MP: शिवराज सिंह द्वारा दिए गए दलित आदिवासियों के आवासीय पट्टे, कार्यालयों के चक्कर काटते लोग

Written by sabrang india | Published on: September 17, 2024
टीकमगढ़ की ग्राम पंचायत केशवगढ़ में 64 लोगों को शिवराज सिंह चौहान ने व्यक्तिगत रूप से पट्टे वितरित किए थे। टीकमगढ़ और निवाड़ी जिले में कुल 10,000 लोगों को आवासीय पट्टे दिए गए थे, जिनमें से कुछ का वितरण मंच पर शिवराज सिंह चौहान ने स्वयं किया था। हालांकि, ये पट्टे अब उन व्यक्तियों के लिए एक बड़ी समस्या बन गए हैं।


फोटो साभार : द मूकनायक

मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 4 जनवरी 2023 को टीकमगढ़ जिले के बगाज माता मंदिर में एक भव्य कार्यक्रम के माध्यम से दलित आदिवासियों और भूमिहीनों को आवासीय पट्टे देने की योजना का शुभारंभ किया था। 20 महीने बीत जाने के बावजूद, इन दलित आदिवासियों को न तो जमीन का कब्जा मिला है और न ही आवासीय प्लॉट। अब ये लोग मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए पट्टों को लेकर कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, टीकमगढ़ की ग्राम पंचायत केशवगढ़ में 64 लोगों को शिवराज सिंह चौहान ने व्यक्तिगत रूप से पट्टे वितरित किए थे। टीकमगढ़ और निवाड़ी जिले में कुल 10,000 लोगों को आवासीय पट्टे दिए गए थे, जिनमें से कुछ का वितरण मंच पर शिवराज सिंह चौहान ने स्वयं किया था। हालांकि, ये पट्टे अब उन व्यक्तियों के लिए एक बड़ी समस्या बन गए हैं।

केशवगढ़ ग्राम पंचायत के एक निवासी ने मीडिया को बताया कि उन्हें 4 जनवरी को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने व्यक्तिगत रूप से पट्टा दिया था। लेकिन, आज तक उन्हें जमीन नहीं मिली है। उनका कहना है कि उन्होंने मोहनगढ़ तहसीलदार, जतारा एसडीएम, और टीकमगढ़ कलेक्टर को कई बार आवेदन दिए हैं, लेकिन प्रशासन ने 20 महीने बीतने के बाद भी अतिक्रमण को हटाने की कोई कार्रवाई नहीं की है।

गांव के निवासी देवेंद्र ने बताया कि वे 4 जनवरी को जिला प्रशासन के अधिकारियों के निर्देश पर बगाज माता मंदिर पहुंचे थे, जहां तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें आवासीय पट्टा दिया था। लेकिन आज तक उन्हें जमीन का कब्जा नहीं मिला है। टीकमगढ़ कलेक्टर अवधेश शर्मा ने कहा कि उन्होंने इस मामले को संज्ञान में लिया है और सुनिश्चित किया है कि अतिक्रमण को हटाकर पट्टेधारकों को आवासीय स्थल प्रदान किया जाएगा।

इसी साल मई में शिवपुरी जिले के भैंसावन गांव की जानकी आदिवासी ने द मूकनायक से बातचीत में कहा, "जिस जमीन का पट्टा सरकार ने हमें दिया था, उस पर गांव के लाखन यादव और सतीश धाकड़ पहले से ही कब्जा किए हुए थे। मेरे पति ज्ञानी ने जमीन को छुड़ाने के लिए काफी दौड़-भाग की, लेकिन प्रशासन ने न तो सीमांकन किया और न ही हमें जमीन का कब्जा मिल पाया। अब हम और नहीं लड़ सकते, परिवार भी पालना है। हमारी सुनवाई कोई नहीं करता।"

सीहोर जिले के बुधनी तहसील के होड़ा गांव का मामला भी इसी तरह का है। 70 वर्षीय आदिवासी महिला सुमन बाई पिछले 14 साल से अपनी जमीन को प्रभावशाली लोगों के कब्जे से मुक्त कराने के लिए भटक रही हैं। आदिवासी सुमन बाई अपने परिवार के साथ होड़ा गांव में रहती हैं। भूमिहीन होने के कारण सरकार ने वर्ष 2010-11 में उन्हें कृषि भूमि के लिए 1.272 हेक्टेयर जमीन का पट्टा उनके गांव होड़ा में ही दिया था।

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