"2002 में हमने सबक सिखाया तो गुजरात में अखंड शांति आई, अमित शाह के इस बयान को चुनाव आयोग ने गलत नहीं माना है। सेवानिवृत्त नौकरशाह ईएएस सरमा ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि गृहमंत्री के भाषण ने आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है।"
गुजरात विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान गृह मंत्री अमित शाह की ‘2002 में एक सबक सिखाया’ वाली टिप्पणी को चुनाव आयोग ने गलत नहीं माना है। 25 नवंबर को एक रैली में प्रचार के दौरान अमित शाह ने कहा था कि भाजपा सरकार ने 2002 में दंगाइयों को सबक सिखाया था। केंद्रीय चुनाव आयोग ने माना कि इस टिप्पणी के कारण आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का उल्लंघन नहीं हुआ है।
सूत्रों ने कहा कि शिकायत की जांच की गई और गुजरात के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से रिपोर्ट मांगी। जनसत्ता में प्रकाशित एक खबर के अनुसार, एक सूत्र ने कहा कि चुनाव आयोग ने पाया कि गृह मंत्री “बदमाशों” को सबक सिखाने की बात कर रहे थे, न कि किसी विशेष समुदाय की। शिकायतकर्ता सरमा ने कहा कि उन्हें उनकी शिकायत के साथ साथ चुनाव आयोग को दो बाद के पत्रों का कोई जवाब नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को अपने फैसले को अपनी वेबसाइट के माध्यम से सार्वजनिक करना चाहिए क्योंकि यह सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत एक सार्वजनिक प्राधिकरण था और स्वत: प्रकटीकरण करने के लिए आवश्यक था।
विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एक न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि चुनाव आयोग ने इस बयान को लेकर राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी से लेकर कानूनी राय भी लीं। इसके बाद आयोग ने पाया कि शाह का दंगाइयों के खिलाफ बयान आचार संहिता का उल्लंघन नहीं था। इसलिए गृह मंत्री को मामले में राहत मिलती दिख रही है। बता दें कि शाह के बयान पर असदुद्दीन ओवैसी ने भी निशाना साधा था।
क्या कहा था अमित शाह ने?
अमित शाह ने खेड़ा जिले के महुधा में एक रैली के दौरान कहा था कि कांग्रेस के राज के दौरान (1995 से पहले) राज्य में सांप्रदायिक दंगे ज्यादा होते थे। कांग्रेस अलग-अलग समुदाय और जातियों के लोगों को भड़काने का काम करती थी, ताकि वे एक-दूसरे के खिलाफ लड़ें। इन दंगों के जरिए ही कांग्रेस अपने वोट बैंक को मजबूत रखती थी और समाज के साथ अन्याय करती थी।
शाह ने कहा था कि गुजरात को 2002 में दंगों का सामना करना पड़ा था। लेकिन अशांति फैलाने वालों को 2002 में सबक सिखाया गया। जिसके बाद राज्य में शांति कायम हुई है। भाजपा ने गुजरात में स्थायी शांति स्थापित की है। शाह के इसी बयान के खिलाफ एक नौकरशाह ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी, जिस पर चुनाव आयोग विचार कर रहा था।
दोनों राज्यों में MCC उलंघन के 7 हजार मामले
इस बीच गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव, जो गुरुवार को परिणामों की घोषणा के साथ खत्म हो गए। ईसीआई के सीविजिल ऐप के माध्यम से आचार संहिता (MCC) उल्लंघन के क्रमशः दोनों राज्यों आचार संहिता उलंघन के 6,000 और 1,000 से अधिक मामले देखे गए। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इनमें से हिमाचल में 800 और गुजरात में 5,100 मामले सही पाए गए। गुजरात में लगभग 3,600 मामले बिना अनुमति के पोस्टर और बैनर प्रदर्शित करने से संबंधित थे, जबकि हिमाचल में यह संख्या 580 थी। हिमाचल में ऐप के माध्यम से धन वितरण के 185 मामले सामने आए थे। दोनों राज्यों में अधिकारियों ने मतदाताओं को लुभाने के लिए दी जाने वाली मुफ्त उपहारों की जब्ती भी की है। जानकारी के अनुसार, गुजरात में 801.85 करोड़ रुपये की नकदी, शराब, ड्रग्स, कीमती धातु और अन्य उपहारों की बरामदगी की जो 2017 के चुनावों में 27.21 करोड़ रुपये की जब्ती से बहुत अधिक थी।
