JNU की लाइब्रेरी की मेज पर लिखे गए जातिवादी अपशब्द: BAPSA ने दर्ज कराई FIR, भेदभाव के खिलाफ निकाला विरोध मार्च

Written by sabrang india | Published on: August 21, 2025
BAPSA अध्यक्ष अविचल वारके ने जोर देते हुए कहा कि इस तरह की हरकतें केवल अपमानजनक ही नहीं होतीं, बल्कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य हाशिए पर खड़े समुदायों के छात्रों के लिए एक शत्रुतापूर्ण माहौल भी बनाते हैं।


साभार : द मूकनायक

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में डॉ. बी.आर. अम्बेडकर सेंट्रल लाइब्रेरी के जनरल रीडिंग हॉल की एक पढ़ने की मेज पर गहरे अपमानजनक जातिगत और महिला विरोधी गालियों के लिखे जाने के बाद विश्वविद्यालय में निंदा की जा रही है।

द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना, जो 18 अगस्त को सामने आई, को हाशिए पर पड़े समुदायों पर एक स्पष्ट हमला बताया गया है, जिसने पढ़ाई करने और समानता के लिए समर्पित स्थान को नफरत और भेदभाव से दूषित कर दिया है। छात्र आंदोलनकारियों के अनुसार, इन गालियों में दलित समुदाय को निशाना बनाकर अपमानजनक शब्द जैसे "चमा.. C#$d" और "चमा.. की मां की *#$ट" शामिल हैं, जो शिक्षा संस्थानों में व्याप्त ब्राह्मणवादी मानसिकता को दर्शाते हैं।

बहुजन अधिकारों की वकालत करने वाला प्रमुख छात्र संगठन बिरसा अंबेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन (BAPSA) ने इस घटना पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए उसी दिन वसंत कुंज उत्तर थाना में औपचारिक रूप से शिकायत दर्ज करवाई। थाना प्रभारी को संबोधित अपने पत्र में BAPSA ने मांग की कि अज्ञात आरोपियों के खिलाफ अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 और भारतीय दंड संहिता (IPC) की संबंधित धाराओं के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की जाए।

BAPSA ने कैंपस में सौहार्द और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तुरंत कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया, साथ ही जांच में मदद के लिए पुस्तकालय की सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित रखने की मांग भी की। शिकायत करने वाले BAPSA के अध्यक्ष अविचल वारके ने कहा कि ऐसे कृत्य केवल अपमानजनक नहीं हैं, बल्कि SC, ST और अन्य हाशिए के समुदायों के छात्रों के लिए शत्रुतापूर्ण माहौल भी पैदा करते हैं। उन्होंने कहा, "यह कोई अलग-थलग घटना नहीं है, बल्कि यह दलितों, आदिवासियों, ओबीसी और धार्मिक अल्पसंख्यकों पर बीजेपी-आरएसएस शासन द्वारा किया जा रहा एक व्यापक हमला है। ऐसे घटनाएं ब्राह्मणवादी मानसिकता का असली चेहरा उजागर करती हैं - वही मानसिकता जिसने कावेरी हॉस्टल की दीवारों पर 'दलित भारत छोड़ो', 'चमार भारत छोड़ो' जैसे नारे लिखे। BAPSA इन जातिवादी गुंडों के खिलाफ लड़ाई जारी रखेगा और कैंपस के भीतर और बाहर हाशिए पर मौजूद समाज के छात्रों की आवाज को उठाता रहेगा।"

पुलिस शिकायत के अलावा, BAPSA ने JNU के कार्यकारी पुस्तकालय के अध्यक्ष को एक ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें दोषियों के खिलाफ कड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की मांग की गई। संगठन ने केवल औपचारिक अपीलों तक खुद को सीमित नहीं रखा -उन्होंने डॉ. बी.आर. अम्बेडकर सेंट्रल लाइब्रेरी के सामने एक विरोध रैली का आयोजन भी किया, जिसे बहुजन और प्रगतिशील छात्र समुदायों से मजबूत समर्थन मिला। प्रदर्शन की तस्वीरों में देखा गया कि प्रतिभागी एकजुट होकर इकट्ठा हुए, जातिवादी नफरत के खिलाफ नारे लगाए। BAPSA के कार्यकर्ताओं, जिनमें रूपक कुमार और क्रांति प्रमुख रूप से शामिल थे, ने इन जातिवादी गालियों की निंदा करते हुए कहा कि यह घटनाएं दलितों, आदिवासियों, ओबीसी और धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हो रहे सुनियोजित हमलों का हिस्सा हैं। उन्होंने इसे व्यापक सामाजिक और राजनीतिक माहौल से जोड़ते हुए कहा कि ऐसी मानसिकता सिर्फ कैंपस तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण समाज में फैल रही जातिवादी सोच का प्रतिबिंब है।

इस विरोध प्रदर्शन को अन्य छात्र संगठनों का भी समर्थन मिला, जिससे न्याय की मांग और जोरदार हो गई। स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) की JNU इकाई ने प्रदर्शन में शामिल होकर रीडिंग रूम में खुलेआम दिखाए गए जातिवाद की कड़ी निंदा की और प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की। इसी तरह, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (JNUSU) ने भी मुख्य पुस्तकालय अध्यक्ष को अलग से शिकायत सौंपी। उन्होंने लाइब्रेरी में लिखी गई जातिवादी और महिला विरोधी गालियों को लेकर जवाबदेही तय करने की मांग की। JNUSU के संयुक्त सचिव वैभव मीणा ने एक बयान जारी करते हुए कहा, "पुस्तकालय, जो ज्ञान का प्रतीक है, उसे इस तरह की विभाजनकारी पूर्वाग्रहों से दूषित नहीं किया जा सकता।" उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि वे जातिवाद के हर रूप को एकजुट होकर नकारें, ताकि विश्वविद्यालय परिसर समावेशिता और समानता के मूल्यों पर कायम रह सके।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स खासकर एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर इस घटना को लेकर भारी आक्रोश देखने को मिला। यूजर्स ने अपमानजनक शब्दों से भरी पढ़ने की मेज की तस्वीरें साझा कीं और इस घृणित कृत्य की कड़ी निंदा की। कई पोस्टों में इस बात को उजागर किया गया कि डॉ. अम्बेडकर के नाम पर स्थापित पुस्तकालय में ऐसे जातिवादी अपशब्दों का पाया जाना एक विडंबना है। साथ ही, कई यूज़र्स ने इस ओर भी इशारा किया कि दलित मुद्दों के प्रति समाज का रवैया अन्य सामाजिक न्याय से जुड़े मुद्दों की तुलना में कहीं ज्यादा उदासीन रहता है। BAPSA के आधिकारिक एक्स हैंडल से विरोध प्रदर्शन की तस्वीरें, वीडियो और लाइव अपडेट्स साझा किए गए। उसने लिखा, "हम चुप नहीं बैठेंगे।"

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