झारखंड के विभिन्न जन संगठन व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द और सामाजिक तानाबाना बिगाड़ने के प्रयास पर कार्यवाई की अपील की
रविवार, 24 फरवरी 2024 को राज्य के अनेक जन संगठन व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री चम्पई सोरेन को पत्र लिख कर लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द और सामाजिक तानाबाना बिगाड़ने के प्रयास पर कार्यवाई की अपील की। झारखंड जनाधिकार महासभा के आव्हान पर राज्य के 30 संगठन व अम्बिका यादव, अफज़ल अनीस, अलेक्स एक्का, भरत भूषण चौधरी, दिनेश मुर्मू, एलिना होरो, जसिन्ता केरकेट्टा, ज्यां द्रेज़, ज्योति कुजूर, किरण, लालमोहन संघ खेरवार, मंथन, मनोज भक्त, रतन तिर्की, वाल्टर कन्दुलना, विनोद कुमार समेत अनेक सामाजिक कार्यकर्ता, सचेत नागरिक व छात्रों ने मुख्यमंत्री को सार्वजानिक पत्र लिखा है।
मुख्यमंत्री को संबोधित पत्र में कहा गया है कि पिछले कुछ दिनों से राजनैतिक लाभ के लिए कुछ सामाजिक-राजनीतिक संगठनों से जुड़े लोग धर्मनिरपेक्षता की भावना के प्रतिकूल आचरण कर अशांति फैला रहे हैं और सामाजिक सौहार्द्र को छिन्न-भिन्न कर रहे हैं। राज्य के शहरों, प्रखंडों, बस्तियों, गावों व कस्बों के सार्वजनिक स्थलों पर लगातार धार्मिक कार्यक्रमों, का आयोजन किया जा रहा है। सार्वजनिक स्थलों, रोड, बिजली पोल, मोबाइल टावर, सरकारी दफ्तरों, थाना, पुलिस व अर्धसैनिक बल कैंपों आदि में धार्मिक झंडे बैनर व प्रतीक लगाए जा रहे हैं। साथ ही, धार्मिक आयोजनों के दौरान अश्लील, उत्तेजक और सांप्रदायिक गीतों को अत्यंत तेज आवाज़ में लाउडस्पीकर पर बजाए जा रहे हैं।
पत्र में कहा गया है कि हाल में 22 जनवरी 2024 के धार्मिक कार्यक्रम के लिए पूरे राज्य में सार्वजनिक स्थलों पर धर्म विशेष के झंडे लगाये गए, जिसमें से अधिकांश अभी तक नहीं उतारे गए हैं। यह अत्यंत दुख की बात है कि गणतंत्र दिवस को भी ये झंडे नहीं हटाए गए और सार्वजनिक स्थलों पर तिरंगे, राष्ट्रीय ध्वज से कहीं ज्यादा संख्या में धार्मिक झंडे दिख रहे थे। यह सब देश को संविधान के विपरीत हिंदू राष्ट्र बनाने की ओर कार्यवाही है।
गौरतलब यह भी है कि इस तरह के झंडे व बैनर धार्मिक उत्सवों पर हर वर्ष लगते थे। लेकिन इस बार लोकसभा और उसके तुरंत बाद होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए षडयंत्रकारी खास राजनीतिक दल के लोग झंडों बैनरों को लंबे समय तक लगाये रखना चाहते हैं। हाल के दिनों में विभिन्न सामाजिक-राजनैतिक संगठनों के नेताओं द्वारा राज्य में मुसलमानों और ईसाइयों के विरुद्ध नफरती और सांप्रदायिक भाषण के मामले बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे सभी मामलों में न्यायसंगत कार्यवाई करने में प्रशासनिक उदासीनता भी दिखती है।
भरत एक धर्मनिरपेक्ष देश है जहाँ हर धर्म का समान सम्मान है और सभी को अपने धर्म मानने और मनाने की पूर्ण स्वतंत्रता है। लेकिन अगर सभी धर्मों और समुदायों के लोग धार्मिक वर्चस्व स्थापित करने के लिए अपने विश्वासों के अनुकूल धार्मिक झंडों, बैनरों और प्रतीकों को सार्वजनिक स्थलों पर लगाने लगें और अतिक्रमण करने लगे, तो स्थिति कितनी कटुतापूर्ण हो जायेगी, इसकी सहज कल्पना की जा सकती है। यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि कोई भी धर्म हावी न हो जाए एवं सरकारी व सार्वजनिक व्यवस्था में किसी भी विशेष धर्म का हस्तक्षेप न हो। सार्वजनिक स्थलों पर धर्म विशेष झंडे, बैनर, प्रतीक आदि लगे रहने से बराबरी, न्याय, बंधुत्व, धर्मनिरपेक्षता और वैज्ञानिक सोच एवं आचरण के संवैधानिक मूल्यों से विपरीत सन्देश जाता है।
सबने मिलकर मुख्यमंत्री से समाज व राज्य में बराबरी, न्याय और धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक मूल्यों को सुदृढ़ करने के लिए निम्न मांग की हैं:
