हर साल कई सफाई कर्मचारियों की सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई करते हुए मौत हो जाती है। यह गैरकानूनी प्रथा आजादी के 75 साल बाद भी मौजूद है। भारत सरकार एक ओर जहाँ चाँद पर जाने के लिए अपनी पीठ थपथपाती है, वहीं दूसरी ओर, देश में मशीनीकरण की कमी के चलते सफाई कर्मचारियों की सीवरों में लगातार मौतें हो रही हैं।
राजधानी दिल्ली में एकबार फिर दो सफाईकर्मियों ने सफाई करते हुए अपनी जान गंवा दी। यह घटना बाहरी दिल्ली के मुंडका इलाके में शुक्रवार 9 सितंबर को एक सीवर की सफाई के दौरान हुई। आज यानी 13 सितंबर को दिल्ली हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए दिल्ली की केजरीवाल सरकार, दिल्ली नगर निगम और दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को नोटिस भेजा और जवाब तलब किया है। साथ ही परिजनों और कार्यकर्ताओं ने इस पूरी घटना को लेकर भी गंभीर सवाल उठाए।
क्या है पूरा मामला?
आउटर दिल्ली के मुंडका इलाके के बक्करवाला स्थित एक अपार्टमेंट में शुक्रवार को एक सीवर की सफाई के लिए गए सफाईकर्मी और एक सुरक्षाकर्मी की उस सीवर से निकली जहरीली गैस के कारण मौत हो गई। मृतकों की पहचान 32 वर्षीय रोहित चांडिल्य और 30 वर्षीय अशोक के रूप में हुई। हादसे के वक्त दोनों कर्मचारियों ने सुरक्षा के कोई उपकरण नहीं पहने हुए थे और न ही उनको सोसायटी द्वारा व विभाग वालों ने कोई उपकरण दिये गए थे। बताते चलें कि इससे पहले भी दिल्ली में इस तरह के हादसे हो चुके हैं। पुलिस ने बताया कि बाहरी दिल्ली के मुंडका इलाके में नौ सितंबर को सीवर की सफाई करने गए एक सफाईकर्मी और एक सुरक्षा गार्ड की जहरीली गैस के संपर्क में आने से मौत हो गई थी।
ज्ञात हो कि हर साल कई सफाई कर्मचारी सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई करते हुए मौत होती है। यह गैरकानूनी प्रथा आजादी के 75 साल बाद भी मौजूद है। भारत सरकार एक ओर जहाँ चाँद पर जाने के लिए अपनी पीठ थपथपाती है, वहीं दूसरी ओर, देश में मशीनीकरण की कमी के चलते सफाई कर्मचारियों की सीवरों में लगातार मौतें हो रही हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने स्वतः लिया संज्ञान
दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा शहर में एक सीवर की सफाई के दौरान दो लोगों की मौत के मामले का संज्ञान लिया। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने 11 सितंबर को प्रकाशित एक समाचार रिपोर्ट के आधार पर घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए एक जनहित याचिका दर्ज करने का निर्देश दिया था और मामले में दिल्ली नगर निगम, दिल्ली सरकार और दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को नोटिस जारी किया।
कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव को सहायता के लिए न्याय मित्र (अदालत का मित्र) नियुक्त किया था।
दिल्ली सरकार ने एलजी पर लगाए गंभीर सवाल
कोर्ट द्वरा मामले का संज्ञान लेने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) ने उपराज्यपाल वी के सक्सेना पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके अधीन आने वाला दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) इस दुखद घटना के लिए जिम्मेदार है।
अदालत के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए ‘आप’ के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल ‘बिना किसी जवाबदेही के पद का लुत्फ नहीं ले सकते।’ पार्टी के आरोप पर उपराज्यपाल कार्यालय या दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
