Everyday Harmony: महाराष्ट्र में शिवपुराण कथा के लिए मुस्लिम परिवार ने अपनी फसल उजाड़ दी

Written by Sabrangindia Staff | Published on: January 17, 2023
परभणी जिले के हिंदू और मुसलमानों ने स्वीकृति और सहिष्णुता के संदेश से सांप्रदायिक तनाव को मिटाने का प्रयास किया


Image Courtesy: navbharattimes.indiatimes.com
 
परभणी जिले के एक हिंदू धार्मिक कार्यक्रम के लिए मुस्लिम परिवार ने अपनी 60 एकड़ जमीन खाली कर दी। मुसलमानों ने जमीन पर उगी अपनी सारी फसलों को नष्ट कर दिया ताकि स्थानीय हिंदू समुदाय के लोगों को जगह मिल सके।
 
महाराष्ट्र के औरंगाबाद के परभणी क्षेत्र में एक मुस्लिम परिवार ने अपनी 60 एकड़ जमीन पांच दिवसीय हिंदू धार्मिक उत्सव आयोजित करने के लिए दे दी। मुस्लिम परिवार के इस कदम की चारों तरफ तारीफ हो रही है। गौरतलब है कि सौहार्द की यह खबर एक ऐसी जगह से आई है जहां परभणी के अंतर-सांप्रदायिक हिंसा के इतिहास के कारण प्रशासन आमतौर पर लगातार सतर्क रहता है।

मुस्लिम परिवार ने न केवल पांच दिनों के लिए मुफ्त में जमीन दी है, बल्कि उन्होंने 15 एकड़ में बोई गयी अरहर और चार एकड़ में बोई गयी मूंग की खड़ी फसल को भी उजाड़ दिया। दरअसल, शिवपुराण कथा के आयोजन के लिए परभणी के सांसद संजय जाधव के नेतृत्व में आयोजक महाराष्ट्र के परभणी शहर के आसपास के इलाके में खुली जमीन की तलाश कर रहे थे, लेकिन फसलों के कारण उन्हें जमीन कहीं नहीं मिली। जब ये मामला सैयद परिवार के पास पहुंचा तो धार्मिक आयोजन के लिए किराए पर जमीन देने के बजाए उन्होंने अपनी जमीन मुफ्त में दे दी।
  
15 जनवरी को, सैयद परिवार की संपत्ति पर शिवपुराण कथा का पाठ शुरू हुआ। 
 
परिवार ने अपनी संपत्ति पर एक हिंदू धार्मिक सभा की अनुमति देने के लिए पहल की, जैसा कि अतीत में हिंदुओं ने मुसलमानों को प्रदान किया था। पिछले महीने ही, मुसलमानों और कुछ हिंदू भाइयों ने तब्लीगी जमात इज्तेमा के तीन दिवसीय रिट्रीट के लिए अपने खेत दान किए थे, जिसमें लगभग तीन लाख लोगों ने भाग लिया था।
 
सैयद शोएब नाम के परिवार के एक 25 वर्षीय सदस्य ने मीडिया से कहा, “आज की तारीख में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। हमारा कदम विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच की खाई को निस्वार्थ रूप से पाटने के उद्देश्य से है।”
 
उन्होंने यह भी कहा कि खेत में परिवार के खाने के लिए मूंग बोई थी जो बिक्री के लिए नहीं। स्थानीय लोगों ने इस तरह के संदेश के लिए उस परिवार को सम्मानित किया।
 
उन्होंने दावा किया कि परभणी पहले अंतर-सांप्रदायिक हिंसा की शिकार रहा है और इस इशारे का उद्देश्य विभिन्न समूहों के बीच तनाव को कम करना था।

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