महत्वपूर्ण और परमाणु खनिज खनन को लेकर सार्वजनिक सलाह अब नहीं लेगी सरकार!

Written by sabrang india | Published on: September 10, 2025
आदेश में कहा गया है कि ऐसे सभी परियोजनाओं को संबंधित क्षेत्रीय विशेषज्ञ मूल्यांकन समितियों (sectoral expert appraisal committees) द्वारा “विस्तृत मूल्यांकन” (comprehensive appraisal) के अधीन किया जाएगा, और यह मूल्यांकन परियोजना के आकार की परवाह किए बिना केंद्रीय स्तर पर किया जाएगा।


साभार : इंडियन एक्सप्रेस

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एक नए कार्यालय ज्ञापन (Office Memorandum - OM) में कहा है कि राष्ट्रीय रक्षा, सुरक्षा आवश्यकताओं और रणनीतिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए अब परमाणु, महत्वपूर्ण (critical) और सामरिक (strategic) खनिजों की खनन परियोजनाओं को सार्वजनिक सलाह (public consultations) के दायरे से छूट दी जाएगी।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, यह छूट हाल ही में रक्षा मंत्रालय और परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) द्वारा किए गए अनुरोध के जवाब में दी गई है।

आदेश में कहा गया है कि ऐसे सभी परियोजनाओं को संबंधित क्षेत्रीय विशेषज्ञ मूल्यांकन समितियों (sectoral expert appraisal committees) द्वारा “विस्तृत मूल्यांकन” (comprehensive appraisal) के अधीन किया जाएगा, और यह मूल्यांकन परियोजना के आकार की परवाह किए बिना केंद्रीय स्तर पर किया जाएगा।

मंत्रालय ने इस छूट को पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन (Environment Impact Assessment-EIA) अधिसूचना, 2006 और उसमें किए गए संशोधनों का हवाला देते हुए उचित ठहराया है। इनमें राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा से संबंधित परियोजनाओं, साथ ही अन्य रणनीतिक कारणों वाली परियोजनाओं को सार्वजनिक परामर्श से पहले ही छूट दी गई है।

मंत्रालय ने कहा: “उपरोक्त मामले की इस मंत्रालय द्वारा EIA, 2006 की वर्तमान प्रावधानों के संदर्भ में जांच की गई है, और राष्ट्रीय रक्षा एवं सुरक्षा आवश्यकताओं तथा रणनीतिक दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए, प्रथम अनुसूची (First Schedule) के भाग-बी में अधिसूचित परमाणु खनिजों तथा भाग-डी में अधिसूचित महत्वपूर्ण एवं सामरिक खनिजों की सभी खनन परियोजनाएं सार्वजनिक परामर्श से मुक्त रहेंगी… तथा प्रस्ताव में शामिल लीज़ क्षेत्रफल की परवाह किए बिना इनका मूल्यांकन केंद्रीय स्तर पर किया जाएगा।”

पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन (EIA) अधिसूचना एक प्रमुख सरकारी विनियमन है, जिसका उद्देश्य विकासात्मक और औद्योगिक परियोजनाओं के पर्यावरण, जनस्वास्थ्य और समुदायों पर पड़ने वाले प्रभावों की जांच और मूल्यांकन करना है। इसके तहत, सार्वजनिक परामर्श (Public Consultation) एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसमें प्रभावित समुदायों की चिंताओं को जानने के लिए सार्वजनिक सुनवाई की जाती है और प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रभावित लोगों से लिखित प्रतिक्रियाएं मांगी जाती हैं।

रक्षा मंत्रालय ने 4 अगस्त को पर्यावरण मंत्रालय को भेजे अपने अनुरोध में रेयर अर्थ एलिमेंट्स (Rare Earth Elements) के रक्षा क्षेत्र में महत्व को रेखांकित किया। मंत्रालय ने कहा कि ये तत्व निगरानी और नेविगेशन उपकरणों (जैसे रडार और सोनार), संचार और डिस्प्ले उपकरणों, सशस्त्र वाहनों और टैंकों के माउंटिंग सिस्टम तथा प्रिसिजन-गाइडेड म्यूनिशन्स (precision-guided munitions) के निर्माण में इस्तेमाल होते हैं।

मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि रेयर अर्थ खनिज संसाधन भारत में बेहद सीमित हैं और इनकी आपूर्ति विश्व के कुछ ही क्षेत्रों तक सीमित होने के कारण देश के लिए गंभीर आपूर्ति जोखिम (supply risk) पैदा करती है। इसलिए घरेलू खदानों से रेयर अर्थ एलिमेंट्स की निरंतर आपूर्ति को आवश्यक बताया गया।

पर्यावरण मंत्रालय के कार्यालय ज्ञापन (OM) में कहा गया: “इसके अनुसार, रक्षा मंत्रालय ने अनुरोध किया है कि महत्वपूर्ण (critical) और सामरिक (strategic) खनिजों से संबंधित खनन परियोजनाओं को राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा से संबंधित अथवा अन्य रणनीतिक दृष्टिकोण से जुड़ी परियोजनाएं माना जाए और उन्हें पर्यावरण स्वीकृति (Environmental Clearance) प्रदान करने के लिए सार्वजनिक परामर्श से छूट दी जाए।”

इस बीच, परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) ने 29 अगस्त को एक पत्र में बताया कि मोनाजाइट, जो समुद्र तट की रेत से प्राप्त होता है, उससे निकाला गया थोरियम तृतीय चरण के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम में ईंधन स्रोत के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने कहा कि इन खनिजों, जिनमें यूरेनियम भी शामिल है, के उत्पादन को बढ़ाने की आवश्यकता है, जो समुद्र तट के खनिजों और यूरेनियम के नए भंडारों को सक्रिय करने से संभव हो सकेगा। इसलिए, उन्होंने सार्वजनिक परामर्श से छूट देने की मांग की।

मंत्रालय का यह निर्णय इस वर्ष की अन्य पहलों के अनुरूप है, जिनका उद्देश्य महत्वपूर्ण और सामरिक खनिज परियोजनाओं के त्वरित मूल्यांकन और अनुमोदन को सुनिश्चित करना है। केंद्र सरकार ने पहले ही खनिज मंत्रालय के अनुरोध पर अपने ऑनलाइन क्लियरेंस पोर्टल परिवेश (Parivesh) पर महत्वपूर्ण खनिजों के लिए एक अलग श्रेणी बनाई है। इस महीने की शुरुआत में केंद्र सरकार ने वन (संरक्षण एवं संवर्धन) नियम, 2023 में भी संशोधन किया है, जिसमें महत्वपूर्ण और सामरिक खनिजों के लिए एक श्रेणी बनाने का प्रावधान शामिल किया गया है ताकि ऐसी परियोजनाओं के लिए वन अनुमोदन प्रक्रिया को सुगम बनाया जा सके।

माइनस एंड मिनरल्स (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) संशोधन अधिनियम, 2023 में परमाणु खनिजों तथा महत्वपूर्ण और सामरिक खनिजों की एक सूची दी गई है। केंद्र सरकार ने इन्हें अधिनियम की अनुसूची में शामिल किया है, ताकि इन खनिजों की खोज और खनन को विशेष रूप से बढ़ावा दिया जा सके।

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