डीजेबी के उपाध्यक्ष भारद्वाज ने कहा, ‘‘मैं दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सतीश शर्मा को मामले का स्वत: संज्ञान लेने और यह पूछने के लिए धन्यवाद देता हूं कि जब दिल्ली में हाथ से मैला ढोने पर प्रतिबंध है तो यह घटना कैसे हुई।’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘डीडीए, जो सीधे उपराज्यपाल के अधीन आता है, इन दो लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार है। उपराज्यपाल बिना जवाबदेही के पद का लुत्फ नहीं ले सकते।’’
भारद्वाज ने दावा किया कि यह स्पष्ट है कि ‘सवालों के घेरे में आया विभाग’ इस मुद्दे से बच रहा है और अपने ‘गंभीर अपराध’ को स्वीकार नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस मामले में सीवर लाइन से लेकर पंपिंग स्टेशन तक, सब दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के नियंत्रण में है।
डीजेबी के उपाध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने समाचार पत्रों में घटना के बारे में पढ़ने के तुरंत बाद इसका संज्ञान लिया और अपने कार्यालय से रिपोर्ट मांगी।
उन्होंने सक्सेना पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘हमने उपराज्यपाल कार्यालय के उचित कदम उठाने और उनके जिम्मेदारी स्वीकार करने का इंतजार किया, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं की टालमटोल के बीच उन्होंने जो चुप्पी बनाए रखी है, वह शर्मनाक है।’’
‘आप’ नेता ने आरोप लगाया कि इस मामले में उपराज्यपाल कार्यालय ने उच्च न्यायालय को गुमराह करने की ‘भरपूर कोशिश’ की।
उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार के वकील ने अदालत में यह नहीं बताया कि डीडीए की गलती है? इसके बजाय अदालत ने दिल्ली सरकार, एमसीडी (दिल्ली नगर निगम) और दिल्ली जल बोर्ड को नोटिस जारी किया।’’
भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली सरकार के वकील ‘निश्चित रूप से’ अदालत को ‘एक संपूर्ण रिपोर्ट’ सौंपेंगे, लेकिन उपराज्यपाल को यह समझना चाहिए कि सत्ता हमेशा जवाबदेही के साथ आती है, ‘उपराज्यपाल जवाबदेही से इस तरह भाग नहीं सकते।’
उन्होंने सवाल किया, ‘‘उपराज्यपाल ने पीड़ितों के परिवारों से मुलाकात क्यों नहीं की? क्या उन्होंने खेद जताया या शोक व्यक्त किया? उपराज्यपाल ने ऐसी घटना को दोबारा नहीं होने देने के लिए डीडीए में किए गए सुधारात्मक उपायों की रूपरेखा क्यों नहीं बनाई?’’
‘आप’ नेता ने कहा, ‘‘यह प्रणाली बिना किसी जवाबदेही के एक ‘भ्रष्ट’ मुखिया के साथ काम नहीं कर सकती है।’’
परिजनों ने उठाए गंभीर सवाल
सीवर की सफाई के दौरान जान गंवाने वाले सफाईकर्मी के रिश्तेदार ने सवाल उठाया कि किसने उन्हें मैनहोल में नीचे जाने की अनुमति दी? उन्होंने पीड़ित परिवार के लिए न्याय की मांग की।
घटना के अगले दिन शनिवार को पत्रकारों से बात करते हुए सतीश कुमार ने कहा कि चांडिल्य उनकी छोटी बहन का पति था।
कुमार ने कहा कि वह उस स्थान पर गए जहां शुक्रवार को दो लोगों की मौत हुई थी और पाया कि उनमें से एक उनका बहनोई था।
उन्होंने कहा कि दोनों शवों को अग्निशमन कर्मियों की मदद से बाहर निकालना पड़ा क्योंकि कालोनी के निवासियों द्वारा उन्हें निकालने का प्रयास विफल हो गया था।
कुमार ने कहा, ‘‘चांडिल्य, चंदन कुमार मिश्रा के तहत सफाईकर्मी के रूप में काम करता था। हम पूछना चाहते हैं कि वह सीवर के अंदर क्यों गया और किसने उससे ऐसा करने या सीवर में जाने की अनुमति दी। हमें नहीं पता कि वह कितनी देर तक मैनहोल के अंदर था।’’
कुमार ने कहा कि चांडिल्य परिवार में अकेला कमाने वाला था और वह अपने पीछे पत्नी और दो साल का एक बेटा छोड़ गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘वह किराए के मकान में रहता था। अब उसके परिवार वालों का क्या होगा? उसके परिवार को न्याय मिलना चाहिए।’’
सफाई कर्मचारियों की मौत, के लिए सरकार जिम्मेदार!
