उत्तर प्रदेश: पुलिस हिरासत में युवक की मौत, परिवार ने टार्चर का आरोप लगाया

Written by sabrang india | Published on: February 8, 2025
मृतक की पत्नी का आरोप है कि पुलिस ने उनके पति को बेरहमी से पीटा, जिससे उनकी मौत हो गई।


प्रतीकात्मक तस्वीर; साभार  : न्यूज 18

उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के गरही हिसिया गांव में गुरुवार दोपहर पुलिस हिरासत में केदार सिंह (52 वर्ष) की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। आरोप है कि पुलिस द्वारा की गई बर्बर पिटाई के कारण उनकी मौत हुई। इस घटना के बाद स्थानीय लोगों ने पुलिस चौकी का घेराव कर दिया और यमुना एक्सप्रेसवे को लगभग दो घंटे तक जाम रखा।

द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, केदार सिंह, जो अपने घर में एक छोटा आटा चक्की चलाते थे, को पुलिस ने एक जालसाजी मामले में गवाह के रूप में कबीस पुलिस चौकी पर तलब किया था। उनकी पत्नी चंद्रकांता का आरोप है कि पुलिस ने उनके पति को बेरहमी से पीटा जिससे उनकी मौत हो गई।

शुक्रवार को पोस्टमॉर्टम के बाद पुलिस और प्रांतीय सशस्त्र बल की तैनाती के बीच सिंह का शव उनके परिजनों को सौंपा गया।

वहीं मामला सामने आने के बाद सरकार ने तीन सब-इंस्पेक्टरों—सिद्धार्थ चौधरी (कबीस चौकी प्रभारी), शिवमंगल सिंह (जांच अधिकारी) और राम सेवक—को निलंबित कर उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी है। इसके अलावा, दाऊकी थाना प्रभारी तरुण धीमान को लापरवाही के आरोप में पुलिस लाइंस भेज दिया गया।

चंद्रकांता ने मीडिया से कहा कि गुरुवार दोपहर 2:45 बजे चार पुलिसकर्मी उनके घर आए और जबरन उनके पति को मोटरसाइकिल पर पुलिसकर्मी के साथ चौकी ले गए। उन्होंने आरोप लगाया, “रास्ते में ही उनके साथ मारपीट शुरू कर दी गई और चौकी में भी उनकी पिटाई की गई। उनके मुंह में कपड़ा ठूंस दिया गया।”

उनके 16 वर्षीय पोते, आकाश, जो चौकी के सामने आधार केंद्र पर मौजूद थे, ने देखा कि चार पुलिसकर्मी बेहोश हालत में उनके दादा को एक निजी वाहन से अस्पताल ले गए। “एस.एन. मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया,” उन्होंने आगरा पुलिस आयुक्त जे. रविंद्र गौड़ को दी गई शिकायत में कहा और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की।

चौकी के पास स्थित आधार केंद्र पर मौजूद उनके 16 वर्षीय पोते आकाश ने देखा कि चार पुलिसकर्मी उनके दादा को बेहोशी की हालत में एक निजी वाहन से अस्पताल ले जा रहे थे। "एस.एन. मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।" उन्होंने आगरा पुलिस आयुक्त जे. रविंद्र गौड़ को दी गई शिकायत में कहा और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की।

आगरा के पूर्वी क्षेत्र के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) अतुल शर्मा ने निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा, "पुलिस द्वारा प्रताड़ना के आरोपों की पूरी जांच की जाएगी। संबंधित अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं, और अगर वे दोषी पाए गए तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।"

जालसाजी और धोखाधड़ी के एक मामले की जांच के लिए केदार सिंह को चौकी बुलाया गया था। पुलिस के अनुसार, चौकी में उनकी तबीयत बिगड़ गई और उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत की पुष्टि की।

एक ग्रामीण द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत से यह मामला जुड़ा है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि उनके नाम पर एक फर्जी किसान कार्ड बनाकर 7.18 लाख रुपए का कर्ज लिया गया था। इस धोखाधड़ी में बैंक अधिकारियों की संलिप्तता का भी संदेह जताया गया है।

इस मामले में सात लोगों के खिलाफ जांच जारी है। जिनके खिलाफ जांच की जा रही है उनमें ग्राम प्रधान और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के स्थानीय कर्मचारी शामिल हैं। केदार सिंह की मौत ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश में पुलिस हिरासत में होने वाली मौतों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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