राजस्थान: स्कूल में शिक्षक द्वारा नाबालिग छात्र की बेरहमी से पिटाई, SC/ST एक्ट के तहत मामला दर्ज

Written by sabrang india | Published on: October 11, 2025
उस समय हालात बेहद गंभीर हो गए जब शिक्षक ने कथित रूप से देवराम के बाल पकड़कर उसका सिर दीवार से दे मारा, जिससे उसे गंभीर सिर की चोट आई। स्कूल की छुट्टी के बाद जैसे ही देवराम बाहर निकला, उसे चक्कर आने लगे और उल्टियां शुरू हो गईं।



राजस्थान के बालोतरा स्थित गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल में एक गंभीर घटना सामने आई है, जिसमें जाति-आधारित हिंसा और शारीरिक हमले का मामला दर्ज हुआ है। इस घटना में एक नाबालिग छात्र को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है और एक शिक्षक के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज की गई है। शिकायत पीड़ित छात्र के पिता वीरधाराम ने दर्ज कराई, जो 46 वर्षीय मेघवाल समुदाय से संबंधित मजदूर हैं और गिडा के गोगासर गांव के निवासी हैं।

विस्तृत लिखित रिपोर्ट और इसके बाद की पुलिस कार्रवाई के अनुसार, यह दर्दनाक घटना 7 अक्टूबर को हुई। शिकायतकर्ता वीरधाराम के 13 वर्षीय बेटे, देवराम, जो कक्षा 8 का छात्र है, को शिक्षक अनिल बिजारनिया ने बेरहमी से पीटा। अनिल बिजारनिया झुंझुनूं जिले के निवासी बताए गए हैं।

द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, शिकायतकर्ता ने बताया कि उनका बेटा देवराम 8वीं कक्षा में पढ़ता है। मंगलवार को दोपहर करीब 3:45 बजे यह हमला हुआ। उस समय कक्षा में कोई शिक्षक मौजूद नहीं था और बच्चे बरामदे में दौड़ रहे थे। तभी आरोपी शिक्षक पीईईओ अनिल कुमार वहां पहुंचे और बच्चों से पूछा कि कौन दौड़ रहा था। जब अन्य छात्रों ने देवराम का नाम लिया तो शिक्षक ने उसे अनुशासनहीनता के लिए डांटा और फिर चुप कराने के बहाने बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया।

स्थिति तब और बिगड़ गई जब शिक्षक ने कथित रूप से देवराम के बाल पकड़कर उसका सिर दीवार से दे मारा, जिससे उसे गंभीर चोट आई। स्कूल की छुट्टी के बाद जब वह बाहर निकला तो उसे चक्कर आने लगे और उल्टियां शुरू हो गईं। साथी छात्रों ने उसकी मदद की और घर पहुंचाया, जहां से परिजन उसे इलाज के लिए गिडा अस्पताल ले गए। डॉक्टरों ने शुरुआती उपचार के बाद आगे की जांच की सलाह दी है। साथी छात्रों ने भी आरोप लगाया है कि अनिल कुमार अक्सर बिना किसी वजह के छात्रों को मारते हैं और सभी बच्चे उनके व्यवहार से डरे हुए हैं।

लिखित शिकायत मिलने के बाद गिडा पुलिस ने 8 अक्टूबर को एफआईआर दर्ज की। लगाए गए आरोप गंभीर हैं और घटना की संवेदनशीलता को दर्शाते हैं। यह मामला भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की धारा 115(2) (जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाला कृत्य) और धारा 126(2) (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) के तहत दर्ज हुआ है।

महत्वपूर्ण बात यह है कि जाति-आधारित पहलू को ध्यान में रखते हुए पुलिस ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम [SC/ST (PoA) Act] की धाराएं 3(1)(r), 3(1)(s) और 3(2)(va) भी जोड़ी हैं। ये धाराएं अनुसूचित जाति या जनजाति के सदस्य को जानबूझकर अपमानित करने, डराने-धमकाने और उनके खिलाफ अपराध करने पर सजा से संबंधित हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच एक सर्कल ऑफिसर को सौंपी गई है।

शिक्षकों द्वारा छात्रों से दुर्व्यवहार का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई घटनाएं सामने आई हैं।

राजस्थान के ही बाड़मेर जिले में आठ वर्षीय एक दलित बच्चे को कथित रूप से पानी के घड़े को छूने के कारण पीटा गया और उसे पेड़ से उल्टा लटका दिया गया। पुलिस ने मीडिया को बताया कि इस हमले के सिलसिले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया और दो अन्य को हिरासत में लिया गया।

लड़के की मां पुरी देवी ने द ऑब्जर्वर पोस्ट को बताया कि बच्चा शुक्रवार को उनके गांव भाखरपुरा में खेल रहा था, तभी दो लोगों — नरनाराम प्रजापत और डेमाराम प्रजापत — ने उसे बाथरूम साफ करने और कचरा उठाने को कहा। काम पूरा करने के बाद जब बच्चे ने पानी मांगा और उनका घड़ा छू लिया, तो कथित रूप से यह बर्बर हमला हुआ।

पुरी देवी ने कहा, “वे उसे नरनाराम के घर ले गए, एक पेड़ से उल्टा बांध दिया और बेरहमी से पीटते रहे।” उन्होंने बताया कि जब उन्होंने और उनकी सास ने रोकने की कोशिश की तो आरोपी उनके घर में घुस आए और उन पर भी हमला कर दिया।

हमला तब थमा जब लड़के के एक रिश्तेदार ने अपने फोन पर घटना की रिकॉर्डिंग शुरू कर दी।

सर्कल ऑफिसर सुखराम बिश्नोई ने पुष्टि की, “प्राथमिक जांच और मेडिकल रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि लड़के को बेरहमी से पीटा गया और उल्टा लटकाया गया था।”

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