आज जहां पूरा देश भगवान बिरसा मुंडा की जयंती दिवस पर आदिवासी समाज के हक और न्याय की आवाज बुलंद कर रहा है वहीं, यूपी में योगी सरकार द्वारा आदिवासी महिला नेता को थाने ले जाकर डिटेन कर लिया गया। सोनभद्र पुलिस द्वारा यह दमनीय कार्रवाई तब की गई जब सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ खुद सोनभद्र के दौरे पर गए हुए थे। मौका था बभनी के सेवाकुंज आश्रम में आयोजित जनजाति गौरव दिवस का। आदिवासी महिला नेता और अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुकालो गोंड, भी क्षेत्र के 22 गांव के सामुदायिक अधिकार दावों के निस्तारण की मांग को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने बभनी इसी कार्यक्रम में गई थी लेकिन उनकी बात सुनने की बजाय, उन्हें सरकार की क्रूर दमनीय कार्रवाई का शिकार होना पड़ा हैं। सोनभद्र की बभनी थाना पुलिस की इस दमनीय कार्रवाई की चारों ओर निंदा हो रही है। मुख्यमंत्री के जाने के बाद देर शाम उन्हें छोड़ा गया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मंगलवार सुबह अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन की अध्यक्ष सुकालो गोंड, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बभनी आगमन पर आदिवासी मुद्दों पर उनसे मिलने गई थीं जहां सोनभद्र पुलिस द्वारा उन्हें थाने में बिठा लिया गया। उन्होंने खुद अपने फोन से यह खबर मैसेज रिकॉर्ड कर के भेजा। सोनभद्र के बभनी क्षेत्र में यूपी के मुख्यमंत्री वनाधिकार कानून के तहत आदिवासियो को अधिकार पत्र वितरित करने के लिए गए हुए थे। उसी कार्यक्रम में क्षेत्र के 22 गांव जिन्होंने अपने सामुदायिक अधिकार दावे 2018 से फाइल किए हुए हैं और जिन पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उसी को लेकर आदिवासी महिला नेता सुकालो गोंड मुख्यमंत्री से मिलकर ज्ञापन देना चाहती थी लेकिन सुकालो को हिरासत में लेकर बभनी थाने में बैठा लिया गया और मुख्यमंत्री के जाने के बाद देर शाम उन्हें छोड़ा गया।
खास है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बभनी के सेवाकुंज आश्रम में आयोजित जनजाति गौरव दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल गए थे जहां उनका 5100 आदिवासी वन निवासियों को अधिकार पत्र देने का कार्यक्रम था। वन भूमि पर अधिकार के लिए आदिवासी वनवासी समाज का संघर्ष वर्षों से चला आ रहा है। 2006 में वनाधिकार अधिनियम पारित हुआ लेकिन डेढ़ दशक बाद भी सामुदायिक अधिकार मिलना बेमानी ही बना है। कुछ लोगों को आधे अधूरे व्यक्तिगत अधिकार जरूर मिले हैं।
खास बात यह है कि यूपी में आदिवासी महिला नेता को हिरासत में लेने और जबरन थाने में बिठाकर रखने की यह कार्रवाई महानायक बिरसा मुंडा की जयंती पर हुई है। वह भी तब जब यूपी सरकार जनजाति गौरव दिवस मना रही थी और सूबे के मुख्यमंत्री के हाथों व्यक्तिगत अधिकार पत्रों का वितरण किया जाना था। सुकालो गोंड जो ऑल इंडिया यूनियन ऑफ फॉरेस्ट वर्किंग पीपल (AIUFWP) की अध्यक्ष हैं। वह क्षेत्र के 22 गांवों के ग्रामीणों के सामुदायिक अधिकार पत्र के दावों की फाइलों में कार्रवाई की मांग की बाबत मुख्यमंत्री को ज्ञापन देने जा रही थी। हालांकि, उसे कार्यक्रम से पहले सुबह ही हिरासत में लिया गया था। "द वायर" की खबर के अनुसार सुकालो के साथी कार्यकर्ता किस्मतिया गोंड ने कहा, “उसे अभी भी हिरासत में रखा गया है, हम साथ थे और उसे उठाया गया और स्टेशन से बाहर भेज दिया गया। किसी को भी स्टेशन जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है।” "द वायर" के अनुसार, जब द वायर पुलिस अधीक्षक (एसपी) यशवीर सिंह के कार्यालय पहुंचा, और पीआरओ ने कहा कि सुकालो गोंड को जल्द ही रिहा कर दिया जाएगा। हालांकि, उन्होंने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि आखिर उन्हें हिरासत में क्यों लिया गया है?।
