यूपी के कुशीनगर में मस्जिद का एक हिस्सा बुलडोजर से गिराया गया, अतिक्रमण का आरोप 

Written by sabrang india | Published on: February 11, 2025
"एसडीएम ने पहले भूमि सर्वेक्षण किया था और पुष्टि की थी कि मस्जिद द्वारा कोई अतिक्रमण नहीं किया गया है। इसलिए, विध्वंस की कार्रवाई अनुचित और समझ से परे है।"



उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में एक मस्जिद का हिस्सा कथित तौर पर 'अतिक्रमित' जमीन पर बता कर रविवार को बुलडोजर से गिरा दिया गया। 

टाइम्स ऑफ इंडिया ने सरकारी अधिकारियों के हवाले से लिखा, जिले के हाटा कस्बे में स्थित मदनी मस्जिद के "अतिक्रमित" हिस्से को गिराने के लिए छह बुलडोजरों का इस्तेमाल किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी और वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। 

कार्यकर्ता राम बचन सिंह ने मुख्यमंत्री के पोर्टल पर शिकायत की थी कि मदनी मस्जिद सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करके बनाई गई है और उन्होंने सर्वेक्षण की मांग की थी। मस्जिद प्रबंधन ने बाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख किया और मस्जिद के अतिक्रमित हिस्से को गिराने पर रोक लगा दी गई। ये रोक शनिवार तक थी। 

मस्जिद के केयरटेकर ने कहा कि मुस्लिम समुदाय ने मस्जिद के निर्माण के लिए करीब 15 साल पहले 32 डिसमिल जमीन खरीदी थी। उन्होंने यह भी दावा किया कि कोई अतिक्रमण नहीं था और मस्जिद 30 डिस्मिल भूमि पर बनी थी।

अदालत के रोक के आदेश के समाप्त होने के ठीक एक दिन बाद रविवार को सुबह 10 बजे तोड़ फोड़ शुरू हुआ। सीओ कुंदन सिंह और एसडीएम योगेश्वर सिंह के नेतृत्व में अधिकारी भारी पुलिस बल के साथ सुबह-सुबह स्थल पर पहुंचे।

अवैध निर्माण के खिलाफ पहली शिकायत 1999 में राम बच्चन सिंह ने दर्ज कराई थी, लेकिन उस समय कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। दिसंबर 2023 में मामला फिर से सामने आया जब आधिकारिक जांच शुरू की गई।

रिपोर्ट के अनुसार, जांच के बाद नगर निगम प्रशासन ने 23 दिसंबर को मस्जिद कमेटी को तीन नोटिस जारी किए, जिसमें कानूनी दस्तावेज मांगे गए, लेकिन कोई वैध कागजात पेश नहीं किए गए। नतीजतन, ढ़ांचा का एक हिस्सा अनधिकृत घोषित कर दिया गया।

मस्जिद कमेटी ने उच्च न्यायालय में विध्वंस को चुनौती दी और 8 फरवरी तक स्थगन आदेश प्राप्त किया। हालांकि, 9 फरवरी को आदेश समाप्त होने के साथ, अधिकारियों ने तुरंत विध्वंस अभियान शुरू कर दिया।

द वायर स्थानीय समाचार के हवाले से लिखा, मौके पर पहुंचे अधिवक्ता शफीउल्लाह खान ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ता राम बचन सिंह की शिकायत पर मस्जिद को गिराया गया। सिंह पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हिंदू युवा वाहिनी से जुड़े थे। हिंदू वाहिनी के भंग होने के बाद सिंह भाजपा में शामिल हो गए।

अधिवक्ता खान ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ता की शिकायत पर इमारत को गिराना संदिग्ध है। उन्होंने कहा कि सिंह का मस्जिद के आसपास कहीं भी जमीन नहीं है और इसलिए उन्हें मस्जिद में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।

उन्होंने पूछा, ‘क्या प्रशासन किसी के घर या उपासना स्थल को सिर्फ इसलिए गिरा सकता है क्योंकि भाजपा कार्यकर्ता ने इसके खिलाफ शिकायत की है?’

मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए खान ने कहा कि मस्जिद की योजना को मंजूरी दिए जाने पर आपत्ति जताई गई थी।

उन्होंने कहा, ‘हमने इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख किया था और न्यायालय ने इस संबंध में स्थानीय नगरपालिका के आदेश को रद्द कर दिया था। मस्जिद का निर्माण इसके बाद किया गया था और यह पूरी तरह से वैध थी। इसलिए प्रशासन के पास इसे अवैध कहने का कोई अधिकार नहीं है। इसके अलावा, मस्जिद अवैध नहीं थी। यह अतिक्रमित भूमि पर नहीं थी।’

उन्होंने बताया कि एसडीएम ने पहले भूमि सर्वेक्षण किया था और पुष्टि की थी कि मस्जिद द्वारा कोई अतिक्रमण नहीं किया गया है। इसलिए, विध्वंस की कार्रवाई अनुचित और समझ से परे है।

खान ने कहा कि एसडीएम के सर्वेक्षण के अनुसार मस्जिद के पास 0.33 हेक्टेयर भूमि है, जबकि निर्माण केवल 0.29 हेक्टेयर पर किया गया है। खान ने कहा, ‘दस्तावेजों या जमीन पर कोई अतिक्रमण नहीं पाया गया और न ही मस्जिद या किसी और ने सरकारी या निजी भूमि पर अवैध कब्जा किया था।’

इस बीच, मस्जिद गिराए जाने की इस घटना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट अब्दुल कादिर अब्बासी ने कुशीनगर के जिलाधिकारी को कानूनी नोटिस भेजा है।

नोटिस में कहा गया है कि मस्जिद गिराए जाने की घटना सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है और संविधान द्वारा दी गई धार्मिक स्वतंत्रता का हनन है।

नोटिस में एडवोकेट अब्बासी ने मस्जिद के विध्वंस को तत्काल रोकने, मस्जिद की सुरक्षा सुनिश्चित करने और किसी भी तरह के विध्वंस को रोकने की मांग की है और कहा है कि यदि विध्वंस जारी रहा तो सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के लिए कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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