असम के विवादास्पद मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा द्वारा एक्स पर 26 दिसंबर की एक पोस्ट, खुले तौर पर "क्षत्रिय" (प्रमुख, "योद्धा" जाति) की "वीर" विशेषताओं का महिमामंडन करती है और शूद्र (समाज के मेहनतकश, कारीगर वर्ग) को अपमानित करती है। ) यानि उन्होंने मनुस्मृति में जाति आधारित वर्णानुक्रम के अनुसार वर्गीकरण का समर्थन किया है।
भारतीय संविधान के तहत शपथ लेने के बाद शक्तिशाली पदों पर बैठे लोगों द्वारा विचार व्यक्त करना हमेशा विवाद का विषय रहा है। 26 दिसंबर को असम के मुख्यमंत्री, हिमंत बिस्वा सरमा ने सुबह 10 बजे एक वीडियो पोस्ट किया। 48 सेकंड का यह वीडियो व्यापक आक्रोश का कारण बन रहा है।
असम के विवादास्पद मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा द्वारा एक्स पर 26 दिसंबर की एक पोस्ट, खुले तौर पर "क्षत्रिय" (प्रमुख, "योद्धा" जाति) की "वीर" विशेषताओं का महिमामंडन करती है और शूद्र (समाज के मेहनतकश, कारीगर वर्ग) को अपमानित करती है। ) यानि उन्होंने मनुस्मृति में जाति आधारित वर्णानुक्रम के अनुसार वर्गीकरण का समर्थन किया है।
सरमा की पोस्ट को लेकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) व अन्य लोगों ने टिप्पणी की है, "हम असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा के ट्वीट की कड़ी निंदा करते हैं जिसमें दावा किया गया है कि "शूद्रों को ब्राह्मणों, क्षत्रियों और वैश्यों की सेवा करनी है" भाजपा की मनुवादी विचारधारा पूरी तरह से सक्रिय है!"
यह पोस्ट जातियों के बीच सामाजिक भूमिकाओं के अलगाव को बढ़ावा देती है, खुले तौर पर समाज के विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों के पदानुक्रमित मूल्यांकन और वर्चस्व को बढ़ावा देती है, जो शूद्रों और अति-शूद्रों दोनों के दशकों के उत्पीड़न और बहिष्कार के लिए जिम्मेदार है। सरमा पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) के सदस्य थे।
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असम के विवादास्पद मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा द्वारा एक्स पर 26 दिसंबर की एक पोस्ट, खुले तौर पर "क्षत्रिय" (प्रमुख, "योद्धा" जाति) की "वीर" विशेषताओं का महिमामंडन करती है और शूद्र (समाज के मेहनतकश, कारीगर वर्ग) को अपमानित करती है। ) यानि उन्होंने मनुस्मृति में जाति आधारित वर्णानुक्रम के अनुसार वर्गीकरण का समर्थन किया है।
सरमा की पोस्ट को लेकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) व अन्य लोगों ने टिप्पणी की है, "हम असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा के ट्वीट की कड़ी निंदा करते हैं जिसमें दावा किया गया है कि "शूद्रों को ब्राह्मणों, क्षत्रियों और वैश्यों की सेवा करनी है" भाजपा की मनुवादी विचारधारा पूरी तरह से सक्रिय है!"
यह पोस्ट जातियों के बीच सामाजिक भूमिकाओं के अलगाव को बढ़ावा देती है, खुले तौर पर समाज के विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों के पदानुक्रमित मूल्यांकन और वर्चस्व को बढ़ावा देती है, जो शूद्रों और अति-शूद्रों दोनों के दशकों के उत्पीड़न और बहिष्कार के लिए जिम्मेदार है। सरमा पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) के सदस्य थे।
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