क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) जो मुख्यत छात्र संगठन है लेकिन ये सफाई कर्मचारियों के साथ भी काम करते है । उन्होंने दिल्ली के मुंडका में सीवर साफ करते वक्त हुई दो सफाई कर्मचारियों की मौत के मामले में दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार की कड़ी निंदा करते हुए कहा ज्ञात हो कि इन सफाई कर्मचारियों को सीवर में जाने के लिए मजबूर किया गया था, और सीवर साफ करते वक्त दम घुटने से दोनों की मौत हो गई।
केवाईएस ने अपने बयान में सफाई कर्मियों की सुरक्षा की आपराधिक अनदेखी के पीछे समाज में व्यापक रूप से व्याप्त जातिवादी मानसिकता और वर्गीय भेदभाव हैं। बहुसंख्यक सफाई कर्मी दलित समुदाय से आते हैं और बेहद खराब हालातों में काम करने और रहने के लिए मजबूर हैं। इन आर्थिक व सामाजिक अक्षमताओं के चलते ही वे सरकारों की उदासीनता का शिकार होते हैं। इसके साथ ही सभी सरकारी विभागों में सफाई कर्मचारियों की कान्ट्रैक्ट आधारित नियुक्ति उनके लिए और भी मुश्किलें खड़ी करती हैं। कानूनी रोक के बावजूद हाथ से सफाई कराने की अमानवीय प्रथा जारी है और इस तरह की घटनाएं लगातार हो रही हैं। यही नहीं, सफाई के अधिकतर काम के निजीकरण के चलते, मालिक और ठेकेदार कर्मचारियों को रोज यह जोखिमभरा काम करने को मजबूर करते हैं। इस समस्या के लगातार बढ़ने के साथ, सरकारों की उदासीनता यह सुनिश्चित करती है कि ऐसे हादसे होते रहें। इसके अतिरिक्त, श्रम कानूनों के कार्यान्वयन के अभाव में निजी ठेकेदारों को शोषण की छूट मिलती है और इस से पूरे देश के कामगारों का जीवन बदतर स्थिति में बना रहता है। इस घटना से न केवल सफाई कर्मचारियों, बल्कि अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत सभी कामगारों का मालिकों के हाथों होने वाला अतिशोषण उजागर होता है।
केवाईएस माँग करता है कि सफाई कर्मचारियों की मौत के लिए जिम्मेदार सभी लोगों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए और उन्हें हत्या के लिए सख्त से सख्त सज़ा सुनिश्चित की जाए। साथ ही, मृतकों के परिवार को 50 लाख का मुआवजा व परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी सुनिश्चित की जाए।
केवाईएस ने केंद्र, दिल्ली और अन्य राज्य सरकारों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि इनकी नीतियों के कारण आज भी सफाई कर्मचारियों की मौतें हो रही हैं। आने वाले दिनों में केवाईएस इसके खिलाफ एक बड़ा विरोध प्रदर्शन आयोजित करेगा।
सफाई कर्मचारी आंदोलन के नेता बेज़वाड़ा विल्सन ने ट्वीट करके हमला करते हुए कहा देश की राजधानी में सीवर में दो नागरिकों की जान चली गई और सरकार को अपना 'कर्तव्य' तक नहीं याद आया। आपराधिक सन्नाटा कायम है, किसी मंत्री-संत्री का बयान तक नहीं आया। शर्म करो, शर्म करो। इन हत्याओं को रोकने के लिए हमारा अभियान जारी रहेगा।
आपको बता दें कि सफाई कर्मचारी आंदोलन देशभर में सफाई कर्मचारियों की लगातार हो रही मौतों के खिलाफ अभियान छेड़े हुए है। इनकी मांग है कि हाथ से मैला ढोने की प्रथा को खत्म करने की प्रक्रिया के बीच, हम ये भी मांग कर रहे हैं कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि देश भर के सफाई कर्मचारियों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाए जिससे वो आधुनिक उपकरणों से काम करने में सक्षम हों और उनकी नौकरी सुनिश्चित हो सके। हम मशीनीकरण के कारण सफाई कर्मचारियों के होने वाले विस्थापन के पक्ष में नहीं हैं। इसके बजाय, उन्हें ट्रेनिंग दे जिससे वो अपने कौशल को बढ़ाकर मशीनों को संचालित कर सकें।
(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)
Courtesy: Newsclick
राजधानी दिल्ली में एकबार फिर दो सफाईकर्मियों ने सफाई करते हुए अपनी जान गंवा दी। यह घटना बाहरी दिल्ली के मुंडका इलाके में शुक्रवार 9 सितंबर को एक सीवर की सफाई के दौरान हुई। आज यानी 13 सितंबर को दिल्ली हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए दिल्ली की केजरीवाल सरकार, दिल्ली नगर निगम और दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को नोटिस भेजा और जवाब तलब किया है। साथ ही परिजनों और कार्यकर्ताओं ने इस पूरी घटना को लेकर भी गंभीर सवाल उठाए।
क्या है पूरा मामला?
