"उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की मुस्लिम (महिला) विधायक के मंदिर दौरे के बाद उसे गंगाजल से शुद्ध किये जाने का मामला सामने आया है। जानकारी के मुताबिक, सिद्धार्थनगर जिले की डुमरियागंज विधानसभा से सपा विधायक सैय्यदा खातून के मंदिर में जाने के बाद उसे (मंदिर को) शुद्ध किया गया। कहा गया कि वह मांस खाती है। वहीं, विधायक का कहना है कि वह सभी धर्मों का सम्मान करती हैं। मंदिर प्रशासन के आमंत्रण पर वह माता के मंदिर गई थीं और कुछ तत्व लोगों के एक समूह को गुमराह कर रहे हैं।"
सपा विधायक सैय्यदा खातून रविवार को बलवा गांव में आयोजित शतचंडी महायज्ञ व रामकथा के आयोजन में भाग लेने के लिए समया माता मंदिर गईं थीं। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, विधायक सैयदा खातून ने बताया कि उन्हें रविवार (26 नवंबर) को एक कार्यक्रम (राम कथा) में शामिल होने के लिए सिद्धार्थनगर जिले के बलवा गांव स्थित समया माता मंदिर के प्रशासन द्वारा आमंत्रित किया गया था। खातून के लौटने के बाद बरहनी चाफ़ा स्थित मंदिर में उनके जाने के विरोध में कुछ लोगों ने मंत्रोच्चार के बीच मंदिर को गंगाजल से शुद्ध किया। शुद्धिकरण का नेतृत्व करने वाले हिंदू संगठनों के सदस्य और बरहनी चाफा के नगर पंचायत अध्यक्ष धर्मराज वर्मा ने कहा कि कुछ अधर्मी लोगों ने मुस्लिम समुदाय की स्थानीय विधायक सईदा खातून को फोन किया था। वर्मा ने कहा, ‘समया माता मंदिर भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है। लोग समर्पण भाव से मंदिर में आते हैं, जिसका स्थानीय विधायक ने अनादर किया। वह मांसाहारी हैं और उनके दौरे से जगह की पवित्रता प्रभावित हुई।’
रविवार को मीडियाकर्मियों से बात करते हुए वर्मा ने कहा कि अगर “गाय खाने वाला कोई शख्स ऐसे स्थल में प्रवेश करता है, तो मंदिर की शुद्धता और दिव्यता भंग हो जाती है।” उन्होंने कहा, “देवी का यह स्थल अत्यंत पवित्र है। न केवल हमारे नगर पंचायत के लोग, बल्कि पड़ोसी जिलों के लोग भी देवी के दर्शन और अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए यहां आते हैं। कल, यहां शतचंडी यज्ञ का आयोजन किया गया था, जहां हमारे ही कुछ लोगों ने स्थानीय विधायक सैय्यदा खातून को बुलाया और हिंदुओं को चिढ़ाने की कोशिश की।”
मुस्लिम विधायक के जाने के बाद मंदिर का शुद्धिकरण
धर्मराज वर्मा ने कहा, "सैय्यदा खातून एक मुस्लिम हैं और गाय का मांस खाती हैं इसलिए यह पवित्र स्थान उनके आने से अपवित्र हो गया।" उन्होंने कहा कि उन्होंने कुछ अन्य लोगों के साथ मिलकर मंदिर परिसर को शुद्ध किया। वर्मा ने कहा कि शुद्धिकरण के बाद अब यह स्थान पूरी तरह से पवित्र और पूजा-पाठ के लिए उपयोगी हो गया है। वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विधायक सैय्यदा खातून ने लखनऊ से फोन पर बताया कि एक जन प्रतिनिधि होने के नाते वह निमंत्रण मिलने पर सभी धर्मों और संप्रदायों से संबंधित स्थानों का दौरा जारी रखेंगी और ऐसे किसी भी काम से उन्हें रोका नहीं जा सकता।
मैं ऐसे लोगों से डरने वाली नहीं- विधायक
मुस्लिम विधायक सैय्यदा खातून ने कहा, "क्षेत्र के कई ब्राह्मण और संत मेरे साथ जुड़े हुए हैं और उन्होंने मुझे लगभग दस दिन पहले 'समया माता मंदिर' में बुलाया था। मैं सभी धर्मों का सम्मान करती हूं। मैं क्षेत्र के सभी लोगों की विधायक हूं और जहां भी आमंत्रित किया जाएगा वहां जाऊंगी।" खातून ने कहा कि उन्होंने क्षेत्र में विभिन्न मंदिरों के नवीनीकरण का काम भी करवाया है। उन्होंने कहा कि कई मंदिरों के नवीनीकरण को उनके विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास निधि से वित्त पोषित किया गया है।
