नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद के समर्थकों ने कथित रूप से दो घंटे से ज्यादा समय तक हंगामा किया। इस दौरान कथित तौर पर भीड़ ने तोड़फोड़, आगजनी, एक दर्जन से अधिक गाड़ियों को नुकसान पहुंचाने और पुलिसकर्मियों पर पथराव करने जैसी घटनाओं को अंजाम दिया।

फोटो साभार : एचटी
उत्तर प्रदेश पुलिस ने आजाद समाज पार्टी के प्रमुख और सांसद चंद्रशेखर आजाद को इसोटा गांव जाने से रोके जाने के बाद हुई झड़प के दौरान तोड़फोड़ के आरोप में प्रयागराज में 67 लोगों को गिरफ्तार किया है और आठ नाबालिगों को हिरासत में लिया है।
मकतूब की रिपोर्ट के अनुसार, यह झड़प उस समय भड़क उठी जब पुलिस ने कथित तौर पर सांसद चंद्रशेखर आजाद को करछना क्षेत्र के इसोटा गांव में जलाकर मार दिए गए एक दलित व्यक्ति देवी शंकर के परिवार से और पड़ोसी कौशांबी जिले में एक बलात्कार पीड़िता के परिवार से मिलने से रोक दिया।
जिला पुलिस और प्रशासन ने कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए उन्हें पीड़ित परिवार से मिलने की अनुमति नहीं दी।
नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद के समर्थकों ने कथित रूप से दो घंटे से ज्यादा समय तक हंगामा किया। इस दौरान कथित तौर पर भीड़ ने तोड़फोड़, आगजनी, एक दर्जन से अधिक गाड़ियों को नुकसान पहुंचाने और पुलिसकर्मियों पर पथराव करने जैसी घटनाओं को अंजाम दिया।
पुलिस के अनुसार, गांव में सांसद चंद्रशेखर आजाद से मिलने के लिए जुटी भीड़ उस समय उग्र हो गई जब उन्हें पता चला कि वे वहां नहीं आ पाएंगे।
भीड़ ने कथित तौर पर पथराव किया और दो पुलिस वाहनों को नुकसान पहुंचाया।
पुलिस ने इस घटना को लेकर 53 नामजद और 500 से ज्यादा अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उपद्रवियों की गिरफ्तारी करने के लिए कई टीमें गठित की हैं।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अब भी हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में तैनात हैं।
यमुनापार के पुलिस उपायुक्त विवेक चंद्र यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि घटना में शामिल लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) और गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने यह भी कहा कि सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई आरोपियों से कानूनी प्रावधानों के तहत वसूल की जाएगी।
पुलिस ने बताया कि घटना में शामिल अन्य लोगों की पहचान के लिए सीसीटीवी फुटेज की जांच की जा रही है।
इस बीच, चंद्रशेखर आजाद ने कहा, "करछना में उपद्रव मचाने वाले लोग मेरी पार्टी के कार्यकर्ता नहीं थे।"
आजाद समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील कुमार चित्तौड़ ने भी आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि हिंसा में शामिल लोग पार्टी से जुड़े नहीं हैं और संगठन का इस घटना से कोई लेना-देना नहीं है।
पार्टी ने आरोप लगाया कि, “यह हमारी मुहिम को बदनाम करने के लिए रची गई एक साजिश है।”
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) केंद्र या राज्य सरकारों को ऐसी लोगों को हिरासत में लेने का अधिकार देता है, जो भारत की रक्षा या सुरक्षा, उसके विदेशी संबंधों, या सार्वजनिक व्यवस्था को खतरा पहुंचा सकते हैं।
यह कानून आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति बनाए रखने के लिए हानिकारक मानी जाने वाली गतिविधियों के लिए भी रोकथामात्मक हिरासत की अनुमति देता है।