आउटर दिल्ली के मुंडका इलाके के बक्करवाला स्थित एक अपार्टमेंट में शुक्रवार को एक सीवर की सफाई के लिए गए सफाईकर्मी और एक सुरक्षाकर्मी की उस सीवर से निकली जहरीली गैस के कारण मौत हो गई। मृतकों की पहचान 32 वर्षीय रोहित चांडिल्य और 30 वर्षीय अशोक के रूप में हुई। हादसे के वक्त दोनों कर्मचारियों ने सुरक्षा के कोई उपकरण नहीं पहने हुए थे और न ही उनको सोसायटी द्वारा व विभाग वालों ने कोई उपकरण दिये गए थे। बताते चलें कि इससे पहले भी दिल्ली में इस तरह के हादसे हो चुके हैं। पुलिस ने बताया कि बाहरी दिल्ली के मुंडका इलाके में नौ सितंबर को सीवर की सफाई करने गए एक सफाईकर्मी और एक सुरक्षा गार्ड की जहरीली गैस के संपर्क में आने से मौत हो गई थी।
ज्ञात हो कि हर साल कई सफाई कर्मचारी सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई करते हुए मौत होती है। यह गैरकानूनी प्रथा आजादी के 75 साल बाद भी मौजूद है। भारत सरकार एक ओर जहाँ चाँद पर जाने के लिए अपनी पीठ थपथपाती है, वहीं दूसरी ओर, देश में मशीनीकरण की कमी के चलते सफाई कर्मचारियों की सीवरों में लगातार मौतें हो रही हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने स्वतः लिया संज्ञान
दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा शहर में एक सीवर की सफाई के दौरान दो लोगों की मौत के मामले का संज्ञान लिया। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने 11 सितंबर को प्रकाशित एक समाचार रिपोर्ट के आधार पर घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए एक जनहित याचिका दर्ज करने का निर्देश दिया था और मामले में दिल्ली नगर निगम, दिल्ली सरकार और दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को नोटिस जारी किया।
कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव को सहायता के लिए न्याय मित्र (अदालत का मित्र) नियुक्त किया था।
दिल्ली सरकार ने एलजी पर लगाए गंभीर सवाल
कोर्ट द्वरा मामले का संज्ञान लेने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) ने उपराज्यपाल वी के सक्सेना पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके अधीन आने वाला दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) इस दुखद घटना के लिए जिम्मेदार है।
अदालत के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए ‘आप’ के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल ‘बिना किसी जवाबदेही के पद का लुत्फ नहीं ले सकते।’ पार्टी के आरोप पर उपराज्यपाल कार्यालय या दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
डीजेबी के उपाध्यक्ष भारद्वाज ने कहा, ‘‘मैं दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सतीश शर्मा को मामले का स्वत: संज्ञान लेने और यह पूछने के लिए धन्यवाद देता हूं कि जब दिल्ली में हाथ से मैला ढोने पर प्रतिबंध है तो यह घटना कैसे हुई।’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘डीडीए, जो सीधे उपराज्यपाल के अधीन आता है, इन दो लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार है। उपराज्यपाल बिना जवाबदेही के पद का लुत्फ नहीं ले सकते।’’