उन्होंने कहा, “एक विधायक तौर पर, मैंने अपने निर्वाचन क्षेत्र में दो हिंदू मंदिरों को फिर से बनवाया है। मैं सभी समुदाय के लोगों की प्रतिनिधि हूं।” वर्मा के बारे में पूछे जाने पर, खातून ने उन्हें “पागल आदमी कहा, जो कि गलती से पंचायत अध्यक्ष बन गया है और इस तरह के काम से लोगों का ध्यान खींचने की कोशिश कर रहा है।” अपने दौरे के विरोध पर उन्होंने कहा कि नगर पंचायत अध्यक्ष धर्मराज वर्मा भाजपा और हिंदू युवा वाहिनी से जुड़े हैं। विधायक ने कहा कि मैं ऐसे लोगों से डरने वाली नहीं हूं। लोगों ने भी इस मुद्दे पर मेरा समर्थन किया है और बयान दिये हैं।
मंदिर के पुजारी श्रीकृष्ण दत्त शुक्ला ने कहा कि विधायक को महायज्ञ के लिए आमंत्रित किया गया था और वह शाम को वहां आई थीं। विधायक कुछ देर वहां रुकीं, समाज में सौहार्द्ध की बात की और चली गयीं। अगली सुबह धर्मराज वर्मा और उनके दल ने वहां पहुंच कर सवाल किया कि विधायक को क्यों बुलाया गया था और उनकी उपस्थिति के कारण मंदिर अपवित्र हो गया है। शुक्ला ने बताया कि इसके बाद उन्होंने गंगाजल छिड़का और सफाई की।
पुलिस बोली घटना की बाबत कोई शिकायत नहीं मिली
पुलिस ने कहा, ‘राम कथा कार्यक्रम के बाद स्थानीय पंचायत के अध्यक्ष और कुछ अन्य हिंदू संगठनों के सदस्यों ने सोमवार (27 नवंबर) को मंदिर का दौरा किया, गंगाजल छिड़का, हनुमान चालीसा का पाठ किया और खातून के खिलाफ नारे लगाए।’ मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए डुमरियागंज सर्कल अधिकारी सुजीत कुमार राय ने कहा कि पुलिस की एक टीम किसी भी टकराव की संभावना को रोकने के लिए इलाके में गश्त कर रही है और कहा कि उन्हें घटना के संबंध में अभी तक कोई शिकायत नहीं मिली है। उन्होंने कहा, ‘अगर इस संबंध में शिकायत दर्ज की जाती है तो हम उचित कार्रवाई करेंगे।’ राय ने यह भी बताया कि स्थानीय ग्रामीणों ने राम कथा के लिए एक आयोजन समिति का गठन किया था, जिसके अध्यक्ष आयोजन समिति के सचिव श्रीकांत शुक्ला और मंदिर के मुख्य पुजारी पुजारी प्रसाद थे और उन्होंने सपा नेता को आमंत्रित किया था। वहीं, सिद्धार्थनगर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) अभिषेक कुमार अग्रवाल ने कहा, ‘हम घटना की जांच कर रहे हैं और घटनाक्रम पर कड़ी नजर रख रहे हैं।’
पहले भी हो चुकी ऐसी घटनाएं
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह पहली बार नहीं है कि उत्तर प्रदेश के किसी मंदिर में ऐसी घटना हुई है। 2018 में भारतीय जनता पार्टी की एक दलित महिला विधायक के मंदिर में प्रवेश के बाद हमीरपुर जिले के एक मंदिर को गंगाजल से शुद्ध किया गया था। पिछले साल पड़ोसी राज्य बिहार में भी एक विवाद खड़ा हो गया था, जब एक मुस्लिम मंत्री ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ विष्णुपद मंदिर में प्रवेश किया था, जिसके बाद मंदिर के कर्मचारियों को परिसर को ‘शुद्ध’ किया था।
हिंदू समुदायों के धार्मिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेते रहे हैं मुस्लिम नेता
पांच बार के विधायक स्वर्गीय कमाल यूसुफ मलिक के बेटे इरफान मलिक के अनुसार, क्षेत्र के मुस्लिम नेताओं ने अतीत में हिंदू धार्मिक स्थलों की आधारशिला रखने के अलावा, हिंदू समुदाय के धार्मिक कार्यक्रमों में हिस्सा लिया है। दिप्रिंट से बातचीत में उन्होंने बताया, “स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व कांग्रेस सांसद काजी जलील अब्बासी और पांच बार के विधायक कमाल यूसुफ मलिक समेत मुस्लिम नेताओं ने हिंदू धार्मिक स्थलों पर आयोजित कार्यक्रमों में हिस्सा लिया है। सबसे पुराने मंदिरों में से एक, डुमरियागंज के मुख्य चौराहे पर मंदिर की नींव 1980 के दशक में इन दोनों लोगों ने रखी थी। मलिक ने क्षेत्र में कई मंदिरों की आधारशिला रखी है।”