• सार्वजनिक स्थलों से 22 जनवरी के धार्मिक कार्यक्रम के लिए लगाये गए धार्मिक झंडों, बैनर, प्रतीक आदि को तुरंत हटाया जाए।
• किसी भी धर्म के धार्मिक अनुष्ठान/पर्व/त्योहार/कार्यक्रम में सार्वजनिक स्थलों, रोड, बिजली पोल, सरकारी दफ्तरों, थाना, पुलिस व अर्धसैनिक बल कैंप आदि में लगाये गए धार्मिक झंडों व प्रतीकों को अनुष्ठान/पर्व/त्योहार/कार्यक्रम खत्म होने के 48 घंटो के अन्दर हटाया जाना सुनिश्चित किया जाए। लाउडस्पीकर का इस्तेमाल ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए बने मापदंडों के अनुसार हो।
• किसी भी परिस्थिति में राज्य में कहीं भी अश्लील व उत्तेजक गाने बजाए जाते हैं या नफरती व भड़काऊ भाषण दिया जाता है, तो “ASHWINI KUMAR UPADHYAY versus UNION OF INDIA & ORS.” (Writ Petition (Civil) No. 943/2021) मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश अनुसार दोषियों के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 153A, 153B, 295A, 505(1) समेत अन्य संबन्धित धाराओं अंतर्गत बिना शिकायत के suo motu प्राथमिकी दर्ज कर न्यायसंगत कार्यवाई की जानी चाहिए।
• Pravasi Bhalai Sangathan v. Union of India (AIR 2014 SC 1591) मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुमोदित ‘सांप्रदायिक सौहार्द मार्गदर्शिका’ को लागू किया जाए।
पत्र निम्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने भेजा है –
आदिवासी युवा महासभा, आदिवासी मूलवासी अधिकार मंच, आदिवासी समन्वय समिति, आदिवासी सेना, आदिवासी स्वशासन अधिकार मंच, आदिवासी महिला नेटवर्क, एआईपीएफ, भारतीय किसान संघ रांची, बिरसा मुंडा भ्रष्टाचार निरोधक संगठन, सीपीआईएमएल, सीपीआईएमएल लिबरेशन, हासा भाषा बचाओ समिति, जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी, जेसीएम, झारखंड जनाधिकार महासभा, झारखंड किसान परिषद, झारखंड क्रांतिकारी मजदूर संघ, झारखंड नवनिर्माण अभियान, झारखंड महिला नेटवर्क, जेएसडब्ल्यूए, खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच पश्चिमी सिंहभूम, लोकतंत्र बचाओ 2024 अभियान, मानकी मुंडा संघ पूर्वी सिंहभूम, नरेगा संघर्ष मोर्चा, भोजन का अधिकार अभियान, सहज कदम, समाजवादी जन परिषद, छात्र संघ टाटा कॉलेज चाईबासा, यूनाइटेड मिल्ली फोरम, विस्थापित मुक्ति वाहिनी, युवा झुमुर
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मुख्यमंत्री को संबोधित पत्र में कहा गया है कि पिछले कुछ दिनों से राजनैतिक लाभ के लिए कुछ सामाजिक-राजनीतिक संगठनों से जुड़े लोग धर्मनिरपेक्षता की भावना के प्रतिकूल आचरण कर अशांति फैला रहे हैं और सामाजिक सौहार्द्र को छिन्न-भिन्न कर रहे हैं। राज्य के शहरों, प्रखंडों, बस्तियों, गावों व कस्बों के सार्वजनिक स्थलों पर लगातार धार्मिक कार्यक्रमों, का आयोजन किया जा रहा है। सार्वजनिक स्थलों, रोड, बिजली पोल, मोबाइल टावर, सरकारी दफ्तरों, थाना, पुलिस व अर्धसैनिक बल कैंपों आदि में धार्मिक झंडे बैनर व प्रतीक लगाए जा रहे हैं। साथ ही, धार्मिक आयोजनों के दौरान अश्लील, उत्तेजक और सांप्रदायिक गीतों को अत्यंत तेज आवाज़ में लाउडस्पीकर पर बजाए जा रहे हैं।
पत्र में कहा गया है कि हाल में 22 जनवरी 2024 के धार्मिक कार्यक्रम के लिए पूरे राज्य में सार्वजनिक स्थलों पर धर्म विशेष के झंडे लगाये गए, जिसमें से अधिकांश अभी तक नहीं उतारे गए हैं। यह अत्यंत दुख की बात है कि गणतंत्र दिवस को भी ये झंडे नहीं हटाए गए और सार्वजनिक स्थलों पर तिरंगे, राष्ट्रीय ध्वज से कहीं ज्यादा संख्या में धार्मिक झंडे दिख रहे थे। यह सब देश को संविधान के विपरीत हिंदू राष्ट्र बनाने की ओर कार्यवाही है।