भारद्वाज ने दावा किया कि यह स्पष्ट है कि ‘सवालों के घेरे में आया विभाग’ इस मुद्दे से बच रहा है और अपने ‘गंभीर अपराध’ को स्वीकार नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस मामले में सीवर लाइन से लेकर पंपिंग स्टेशन तक, सब दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के नियंत्रण में है।
डीजेबी के उपाध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने समाचार पत्रों में घटना के बारे में पढ़ने के तुरंत बाद इसका संज्ञान लिया और अपने कार्यालय से रिपोर्ट मांगी।
उन्होंने सक्सेना पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘हमने उपराज्यपाल कार्यालय के उचित कदम उठाने और उनके जिम्मेदारी स्वीकार करने का इंतजार किया, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं की टालमटोल के बीच उन्होंने जो चुप्पी बनाए रखी है, वह शर्मनाक है।’’
‘आप’ नेता ने आरोप लगाया कि इस मामले में उपराज्यपाल कार्यालय ने उच्च न्यायालय को गुमराह करने की ‘भरपूर कोशिश’ की।
उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार के वकील ने अदालत में यह नहीं बताया कि डीडीए की गलती है? इसके बजाय अदालत ने दिल्ली सरकार, एमसीडी (दिल्ली नगर निगम) और दिल्ली जल बोर्ड को नोटिस जारी किया।’’
भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली सरकार के वकील ‘निश्चित रूप से’ अदालत को ‘एक संपूर्ण रिपोर्ट’ सौंपेंगे, लेकिन उपराज्यपाल को यह समझना चाहिए कि सत्ता हमेशा जवाबदेही के साथ आती है, ‘उपराज्यपाल जवाबदेही से इस तरह भाग नहीं सकते।’
उन्होंने सवाल किया, ‘‘उपराज्यपाल ने पीड़ितों के परिवारों से मुलाकात क्यों नहीं की? क्या उन्होंने खेद जताया या शोक व्यक्त किया? उपराज्यपाल ने ऐसी घटना को दोबारा नहीं होने देने के लिए डीडीए में किए गए सुधारात्मक उपायों की रूपरेखा क्यों नहीं बनाई?’’
‘आप’ नेता ने कहा, ‘‘यह प्रणाली बिना किसी जवाबदेही के एक ‘भ्रष्ट’ मुखिया के साथ काम नहीं कर सकती है।’’
परिजनों ने उठाए गंभीर सवाल
सीवर की सफाई के दौरान जान गंवाने वाले सफाईकर्मी के रिश्तेदार ने सवाल उठाया कि किसने उन्हें मैनहोल में नीचे जाने की अनुमति दी? उन्होंने पीड़ित परिवार के लिए न्याय की मांग की।
घटना के अगले दिन शनिवार को पत्रकारों से बात करते हुए सतीश कुमार ने कहा कि चांडिल्य उनकी छोटी बहन का पति था।
कुमार ने कहा कि वह उस स्थान पर गए जहां शुक्रवार को दो लोगों की मौत हुई थी और पाया कि उनमें से एक उनका बहनोई था।
उन्होंने कहा कि दोनों शवों को अग्निशमन कर्मियों की मदद से बाहर निकालना पड़ा क्योंकि कालोनी के निवासियों द्वारा उन्हें निकालने का प्रयास विफल हो गया था।
कुमार ने कहा, ‘‘चांडिल्य, चंदन कुमार मिश्रा के तहत सफाईकर्मी के रूप में काम करता था। हम पूछना चाहते हैं कि वह सीवर के अंदर क्यों गया और किसने उससे ऐसा करने या सीवर में जाने की अनुमति दी। हमें नहीं पता कि वह कितनी देर तक मैनहोल के अंदर था।’’
कुमार ने कहा कि चांडिल्य परिवार में अकेला कमाने वाला था और वह अपने पीछे पत्नी और दो साल का एक बेटा छोड़ गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘वह किराए के मकान में रहता था। अब उसके परिवार वालों का क्या होगा? उसके परिवार को न्याय मिलना चाहिए।’’
सफाई कर्मचारियों की मौत, के लिए सरकार जिम्मेदार!