पुलिस अधिकारी और जिला मजिस्ट्रेट ऐसे हिरासत आदेश जारी करने के अधिकारी होते हैं, जिन्हें 12 दिनों के भीतर राज्य सरकार द्वारा मंजूरी देना अनिवार्य होता है।

फोटो साभार : एचटी
उत्तर प्रदेश पुलिस ने आजाद समाज पार्टी के प्रमुख और सांसद चंद्रशेखर आजाद को इसोटा गांव जाने से रोके जाने के बाद हुई झड़प के दौरान तोड़फोड़ के आरोप में प्रयागराज में 67 लोगों को गिरफ्तार किया है और आठ नाबालिगों को हिरासत में लिया है।
मकतूब की रिपोर्ट के अनुसार, यह झड़प उस समय भड़क उठी जब पुलिस ने कथित तौर पर सांसद चंद्रशेखर आजाद को करछना क्षेत्र के इसोटा गांव में जलाकर मार दिए गए एक दलित व्यक्ति देवी शंकर के परिवार से और पड़ोसी कौशांबी जिले में एक बलात्कार पीड़िता के परिवार से मिलने से रोक दिया।
जिला पुलिस और प्रशासन ने कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए उन्हें पीड़ित परिवार से मिलने की अनुमति नहीं दी।
नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद के समर्थकों ने कथित रूप से दो घंटे से ज्यादा समय तक हंगामा किया। इस दौरान कथित तौर पर भीड़ ने तोड़फोड़, आगजनी, एक दर्जन से अधिक गाड़ियों को नुकसान पहुंचाने और पुलिसकर्मियों पर पथराव करने जैसी घटनाओं को अंजाम दिया।
पुलिस के अनुसार, गांव में सांसद चंद्रशेखर आजाद से मिलने के लिए जुटी भीड़ उस समय उग्र हो गई जब उन्हें पता चला कि वे वहां नहीं आ पाएंगे।
भीड़ ने कथित तौर पर पथराव किया और दो पुलिस वाहनों को नुकसान पहुंचाया।
पुलिस ने इस घटना को लेकर 53 नामजद और 500 से ज्यादा अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उपद्रवियों की गिरफ्तारी करने के लिए कई टीमें गठित की हैं।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अब भी हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में तैनात हैं।
यमुनापार के पुलिस उपायुक्त विवेक चंद्र यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि घटना में शामिल लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) और गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने यह भी कहा कि सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई आरोपियों से कानूनी प्रावधानों के तहत वसूल की जाएगी।
पुलिस ने बताया कि घटना में शामिल अन्य लोगों की पहचान के लिए सीसीटीवी फुटेज की जांच की जा रही है।
इस बीच, चंद्रशेखर आजाद ने कहा, "करछना में उपद्रव मचाने वाले लोग मेरी पार्टी के कार्यकर्ता नहीं थे।"
आजाद समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील कुमार चित्तौड़ ने भी आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि हिंसा में शामिल लोग पार्टी से जुड़े नहीं हैं और संगठन का इस घटना से कोई लेना-देना नहीं है।
पार्टी ने आरोप लगाया कि, “यह हमारी मुहिम को बदनाम करने के लिए रची गई एक साजिश है।”
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) केंद्र या राज्य सरकारों को ऐसी लोगों को हिरासत में लेने का अधिकार देता है, जो भारत की रक्षा या सुरक्षा, उसके विदेशी संबंधों, या सार्वजनिक व्यवस्था को खतरा पहुंचा सकते हैं।
यह कानून आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति बनाए रखने के लिए हानिकारक मानी जाने वाली गतिविधियों के लिए भी रोकथामात्मक हिरासत की अनुमति देता है।
पुलिस अधिकारी और जिला मजिस्ट्रेट ऐसे हिरासत आदेश जारी करने के अधिकारी होते हैं, जिन्हें 12 दिनों के भीतर राज्य सरकार द्वारा मंजूरी देना अनिवार्य होता है।
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