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सूत्रों ने कहा कि शिकायत की जांच की गई और गुजरात के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से रिपोर्ट मांगी। जनसत्ता में प्रकाशित एक खबर के अनुसार, एक सूत्र ने कहा कि चुनाव आयोग ने पाया कि गृह मंत्री “बदमाशों” को सबक सिखाने की बात कर रहे थे, न कि किसी विशेष समुदाय की। शिकायतकर्ता सरमा ने कहा कि उन्हें उनकी शिकायत के साथ साथ चुनाव आयोग को दो बाद के पत्रों का कोई जवाब नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को अपने फैसले को अपनी वेबसाइट के माध्यम से सार्वजनिक करना चाहिए क्योंकि यह सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत एक सार्वजनिक प्राधिकरण था और स्वत: प्रकटीकरण करने के लिए आवश्यक था।
विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एक न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि चुनाव आयोग ने इस बयान को लेकर राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी से लेकर कानूनी राय भी लीं। इसके बाद आयोग ने पाया कि शाह का दंगाइयों के खिलाफ बयान आचार संहिता का उल्लंघन नहीं था। इसलिए गृह मंत्री को मामले में राहत मिलती दिख रही है। बता दें कि शाह के बयान पर असदुद्दीन ओवैसी ने भी निशाना साधा था।
क्या कहा था अमित शाह ने?
अमित शाह ने खेड़ा जिले के महुधा में एक रैली के दौरान कहा था कि कांग्रेस के राज के दौरान (1995 से पहले) राज्य में सांप्रदायिक दंगे ज्यादा होते थे। कांग्रेस अलग-अलग समुदाय और जातियों के लोगों को भड़काने का काम करती थी, ताकि वे एक-दूसरे के खिलाफ लड़ें। इन दंगों के जरिए ही कांग्रेस अपने वोट बैंक को मजबूत रखती थी और समाज के साथ अन्याय करती थी।
शाह ने कहा था कि गुजरात को 2002 में दंगों का सामना करना पड़ा था। लेकिन अशांति फैलाने वालों को 2002 में सबक सिखाया गया। जिसके बाद राज्य में शांति कायम हुई है। भाजपा ने गुजरात में स्थायी शांति स्थापित की है। शाह के इसी बयान के खिलाफ एक नौकरशाह ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी, जिस पर चुनाव आयोग विचार कर रहा था।
दोनों राज्यों में MCC उलंघन के 7 हजार मामले
इस बीच गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव, जो गुरुवार को परिणामों की घोषणा के साथ खत्म हो गए। ईसीआई के सीविजिल ऐप के माध्यम से आचार संहिता (MCC) उल्लंघन के क्रमशः दोनों राज्यों आचार संहिता उलंघन के 6,000 और 1,000 से अधिक मामले देखे गए। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इनमें से हिमाचल में 800 और गुजरात में 5,100 मामले सही पाए गए। गुजरात में लगभग 3,600 मामले बिना अनुमति के पोस्टर और बैनर प्रदर्शित करने से संबंधित थे, जबकि हिमाचल में यह संख्या 580 थी। हिमाचल में ऐप के माध्यम से धन वितरण के 185 मामले सामने आए थे। दोनों राज्यों में अधिकारियों ने मतदाताओं को लुभाने के लिए दी जाने वाली मुफ्त उपहारों की जब्ती भी की है। जानकारी के अनुसार, गुजरात में 801.85 करोड़ रुपये की नकदी, शराब, ड्रग्स, कीमती धातु और अन्य उपहारों की बरामदगी की जो 2017 के चुनावों में 27.21 करोड़ रुपये की जब्ती से बहुत अधिक थी।
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