सुकालो सोनभद्र क्षेत्र में आदिवासियों के लिए भूमि अधिकारों के संघर्ष में लंबे समय से सक्रिय हैं, जिनकी 70% जनजातीय आबादी है। इससे पहले वह 2015 में कनहर बांध के लिए गैर कानूनी तरीके से हो रहे भूमि अधिग्रहण के खिलाफ संघर्ष के दौरान भी मिर्जापुर में एक महीने के लिए जेल रहीं थीं। यही नहीं, वनाधिकार कानून के क्रियान्वयन न होने के चलते विरोध करने पर 2018 में भी उन्हें झूठे केस में जेल भेजा गया था। क्षेत्र में आदिवासी समुदाय के साथ इस तरह का उत्पीड़न आम हो चला है।
वीडियो स्क्रीनशॉट
महानायक और आदिवासी नेता बिरसा मुंडा के जयंती दिवस पर आदिवासियों के दमन की इस पुलिसिया कार्रवाई की चारों ओर निंदा हो रही है। अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक चौधरी ने कहा कि महानायक बिरसा मुंडा के जयंती दिवस पर आदिवासियों का दमन हो रहा है। सुकालो गोंड संसद द्वारा पारित वनाधिकार कानून के तहत दावा की गई फाइलों को 22 गांव के आदिवासी समाज की तरफ से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को देने जा रही थी। अब जहां एक और आदिवासियों के नाम पर सरकार उत्सव कर रही है वहीं दूसरी ओर उनसे अपने अधिकार मांगने का अधिकार भी छीना जा रहा है। ये फरेबी और गुंडागर्दी का कुशासन चल रहा है जिसकी हम पुरजोर निंदा करते हैं।
अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन की राष्ट्रीय महासचिव रोमा का कहना है कि सोनभद्र में लंबे समय से वनाधिकार आंदोलन चल रहा है। हालांकि यह आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है लेकिन यहां के प्रशासन में दबंगों और सामंतो का कब्जा हो रखा है जिसके दबाव में स्थानीय प्रशासन लगातार आदिवासियों का दमन करता आ रहा है ताकि आदिवासी अपने संवैधानिक अधिकारों को हासिल न कर सके और देश के विकास में अपना स्वतंत्र योगदान न दे सके। इसी का जीता जागता नमूना सुकालो गोंड को थाने में डिटेन करना है। हम इस पुलिसिया कार्रवाई की निंदा करते हैं और मुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए और आदिवासियों के कानूनी अधिकार बहाल किए जाए।
''बभनी थाने में पुलिस द्वारा गैर कानूनी तरीके से निरुद्ध करने के दौरान सुकालो जी से उनका मोबाइल, पर्स और जैकेट भी छीन लिया गया और बिना कारण बताये उन्हें थाने में पूरा दिन बैठाकर रखा गया। सोनभद्र प्रशासन द्वारा आदिवासी महिलाओं के साथ किये गये इस अभद्रतापूर्ण रवैये का हम पूर्ण रूप से विरोध करते हैं और इसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हैं।'' रोमा
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मंगलवार सुबह अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन की अध्यक्ष सुकालो गोंड, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बभनी आगमन पर आदिवासी मुद्दों पर उनसे मिलने गई थीं जहां सोनभद्र पुलिस द्वारा उन्हें थाने में बिठा लिया गया। उन्होंने खुद अपने फोन से यह खबर मैसेज रिकॉर्ड कर के भेजा। सोनभद्र के बभनी क्षेत्र में यूपी के मुख्यमंत्री वनाधिकार कानून के तहत आदिवासियो को अधिकार पत्र वितरित करने के लिए गए हुए थे। उसी कार्यक्रम में क्षेत्र के 22 गांव जिन्होंने अपने सामुदायिक अधिकार दावे 2018 से फाइल किए हुए हैं और जिन पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उसी को लेकर आदिवासी महिला नेता सुकालो गोंड मुख्यमंत्री से मिलकर ज्ञापन देना चाहती थी लेकिन सुकालो को हिरासत में लेकर बभनी थाने में बैठा लिया गया और मुख्यमंत्री के जाने के बाद देर शाम उन्हें छोड़ा गया।
खास है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बभनी के सेवाकुंज आश्रम में आयोजित जनजाति गौरव दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल गए थे जहां उनका 5100 आदिवासी वन निवासियों को अधिकार पत्र देने का कार्यक्रम था। वन भूमि पर अधिकार के लिए आदिवासी वनवासी समाज का संघर्ष वर्षों से चला आ रहा है। 2006 में वनाधिकार अधिनियम पारित हुआ लेकिन डेढ़ दशक बाद भी सामुदायिक अधिकार मिलना बेमानी ही बना है। कुछ लोगों को आधे अधूरे व्यक्तिगत अधिकार जरूर मिले हैं।
