SKM महापंचायत: 'आंदोलन के बिना MSP नहीं देगी सरकार', मंत्री से वार्ता के बाद बोले किसान नेता

Written by Navnish Kumar | Published on: March 20, 2023

दिल्ली के रामलीला मैदान में सोमवार को संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की ओर से बुलाई महापंचायत खत्म हो गई है। दोपहर मोर्चे के 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने कृषि भवन में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की। यहां किसानों ने कृषि मंत्री को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी कानून, कर्ज माफी और अजय मिश्र टेनी का इस्तीफा आदि मांगों का पत्र सौंपा। SKM ने कहा कि अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं तो उन्हें फिर से आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा। इस दौरान किसान नेताओं ने तीन कृषि कानूनों के विरोध में हुए आंदोलन से भी बड़े आंदोलन की चेतावनी दी। SKM के अनुसार, उन्होंने 30 अप्रैल को दिल्ली में बैठक बुलाई है।

SKM नेता दर्शन पाल ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि अभी कई मुद्दे हैं, जिनका समाधान निकाला जाना बाकी है। हम 30 अप्रैल को दिल्ली में एक और बैठक बुलाएंगे। सभी किसान संगठनों से मेरी अपील है कि अपने राज्यों में रैलियां निकालें, पंचायतें करें। दर्शन पाल ने कहा कि हम रोजाना विरोध नहीं करना चाहते हैं, लेकिन हम ऐसा करने के लिए मजबूर हैं। अगर सरकार हमारी मांगें नहीं मानती है तो हम एक और आंदोलन शुरू करेंगे। जो कृषि कानूनों के विरोध में हुए आंदोलन से भी बड़ा होगा।

दिल्ली के रामलीला मैदान में सोमवार को आयोजित किसान महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) नेताओं ने मांग की है कि केंद्र सरकार ने 9 दिसंबर 2021 को जो लिखित में आश्वासन दिए थे, उन्हें पूरा करे और किसानों के सामने लगातार बढ़ते संकट को कम करने के लिए प्रभावी कदम उठाए। नरेंद्र तोमर से बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा कि अगर हमारी बात नहीं मानी गई, तो और बड़ा आंदोलन करेंगे।

किसानों ने मीटिंग में रखीं ये 5 मांगें

-एमएसपी कमेटी भंग की जाए और MSP पर गारंटी कानून बने।
-किसान आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मौत हुई, उनके परिवारों को मुआवजा मिले।
-किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मामले वापस लिए जाएं।
-अजय मिश्रा टेनी को कैबिनेट से हटाया जाए।
-संयुक्त संसदीय समिति को विचार के लिए भेजे गए बिजली संशोधन विधेयक, 2022 को वापस लिया जाए।

... एक और बड़े आंदोलन को चेताया

केंद्र सरकार ने सितंबर 2020 में संसद में तीन कृषि कानून पास किए थे। इन कानूनों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा, यूपी, एमपी समेत देश के तमाम राज्यों के किसानों ने दिल्ली में कूच किया था। करीब एक साल तक किसान दिल्ली के बार्डरों पर डटे रहे थे। इसके बाद किसानों से कई स्तर की बातचीत के बाद सरकार ने तीनों कानूनों को वापस लिया था। साथ ही किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने और एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित किसानों की लंबित मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया था। अब किसान आंदोलन के करीब तीन साल बाद हजारों किसानों ने एक बार फिर दिल्ली का रुख किया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने मांग की है कि केंद्र सरकार ने 9 दिसंबर को जो लिखित में आश्वासन दिए थे, उन्हें पूरा करे और किसानों के सामने लगातार बढ़ते संकट को कम करने के लिए प्रभावी कदम उठाए। अन्यथा की स्थिति में एक और बड़े आंदोलन का चेताया।

2024 में पूरे देश में बीजेपी का एक जैसा हश्र होगा: राकेश टिकैत 
 
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हमने एमएसपी कमेटी की मांग नहीं की, हमने एमएसपी गारंटी कानून की मांग की है। उन्होंने कहा कि हमने मुजफ्फरनगर में बीजेपी को 8 सीटों से घटाकर एक सीट पर कर दिया। 2024 में पूरे देश में बीजेपी का एक जैसा हश्र होगा। हम यहां केंद्र सरकार से मिलने आए हैं। आपसी सहमति से मसले को सुलझाना चाहिए। संयुक्त किसान मोर्चा देश भर में पंचायतों का आयोजन करता है। हमने कभी एमएसपी पर कमेटी की मांग नहीं की है, हमने एमएसपी गारंटी कानून की मांग की है। उन्हें संसद में बिल पेश करना चाहिए और इसे पास करना चाहिए।

राकेश टिकैत मोदी सरकार पर भी जमकर बरसे। उन्होंने कहा सबको पता है कि देश में बेरोजगारी का क्या माहौल है। युवाओं को नौकरी का वादा किया था, लेकिन अभी तक किसी युवा को नौकरी नहीं मिल पाई। केंद्र सिर्फ पूंजीपतियों और कॉर्पोरेट घरानों को फायदा पहुंचा रही है। ऐसे में जब कोई केंद्र सरकार के खिलाफ बोलता है उसके पीछे वह ईडी और सीबीआई को लगा देते हैं। देश में अराजकता जैसा माहौल बना हुआ है। किसान नेता ने कहा वह हमें भी डराने की कोशिश करेंगे, लेकिन हम डरने वाले नहीं हैं। टिकैत ने कहा खाप पंचायतों पर मोदी सरकार सबसे ज्यादा टारगेट कर रही है। केंद्र खाप पंचायतों को जाट खाप पंचायत बनाना चाहती हैं, ताकि अलग-अलग पंचायतों को आपस में लड़ाकर किसान संगठनों को कमजोर कर सके।