क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) जो मुख्यत छात्र संगठन है लेकिन ये सफाई कर्मचारियों के साथ भी काम करते है । उन्होंने दिल्ली के मुंडका में सीवर साफ करते वक्त हुई दो सफाई कर्मचारियों की मौत के मामले में दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार की कड़ी निंदा करते हुए कहा ज्ञात हो कि इन सफाई कर्मचारियों को सीवर में जाने के लिए मजबूर किया गया था, और सीवर साफ करते वक्त दम घुटने से दोनों की मौत हो गई।
केवाईएस ने अपने बयान में सफाई कर्मियों की सुरक्षा की आपराधिक अनदेखी के पीछे समाज में व्यापक रूप से व्याप्त जातिवादी मानसिकता और वर्गीय भेदभाव हैं। बहुसंख्यक सफाई कर्मी दलित समुदाय से आते हैं और बेहद खराब हालातों में काम करने और रहने के लिए मजबूर हैं। इन आर्थिक व सामाजिक अक्षमताओं के चलते ही वे सरकारों की उदासीनता का शिकार होते हैं। इसके साथ ही सभी सरकारी विभागों में सफाई कर्मचारियों की कान्ट्रैक्ट आधारित नियुक्ति उनके लिए और भी मुश्किलें खड़ी करती हैं। कानूनी रोक के बावजूद हाथ से सफाई कराने की अमानवीय प्रथा जारी है और इस तरह की घटनाएं लगातार हो रही हैं। यही नहीं, सफाई के अधिकतर काम के निजीकरण के चलते, मालिक और ठेकेदार कर्मचारियों को रोज यह जोखिमभरा काम करने को मजबूर करते हैं। इस समस्या के लगातार बढ़ने के साथ, सरकारों की उदासीनता यह सुनिश्चित करती है कि ऐसे हादसे होते रहें। इसके अतिरिक्त, श्रम कानूनों के कार्यान्वयन के अभाव में निजी ठेकेदारों को शोषण की छूट मिलती है और इस से पूरे देश के कामगारों का जीवन बदतर स्थिति में बना रहता है। इस घटना से न केवल सफाई कर्मचारियों, बल्कि अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत सभी कामगारों का मालिकों के हाथों होने वाला अतिशोषण उजागर होता है।
केवाईएस माँग करता है कि सफाई कर्मचारियों की मौत के लिए जिम्मेदार सभी लोगों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए और उन्हें हत्या के लिए सख्त से सख्त सज़ा सुनिश्चित की जाए। साथ ही, मृतकों के परिवार को 50 लाख का मुआवजा व परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी सुनिश्चित की जाए।
केवाईएस ने केंद्र, दिल्ली और अन्य राज्य सरकारों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि इनकी नीतियों के कारण आज भी सफाई कर्मचारियों की मौतें हो रही हैं। आने वाले दिनों में केवाईएस इसके खिलाफ एक बड़ा विरोध प्रदर्शन आयोजित करेगा।
सफाई कर्मचारी आंदोलन के नेता बेज़वाड़ा विल्सन ने ट्वीट करके हमला करते हुए कहा देश की राजधानी में सीवर में दो नागरिकों की जान चली गई और सरकार को अपना 'कर्तव्य' तक नहीं याद आया। आपराधिक सन्नाटा कायम है, किसी मंत्री-संत्री का बयान तक नहीं आया। शर्म करो, शर्म करो। इन हत्याओं को रोकने के लिए हमारा अभियान जारी रहेगा।
आपको बता दें कि सफाई कर्मचारी आंदोलन देशभर में सफाई कर्मचारियों की लगातार हो रही मौतों के खिलाफ अभियान छेड़े हुए है। इनकी मांग है कि हाथ से मैला ढोने की प्रथा को खत्म करने की प्रक्रिया के बीच, हम ये भी मांग कर रहे हैं कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि देश भर के सफाई कर्मचारियों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाए जिससे वो आधुनिक उपकरणों से काम करने में सक्षम हों और उनकी नौकरी सुनिश्चित हो सके। हम मशीनीकरण के कारण सफाई कर्मचारियों के होने वाले विस्थापन के पक्ष में नहीं हैं। इसके बजाय, उन्हें ट्रेनिंग दे जिससे वो अपने कौशल को बढ़ाकर मशीनों को संचालित कर सकें।
(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)
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