"अंग्रेजों के समय में भी किसानों के खिलाफ जो अत्याचार नहीं हुए, वे भाजपा शासन में हो रहे हैं।"
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मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के सिरोंज तहसील में एक किसान उस समय सदमे में गिर गया, जब स्थानीय प्रशासन ने उसकी खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चला दिया। इस कार्रवाई में लगभग 30 बीघा फसल नष्ट हो गई, जिससे किसान मूलचंद बेहोश हो गया जबकि उनकी पत्नी अधिकारियों से ऐसा करने से मना करते हुए गिरगिराती रही। उनकी बातों को अनसुनी कर दी गईं।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना केतन बांध क्षेत्र में हुई जहां अधिकारियों ने कार्रवाई को उचित ठहराते हुए दावा किया कि भूमि पर अतिक्रमण किया गया था और पट्टे दो साल पहले रद्द कर दिए गए थे।
तहसीलदार (स्थानीय राजस्व अधिकारी) विकास अग्रवाल ने कहा, "यह सरकारी भूमि थी और इसे अतिक्रमण से मुक्त करना आवश्यक था। हमने नियमों के अनुसार कार्रवाई की है।"
हालांकि, मूलचंद ने कहा कि उन्होंने अक्टूबर में भूमि के लिए जुर्माना जमा कर दिया था और उनके पास सबूत के तौर पर रसीद है। इसके बावजूद प्रशासन ने नष्ट कर दी।
उस दर्दनाक दिन की बात करते हुए मूलचंद ने कहा, "जब मैंने अपनी मेहनत से कमाई गई फसल को ट्रैक्टर से रौंदते देखा, तो मैं इसे बर्दाश्त नहीं कर सका। मुझे दिल का दौरा पड़ा और मैं बेहोश हो गया। जब मुझे होश आया, तो मेरी फसल नष्ट हो चुकी थी।"
इस घटना से किसानों में भारी गुस्सा है और यह राजनीतिक विवाद का विषय बन गया है।
किसान और उनकी पत्नी की तस्वीर वायरल होने के बाद लोग प्रशासन की आलोचना कर रहे हैं। वहीं विपक्षी नेताओं ने जवाबदेही की मांग की है।
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता कमल नाथ ने इस कदम की कड़ी निंदा की और इसकी तुलना किसानों के खिलाफ ब्रिटिश काल के अत्याचारों से की।
कमल नाथ ने कहा, "अंग्रेजों के समय में भी किसानों के खिलाफ जो अत्याचार नहीं हुए, वे भाजपा शासन में हो रहे हैं।"
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मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के सिरोंज तहसील में एक किसान उस समय सदमे में गिर गया, जब स्थानीय प्रशासन ने उसकी खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चला दिया। इस कार्रवाई में लगभग 30 बीघा फसल नष्ट हो गई, जिससे किसान मूलचंद बेहोश हो गया जबकि उनकी पत्नी अधिकारियों से ऐसा करने से मना करते हुए गिरगिराती रही। उनकी बातों को अनसुनी कर दी गईं।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना केतन बांध क्षेत्र में हुई जहां अधिकारियों ने कार्रवाई को उचित ठहराते हुए दावा किया कि भूमि पर अतिक्रमण किया गया था और पट्टे दो साल पहले रद्द कर दिए गए थे।
तहसीलदार (स्थानीय राजस्व अधिकारी) विकास अग्रवाल ने कहा, "यह सरकारी भूमि थी और इसे अतिक्रमण से मुक्त करना आवश्यक था। हमने नियमों के अनुसार कार्रवाई की है।"
हालांकि, मूलचंद ने कहा कि उन्होंने अक्टूबर में भूमि के लिए जुर्माना जमा कर दिया था और उनके पास सबूत के तौर पर रसीद है। इसके बावजूद प्रशासन ने नष्ट कर दी।
उस दर्दनाक दिन की बात करते हुए मूलचंद ने कहा, "जब मैंने अपनी मेहनत से कमाई गई फसल को ट्रैक्टर से रौंदते देखा, तो मैं इसे बर्दाश्त नहीं कर सका। मुझे दिल का दौरा पड़ा और मैं बेहोश हो गया। जब मुझे होश आया, तो मेरी फसल नष्ट हो चुकी थी।"
इस घटना से किसानों में भारी गुस्सा है और यह राजनीतिक विवाद का विषय बन गया है।
किसान और उनकी पत्नी की तस्वीर वायरल होने के बाद लोग प्रशासन की आलोचना कर रहे हैं। वहीं विपक्षी नेताओं ने जवाबदेही की मांग की है।
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता कमल नाथ ने इस कदम की कड़ी निंदा की और इसकी तुलना किसानों के खिलाफ ब्रिटिश काल के अत्याचारों से की।
कमल नाथ ने कहा, "अंग्रेजों के समय में भी किसानों के खिलाफ जो अत्याचार नहीं हुए, वे भाजपा शासन में हो रहे हैं।"