मलिक ने कहा, “अगर कोई मंदिर किसी मुसलमान के जाने से अपवित्र हो जाता है, तो उन बड़े मंदिरों और मठों का क्या होगा जहां मुसलमान आस्था के साथ जाते हैं? सबसे बुरी बात, जो पंचायत नगर अध्यक्ष ने कही वह यह है कि गाय खाने वालों को मंदिरों में प्रवेश नहीं करना चाहिए। उस क्षेत्र के विधायक के लिए ये कैसा बयान है, जो हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल रहा है।”
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रविवार को मीडियाकर्मियों से बात करते हुए वर्मा ने कहा कि अगर “गाय खाने वाला कोई शख्स ऐसे स्थल में प्रवेश करता है, तो मंदिर की शुद्धता और दिव्यता भंग हो जाती है।” उन्होंने कहा, “देवी का यह स्थल अत्यंत पवित्र है। न केवल हमारे नगर पंचायत के लोग, बल्कि पड़ोसी जिलों के लोग भी देवी के दर्शन और अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए यहां आते हैं। कल, यहां शतचंडी यज्ञ का आयोजन किया गया था, जहां हमारे ही कुछ लोगों ने स्थानीय विधायक सैय्यदा खातून को बुलाया और हिंदुओं को चिढ़ाने की कोशिश की।”
मुस्लिम विधायक के जाने के बाद मंदिर का शुद्धिकरण
धर्मराज वर्मा ने कहा, "सैय्यदा खातून एक मुस्लिम हैं और गाय का मांस खाती हैं इसलिए यह पवित्र स्थान उनके आने से अपवित्र हो गया।" उन्होंने कहा कि उन्होंने कुछ अन्य लोगों के साथ मिलकर मंदिर परिसर को शुद्ध किया। वर्मा ने कहा कि शुद्धिकरण के बाद अब यह स्थान पूरी तरह से पवित्र और पूजा-पाठ के लिए उपयोगी हो गया है। वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विधायक सैय्यदा खातून ने लखनऊ से फोन पर बताया कि एक जन प्रतिनिधि होने के नाते वह निमंत्रण मिलने पर सभी धर्मों और संप्रदायों से संबंधित स्थानों का दौरा जारी रखेंगी और ऐसे किसी भी काम से उन्हें रोका नहीं जा सकता।
मैं ऐसे लोगों से डरने वाली नहीं- विधायक
मुस्लिम विधायक सैय्यदा खातून ने कहा, "क्षेत्र के कई ब्राह्मण और संत मेरे साथ जुड़े हुए हैं और उन्होंने मुझे लगभग दस दिन पहले 'समया माता मंदिर' में बुलाया था। मैं सभी धर्मों का सम्मान करती हूं। मैं क्षेत्र के सभी लोगों की विधायक हूं और जहां भी आमंत्रित किया जाएगा वहां जाऊंगी।" खातून ने कहा कि उन्होंने क्षेत्र में विभिन्न मंदिरों के नवीनीकरण का काम भी करवाया है। उन्होंने कहा कि कई मंदिरों के नवीनीकरण को उनके विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास निधि से वित्त पोषित किया गया है।
उन्होंने कहा, “एक विधायक तौर पर, मैंने अपने निर्वाचन क्षेत्र में दो हिंदू मंदिरों को फिर से बनवाया है। मैं सभी समुदाय के लोगों की प्रतिनिधि हूं।” वर्मा के बारे में पूछे जाने पर, खातून ने उन्हें “पागल आदमी कहा, जो कि गलती से पंचायत अध्यक्ष बन गया है और इस तरह के काम से लोगों का ध्यान खींचने की कोशिश कर रहा है।” अपने दौरे के विरोध पर उन्होंने कहा कि नगर पंचायत अध्यक्ष धर्मराज वर्मा भाजपा और हिंदू युवा वाहिनी से जुड़े हैं। विधायक ने कहा कि मैं ऐसे लोगों से डरने वाली नहीं हूं। लोगों ने भी इस मुद्दे पर मेरा समर्थन किया है और बयान दिये हैं।