गौरतलब यह भी है कि इस तरह के झंडे व बैनर धार्मिक उत्सवों पर हर वर्ष लगते थे। लेकिन इस बार लोकसभा और उसके तुरंत बाद होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए षडयंत्रकारी खास राजनीतिक दल के लोग झंडों बैनरों को लंबे समय तक लगाये रखना चाहते हैं। हाल के दिनों में विभिन्न सामाजिक-राजनैतिक संगठनों के नेताओं द्वारा राज्य में मुसलमानों और ईसाइयों के विरुद्ध नफरती और सांप्रदायिक भाषण के मामले बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे सभी मामलों में न्यायसंगत कार्यवाई करने में प्रशासनिक उदासीनता भी दिखती है।
भरत एक धर्मनिरपेक्ष देश है जहाँ हर धर्म का समान सम्मान है और सभी को अपने धर्म मानने और मनाने की पूर्ण स्वतंत्रता है। लेकिन अगर सभी धर्मों और समुदायों के लोग धार्मिक वर्चस्व स्थापित करने के लिए अपने विश्वासों के अनुकूल धार्मिक झंडों, बैनरों और प्रतीकों को सार्वजनिक स्थलों पर लगाने लगें और अतिक्रमण करने लगे, तो स्थिति कितनी कटुतापूर्ण हो जायेगी, इसकी सहज कल्पना की जा सकती है। यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि कोई भी धर्म हावी न हो जाए एवं सरकारी व सार्वजनिक व्यवस्था में किसी भी विशेष धर्म का हस्तक्षेप न हो। सार्वजनिक स्थलों पर धर्म विशेष झंडे, बैनर, प्रतीक आदि लगे रहने से बराबरी, न्याय, बंधुत्व, धर्मनिरपेक्षता और वैज्ञानिक सोच एवं आचरण के संवैधानिक मूल्यों से विपरीत सन्देश जाता है।
सबने मिलकर मुख्यमंत्री से समाज व राज्य में बराबरी, न्याय और धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक मूल्यों को सुदृढ़ करने के लिए निम्न मांग की हैं:
• सार्वजनिक स्थलों से 22 जनवरी के धार्मिक कार्यक्रम के लिए लगाये गए धार्मिक झंडों, बैनर, प्रतीक आदि को तुरंत हटाया जाए।
• किसी भी धर्म के धार्मिक अनुष्ठान/पर्व/त्योहार/कार्यक्रम में सार्वजनिक स्थलों, रोड, बिजली पोल, सरकारी दफ्तरों, थाना, पुलिस व अर्धसैनिक बल कैंप आदि में लगाये गए धार्मिक झंडों व प्रतीकों को अनुष्ठान/पर्व/त्योहार/कार्यक्रम खत्म होने के 48 घंटो के अन्दर हटाया जाना सुनिश्चित किया जाए। लाउडस्पीकर का इस्तेमाल ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए बने मापदंडों के अनुसार हो।
• किसी भी परिस्थिति में राज्य में कहीं भी अश्लील व उत्तेजक गाने बजाए जाते हैं या नफरती व भड़काऊ भाषण दिया जाता है, तो “ASHWINI KUMAR UPADHYAY versus UNION OF INDIA & ORS.” (Writ Petition (Civil) No. 943/2021) मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश अनुसार दोषियों के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 153A, 153B, 295A, 505(1) समेत अन्य संबन्धित धाराओं अंतर्गत बिना शिकायत के suo motu प्राथमिकी दर्ज कर न्यायसंगत कार्यवाई की जानी चाहिए।
• Pravasi Bhalai Sangathan v. Union of India (AIR 2014 SC 1591) मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुमोदित ‘सांप्रदायिक सौहार्द मार्गदर्शिका’ को लागू किया जाए।
पत्र निम्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने भेजा है –
आदिवासी युवा महासभा, आदिवासी मूलवासी अधिकार मंच, आदिवासी समन्वय समिति, आदिवासी सेना, आदिवासी स्वशासन अधिकार मंच, आदिवासी महिला नेटवर्क, एआईपीएफ, भारतीय किसान संघ रांची, बिरसा मुंडा भ्रष्टाचार निरोधक संगठन, सीपीआईएमएल, सीपीआईएमएल लिबरेशन, हासा भाषा बचाओ समिति, जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी, जेसीएम, झारखंड जनाधिकार महासभा, झारखंड किसान परिषद, झारखंड क्रांतिकारी मजदूर संघ, झारखंड नवनिर्माण अभियान, झारखंड महिला नेटवर्क, जेएसडब्ल्यूए, खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच पश्चिमी सिंहभूम, लोकतंत्र बचाओ 2024 अभियान, मानकी मुंडा संघ पूर्वी सिंहभूम, नरेगा संघर्ष मोर्चा, भोजन का अधिकार अभियान, सहज कदम, समाजवादी जन परिषद, छात्र संघ टाटा कॉलेज चाईबासा, यूनाइटेड मिल्ली फोरम, विस्थापित मुक्ति वाहिनी, युवा झुमुर
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