कोलकाता में तीन सीवेज कर्मी की मौत, सुप्रीम कोर्ट ने मैनुअल स्कैवेंजिग पर लगा दी है रोक

Written by sabrang india | Published on: February 3, 2025
मुर्शिदाबाद के फरज़ेम शेख, हाशी शेख और सुमन सरदार के शव डिसेस्टर मैनेजमेंट फोर्स और दमकल विभाग ने चार घंटे की तलाशी के बाद बंतला इलाके के एक मैनहोल से बरामद किए, जिससे इलाके में तनाव फैल गया।


फोटो साभार : द टेलिग्राफ

छह प्रमुख महानगरों में मैनुअल स्कैवेंजिग और सीवेज की सफाई पर सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध के कुछ दिनों के बाद कोलकाता के पास दो फरवरी को बंतला लेदर कॉम्प्लेक्स में तीन कर्मचारियों की मौत हो गई। इन कर्मियों की मौत कथित तौर पर बिना सुरक्षा उपाय के सीवेज और रासायनिक कचरे की सफाई करते समय डूबने से हुई है।

मकतूब की रिपोर्ट के अनुसार, मुर्शिदाबाद के फरज़ेम शेख, हाशी शेख और सुमन सरदार के शव डिसेस्टर मैनेजमेंट फोर्स और दमकल विभाग ने चार घंटे की तलाशी के बाद बंतला इलाके के एक मैनहोल से बरामद किए, जिससे इलाके में तनाव फैल गया।

पुलिस के अनुसार, कर्मचारी सुबह 9 बजे सफाई के काम के लिए पाइपलाइन में घुसे, लेकिन वापस नहीं आए। रासायनिक कचरे की सफाई की जा रही थी, तभी पाइप टूट गया, जिससे तीनों 10 फीट नीचे गिर गए। घटनास्थल पर बचाव दल भेजा गया। पुलिस, दमकल सेवा और राज्य आपदा राहत बलों की एक टीम ने दोपहर करीब 1:30 बजे उनके शव बरामद किए। प्रारंभिक जांच में मौत का कारण औद्योगिक कचरे से निकलने वाले जहरीले धुएं के कारण दम घुटना बताया गया है। पोस्टमार्टम जांच से इसकी पुष्टि होगी। अधिकारी यह भी जांच कर रहे हैं कि पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए गए थे या नहीं।

घटनास्थल का दौरा करने वाले कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम ने कहा, "इस घटना के बारे में सुनकर मैं मौके पर पहुंचा, क्योंकि यह दिल दहला देने वाली घटना है। मुख्यमंत्री ने तुरंत मुझे वहां जाने के लिए कहा। यह घटना नहीं होनी चाहिए थी। फैक्ट्री से निकलने वाला पानी मैनहोल में फंस गया और कर्मचारी नई पाइपलाइन पर काम कर रहे थे... इससे एक कर्मचारी की मौत हो गई और उसे बचाने की कोशिश करने वाले दो और कर्मचारियों की भी मौत हो गई।"

उन्होंने कहा की, "मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार हम पीड़ितों के परिवारों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा देंगे।"

सुरक्षा उपायों के बिना सीवर और मैनहोल की मैन्युअल सफाई पर प्रतिबंध लगाने वाले 2013 के कानून के बावजूद ये खतरनाक प्रथाएं जारी हैं जिसके परिणामस्वरूप ऐसी दुखद मौतें हो रही हैं।

अपने पहले के आदेशों का पालन न करने पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को कोलकाता सहित छह महानगरों में मैनुएल स्कैवेंजिग और सीवर की सफाई पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश पारित किए।

ज्ञात हो कि 29 जनवरी को न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने छह महानगरों में मैनुअल स्कैवेंजिंग और मैनुअल सीवर सफाई पर रोक लगाने के निर्देश जारी किए।

यह फैसला बलराम सिंह नामक नागरिक द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई के बाद पारित किया गया, जिसमें भारत में मैनुअल स्कैवेंजिंग को पूरी तरह से समाप्त करने की मांग की गई थी।

अदालत ने अपने आदेश में कहा, "हम आदेश देते हैं कि दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे सभी शीर्ष महानगरों में मैनुअल सीवर सफाई और मैनुअल स्कैवेंजिंग बंद कर दी जाए।"

द टेलिग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, कोलकाता नगर विकास प्राधिकरण (केएमडीए), जिसने मजदूरों को लाने वाले ठेकेदार को काम पर रखा था, के एक अधिकारी ने दावा किया कि ये लोग सीवर की सफाई नहीं कर रहे थे, बल्कि बेहतर सीवरेज सिस्टम के लिए एक नया मैनहोल बना रहे थे।

सरकारी परिसर (जिसमें 500 निजी चमड़े के कारखाने हैं और जिसका रखरखाव केएमडीए करता है) में काम करने वाले श्रमिकों ने पुलिस को बताया कि चमड़े के टुकड़ों से अक्सर जाम रहने वाले अधिकांश सीवरों की कई वर्षों से अच्छी तरह सफाई नहीं की गई है।

चमड़ा परिसर में एक दशक में यह दूसरी ऐसी घटना है, जहां 2015 में जहरीले धुएं ने तीन लोगों की जान ले ली थी, जब वे एक लेदर प्रोसेसिंग यूनिट में बहते हुए गड्ढे की सफाई कर रहे थे।

केंद्र ने 1993 में शुष्क शौचालयों की सफाई के लिए मैनुअल लेबर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था। 2013 में, सीवर, खाई, गड्ढे और सेप्टिक टैंक की सफाई में मैनुअल लेबर पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून में संशोधन किया गया था।

बाकी ख़बरें