महापंचायत में 32 किसान संगठन हुए शामिल

किसान नेता राकेश टिकैत ने बताया कि इस महापंचायत में 32 किसान संगठन शामिल हुए। महापंचायत से पहले किसानों ने कहा था कि हमारा आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार हमारी मांगें पूरी नहीं कर देती। उन्होंने बताया कि सरकार ने हमने से जो वादे किए थे, वो अभी तक पूरे नहीं हुए हैं। सरकार किसानों को दोबारा आंदोलन करने के लिए मजबूर कर रही है।

किसान नेताओं ने कहा कि कृषि में बढ़ती लागत और लाभकारी मूल्य न मिलने के कारण 80 फीसदी से ज्यादा किसान कर्ज में डूब चुके हैं। वह आत्महत्या करने के लिए मजबूर हैं, इस बात को ध्यान में रखते हुए सरकार किसानों के लिए कर्ज मुक्ति और उर्वरकों सहित लागत कीमतों में कमी करें। बता दें कि किसान कर्ज माफी, 5000 रुपए की हर महीने पेंशन, सिंचाई के लिए 300 यूनिट मुफ्त बिजली और एमएसपी की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज हुए मामले वापस लेने और केंद्रीय मंत्री टेनी के इस्तीफे आदि की भी मांग हैं।

SKM का केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप

एसकेएम नेताओं ने केंद्र सरकार के कॉर्पोरेट-समर्थक विकास की निंदा की। उनका आरोप है कि कॉर्पोरेट लाभ के लिए खेत, वन और प्राकृतिक संसाधनों को छीनने के लिए है, कृषि आय को कम किया जा रहा है।प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा मोदी सरकार ने किसानों की आय दोगुना करने का वादा किया था, लेकिन आय दोगुनी के बजाय और कम होती जा रही है। अदानी-अंबानी को केंद्र फायदा पहुंचा रही है। किसानों का लोन माफ नहीं किया जाता। बिजली भी बड़ी समस्या है। सरकार ने खेती करने के कई संसाधनों को महंगा कर दिया है। बाजार में किसानों का सामान सस्ता जा रहा है। जबकि कॉर्पोरेट घरानों का सामान महंगा बिक रहा है। वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर किसानों ने निशाना साधते हुए कहा है कि वित्त मंत्री ने करोड़ों का लोन कॉरपोरेट जगत के लोगों को तो माफ कर दिया, लेकिन अभी तक किसानों का कोई भी लोन माफ नहीं किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘अमीर, और अधिक अमीर होते जा रहे हैं जबकि सभी को भोजन प्रदान करने वाले किसानों के पास खाने के लिए कुछ नहीं है। केवल पांच प्रतिशत भारतीयों के पास देश की ज्यादातर संपत्ति है। दूसरी ओर, किसानों को अपने बच्चों की शादी का खर्च उठाने के लिए अपनी जमीन बेचनी पड़ती है।’’

कृषि मंत्री से मुलाकात में किसानों के प्रतिनिधिमंडल में ये रहे शामिल

किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से कृषि भवन में मुलाकात की। किसान नेता उनसे मुलाकात के लिए दिल्ली पुलिस की वैन से पहुंचे थे। इस प्रतिनिधिमंडल में दर्शन पाल- क्रांतिकारी किसान यूनियन, जोगिंदर सिंह उगराहां- बीकेयू उगराहा, युद्धवीर सिंह- बीकेयू टिकैत के साथ आर वेंकैया- अखिल भारतीय किसान सभा, डॉ सुनीलम- किसान संघर्ष समिति, प्रेम सिंह गहलावत- अखिल भारतीय किसान महासभा, वी वेंकटरमैया- अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा, सुरेश कोठ- भारतीय किसान मजदूर यूनियन, हन्नान मोल्लाह- अखिल भारतीय किसान सभा, बूटा सिंह बुर्जगिल- भारतीय किसान यूनियन (दकुंडा), जोगिंदर सिंह उगराहा- भारतीय किसान यूनियन (उगराहा), सत्यवान- अखिल भारतीय किसान खेत मजदूर संगठन, पुष्पेंद्र सिंह - जय किसान आंदोलन, मंजीत राय- भारतीय किसान यूनियन (दोआबा), हरिंदर लखोवाल- भारतीय किसान यूनियन (लखोवाल) तथा सतनाम सिंह बहरू- भारतीय किसान संघ शामिल रहे।

पंजाब के हालातों का किसान महापंचायत पर दिखा असर

पंजाब में खालिस्तानी नेता अमृतपाल सिंह के मामले को लेकर हालात गर्म है। इसी बीच दिल्ली में बुलाई गई किसान महापंचायत में शामिल होने वाले किसानों की संख्या पर भी असर पड़ा है। वहीं, मौसम का मिजाज और इंटरनेट बैन के चलते पंजाब से उम्मीद से कम किसान संगठन ही अभी तक रामलीला मैदान में पहुंचे हैं। इसके बावजूद बड़ी संख्या में किसान रामलीला मैदान पहुंचे हैं।

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