खास बात यह है कि यूपी में आदिवासी महिला नेता को हिरासत में लेने और जबरन थाने में बिठाकर रखने की यह कार्रवाई महानायक बिरसा मुंडा की जयंती पर हुई है। वह भी तब जब यूपी सरकार जनजाति गौरव दिवस मना रही थी और सूबे के मुख्यमंत्री के हाथों व्यक्तिगत अधिकार पत्रों का वितरण किया जाना था। सुकालो गोंड जो ऑल इंडिया यूनियन ऑफ फॉरेस्ट वर्किंग पीपल (AIUFWP) की अध्यक्ष हैं। वह क्षेत्र के 22 गांवों के ग्रामीणों के सामुदायिक अधिकार पत्र के दावों की फाइलों में कार्रवाई की मांग की बाबत मुख्यमंत्री को ज्ञापन देने जा रही थी। हालांकि, उसे कार्यक्रम से पहले सुबह ही हिरासत में लिया गया था। "द वायर" की खबर के अनुसार सुकालो के साथी कार्यकर्ता किस्मतिया गोंड ने कहा, “उसे अभी भी हिरासत में रखा गया है, हम साथ थे और उसे उठाया गया और स्टेशन से बाहर भेज दिया गया। किसी को भी स्टेशन जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है।” "द वायर" के अनुसार, जब द वायर पुलिस अधीक्षक (एसपी) यशवीर सिंह के कार्यालय पहुंचा, और पीआरओ ने कहा कि सुकालो गोंड को जल्द ही रिहा कर दिया जाएगा। हालांकि, उन्होंने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि आखिर उन्हें हिरासत में क्यों लिया गया है?।
सुकालो सोनभद्र क्षेत्र में आदिवासियों के लिए भूमि अधिकारों के संघर्ष में लंबे समय से सक्रिय हैं, जिनकी 70% जनजातीय आबादी है। इससे पहले वह 2015 में कनहर बांध के लिए गैर कानूनी तरीके से हो रहे भूमि अधिग्रहण के खिलाफ संघर्ष के दौरान भी मिर्जापुर में एक महीने के लिए जेल रहीं थीं। यही नहीं, वनाधिकार कानून के क्रियान्वयन न होने के चलते विरोध करने पर 2018 में भी उन्हें झूठे केस में जेल भेजा गया था। क्षेत्र में आदिवासी समुदाय के साथ इस तरह का उत्पीड़न आम हो चला है।
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महानायक और आदिवासी नेता बिरसा मुंडा के जयंती दिवस पर आदिवासियों के दमन की इस पुलिसिया कार्रवाई की चारों ओर निंदा हो रही है। अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक चौधरी ने कहा कि महानायक बिरसा मुंडा के जयंती दिवस पर आदिवासियों का दमन हो रहा है। सुकालो गोंड संसद द्वारा पारित वनाधिकार कानून के तहत दावा की गई फाइलों को 22 गांव के आदिवासी समाज की तरफ से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को देने जा रही थी। अब जहां एक और आदिवासियों के नाम पर सरकार उत्सव कर रही है वहीं दूसरी ओर उनसे अपने अधिकार मांगने का अधिकार भी छीना जा रहा है। ये फरेबी और गुंडागर्दी का कुशासन चल रहा है जिसकी हम पुरजोर निंदा करते हैं।
अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन की राष्ट्रीय महासचिव रोमा का कहना है कि सोनभद्र में लंबे समय से वनाधिकार आंदोलन चल रहा है। हालांकि यह आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है लेकिन यहां के प्रशासन में दबंगों और सामंतो का कब्जा हो रखा है जिसके दबाव में स्थानीय प्रशासन लगातार आदिवासियों का दमन करता आ रहा है ताकि आदिवासी अपने संवैधानिक अधिकारों को हासिल न कर सके और देश के विकास में अपना स्वतंत्र योगदान न दे सके। इसी का जीता जागता नमूना सुकालो गोंड को थाने में डिटेन करना है। हम इस पुलिसिया कार्रवाई की निंदा करते हैं और मुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए और आदिवासियों के कानूनी अधिकार बहाल किए जाए।
''बभनी थाने में पुलिस द्वारा गैर कानूनी तरीके से निरुद्ध करने के दौरान सुकालो जी से उनका मोबाइल, पर्स और जैकेट भी छीन लिया गया और बिना कारण बताये उन्हें थाने में पूरा दिन बैठाकर रखा गया। सोनभद्र प्रशासन द्वारा आदिवासी महिलाओं के साथ किये गये इस अभद्रतापूर्ण रवैये का हम पूर्ण रूप से विरोध करते हैं और इसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हैं।'' रोमा