मंदिर के पुजारी श्रीकृष्ण दत्त शुक्ला ने कहा कि विधायक को महायज्ञ के लिए आमंत्रित किया गया था और वह शाम को वहां आई थीं। विधायक कुछ देर वहां रुकीं, समाज में सौहार्द्ध की बात की और चली गयीं। अगली सुबह धर्मराज वर्मा और उनके दल ने वहां पहुंच कर सवाल किया कि विधायक को क्यों बुलाया गया था और उनकी उपस्थिति के कारण मंदिर अपवित्र हो गया है। शुक्ला ने बताया कि इसके बाद उन्होंने गंगाजल छिड़का और सफाई की।
पुलिस बोली घटना की बाबत कोई शिकायत नहीं मिली
पुलिस ने कहा, ‘राम कथा कार्यक्रम के बाद स्थानीय पंचायत के अध्यक्ष और कुछ अन्य हिंदू संगठनों के सदस्यों ने सोमवार (27 नवंबर) को मंदिर का दौरा किया, गंगाजल छिड़का, हनुमान चालीसा का पाठ किया और खातून के खिलाफ नारे लगाए।’ मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए डुमरियागंज सर्कल अधिकारी सुजीत कुमार राय ने कहा कि पुलिस की एक टीम किसी भी टकराव की संभावना को रोकने के लिए इलाके में गश्त कर रही है और कहा कि उन्हें घटना के संबंध में अभी तक कोई शिकायत नहीं मिली है। उन्होंने कहा, ‘अगर इस संबंध में शिकायत दर्ज की जाती है तो हम उचित कार्रवाई करेंगे।’ राय ने यह भी बताया कि स्थानीय ग्रामीणों ने राम कथा के लिए एक आयोजन समिति का गठन किया था, जिसके अध्यक्ष आयोजन समिति के सचिव श्रीकांत शुक्ला और मंदिर के मुख्य पुजारी पुजारी प्रसाद थे और उन्होंने सपा नेता को आमंत्रित किया था। वहीं, सिद्धार्थनगर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) अभिषेक कुमार अग्रवाल ने कहा, ‘हम घटना की जांच कर रहे हैं और घटनाक्रम पर कड़ी नजर रख रहे हैं।’
पहले भी हो चुकी ऐसी घटनाएं
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह पहली बार नहीं है कि उत्तर प्रदेश के किसी मंदिर में ऐसी घटना हुई है। 2018 में भारतीय जनता पार्टी की एक दलित महिला विधायक के मंदिर में प्रवेश के बाद हमीरपुर जिले के एक मंदिर को गंगाजल से शुद्ध किया गया था। पिछले साल पड़ोसी राज्य बिहार में भी एक विवाद खड़ा हो गया था, जब एक मुस्लिम मंत्री ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ विष्णुपद मंदिर में प्रवेश किया था, जिसके बाद मंदिर के कर्मचारियों को परिसर को ‘शुद्ध’ किया था।
हिंदू समुदायों के धार्मिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेते रहे हैं मुस्लिम नेता
पांच बार के विधायक स्वर्गीय कमाल यूसुफ मलिक के बेटे इरफान मलिक के अनुसार, क्षेत्र के मुस्लिम नेताओं ने अतीत में हिंदू धार्मिक स्थलों की आधारशिला रखने के अलावा, हिंदू समुदाय के धार्मिक कार्यक्रमों में हिस्सा लिया है। दिप्रिंट से बातचीत में उन्होंने बताया, “स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व कांग्रेस सांसद काजी जलील अब्बासी और पांच बार के विधायक कमाल यूसुफ मलिक समेत मुस्लिम नेताओं ने हिंदू धार्मिक स्थलों पर आयोजित कार्यक्रमों में हिस्सा लिया है। सबसे पुराने मंदिरों में से एक, डुमरियागंज के मुख्य चौराहे पर मंदिर की नींव 1980 के दशक में इन दोनों लोगों ने रखी थी। मलिक ने क्षेत्र में कई मंदिरों की आधारशिला रखी है।”
मलिक ने कहा, “अगर कोई मंदिर किसी मुसलमान के जाने से अपवित्र हो जाता है, तो उन बड़े मंदिरों और मठों का क्या होगा जहां मुसलमान आस्था के साथ जाते हैं? सबसे बुरी बात, जो पंचायत नगर अध्यक्ष ने कही वह यह है कि गाय खाने वालों को मंदिरों में प्रवेश नहीं करना चाहिए। उस क्षेत्र के विधायक के लिए ये कैसा बयान है, जो हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल रहा है।”
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