रामचरितमानस में भगवान राम के गुणों और उनके 14 वर्ष के वनवास का वर्णन है।
1994 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी सिंह ने प्रशिक्षण विद्यालय निदेशकों से कहा कि यदि संभव हो तो भगवान कृष्ण के पवित्र महीने (अगहन कृष्ण) के दौरान भगवद् गीता के कम से कम एक अध्याय का पाठ शुरू किया जाए। उन्होंने निर्देश दिया कि यह प्रशिक्षुओं के दैनिक ध्यान सत्र से ठीक पहले किया जा सकता है।
एडीजी ने प्रशिक्षण विद्यालयों को दिए अपने संदेश में कहा, "भगवद् गीता हमारा शाश्वत धर्मग्रंथ है। इसका नियमित पाठ निश्चित रूप से हमारे प्रशिक्षुओं को एक धार्मिक जीवन जीने के लिए प्रेरित करेगा और उनका जीवन बेहतर होगा।"
2019 में ग्वालियर रेंज के पुलिस प्रमुख के रूप में कार्यरत रहते हुए, अधिकारी ने इसी तरह का एक अभियान शुरू किया था और कई स्थानीय जेल कैदियों और अन्य लोगों को भगवद् गीता की प्रतियां बांटी थीं।
विपक्षी कांग्रेस ने शुक्रवार को इस कदम की कड़ी आलोचना करते हुए इसे पुलिसकर्मियों में हिंदुत्व की विचारधारा भरने का प्रयास बताया।
कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि हर किसी को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार है और प्रशिक्षुओं को भगवद् गीता का पाठ कराने का निर्देश पुलिस बल को कट्टरपंथी बनाने जैसा है।
द लल्लनटॉप की रिपोर्ट के अनुसार, भोपाल में पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में नए सिपाहियों की ट्रेनिंग चल रही है।इनमें करीब 4000 युवक-युवतियां कॉन्स्टेबल पद के लिए 9 महीने का प्रशिक्षण ले रहे हैं। जमकर मेहनत हो रही है। परेड हो रही है। फिजिकल ट्रेनिंग में जमकर पसीना बहाया जा रहा है। इंडिया टुडे से जुड़े रवीशपाल सिंह की रिपोर्ट के मुताबिक, ये सब होने के बाद सारे सिपाही एक जगह बैठते हैं। पीला कुर्ता पहने एक व्यक्ति उन्हें भगवद्गीता के श्लोक और उनके अर्थ पढ़कर सुनाता है।
हालांकि मुस्लिम संगठन एडीजी साहब की बात से इत्तेफाक नहीं रखते। इस आदेश पर ऐतराज जताते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम त्योहार कमेटी के संयोजक शमसुल हसन ने कहा कि अगर पुलिस ट्रेनिंग में गीता पढ़ाया जा सकता है तो कुरान, बाइबल और गुरुग्रंथ साहिब भी क्यों न पढ़ाया जाए? तभी तो सही मायने में सर्वधर्म संवाद की मिसाल पेश की जा सकेगी।
ज्ञात हो कि राजाबाबू सिंह वही आईपीएस अफसर हैं, जिन्होंने बीते दिनों कॉन्स्टेबल ट्रेनिंग के दौरान रंगरूटों को रामचरितमानस पढ़ने की भी सलाह दी थी।
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