रविवार को एक बार फिर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (ABVP) द्वारा पत्थरबाजी कर हमले की घटना को अंजाम दिया गया, जिसमें एक छात्रा जो गंभीर रूप से घायल है, सहित 16 स्टूडेंट को चोट लगी हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (ABVP) द्वारा धर्म को बहाना बना कर नॉन वेजिटेरियन खाने को लेकर हंगामा किया गया।
मामला कावेरी होस्टल JNU का है जहां रामनवमी के दिन हॉस्टल में नॉनवेज बनाने को लेकर मामला बना। हालाँकि मेस में खाना सर्वसहमति से मेन्यु बना कर तय किया जाता है जो सामान्य रूप से खान-पान का हिस्सा होता है। एक साथ नॉनवेज और वेज दोनों तरह का खाना परोसा जाता है ताकि किसी भी वर्ग के लोगों को शिकायत न हो।
जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय छात्र संघ (JNUSU) ने आरोप लगाया है कि ABVP के सदस्यों ने मेस के सचिव के साथ मारपीट की और कर्मचारियों को होस्टल में नॉनवेज खाना परोसे जाने के लिए मना किया है। वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की छात्र शाखा एबीवीपी ने दावा किया है कि उनके द्वारा आयोजित की जा रही पूजा को बाधित करने की कोशिश की गयी जिससे झड़प की स्थिति बनी।
JNU में सभी वर्गों के लोग रहते हैं और सभी धर्म का उत्सव समानता और सौहार्द के साथ मनाया जाता है। अप्रैल का यह महीना हिन्दू, मुसलमान दोनों के लिए पाक महीना है। जब रामनवमी और रमजान एक साथ मनाया जा रहा था। वर्षों से चली आ रही इस गंगा जमुनी परंपरा पर खाने और पहनावे के द्वारा चोट करना संघ की पुरानी आदत रही है, जिसे विद्यार्थी परिषद् के छात्रों ने आगे बढाया है।
सौहार्दता की इसी सोच को JNU मजबूती के साथ समाज में स्थापित करने की कोशिश करता रहा है। जाहिर है ऐसी सोच उन पर भारी पड़ेगी जो धर्म हो ही हथियार बना कर राजनीति करते रहे हैं। एकता और प्यार के इस माहौल को ख़त्म करने के लिए वर्षों से संघ राजनीति कर रहा है जिसमें JNU का सर्वधर्म समभाव बड़ा खतरा बन कर खड़ा होता रहा है और जिसे तोड़ने की तैयारी सत्ता में आने के बाद से ही संघ और भाजपा कर रही है।
देश के अलग-अलग हिस्सों में नफरत का बाजार सजाया जा रहा है। कहीं हिजाब को लेकर, कहीं मुसलमान सब्जी और फल बेचने वाले, कहीं लव जिहाद, कहीं गौ हत्या तो कहीं भड़काऊ धार्मिक बयानबाजी से भविष्य की हिंसक सेना को तैयार किया जा रहा है। यह हिंसक सेना सिर्फ फरमान का इन्तजार करेगी और देश जलाने को तैयार हो जाएगी। ऐसे कई उदाहरण कई बार देखे जा चुके हैं। दिल्ली दंगा में बनी स्थिति हमारे सामने है।
JNU में विद्यार्थी परिषद के लोगों का यह व्यवहार एकबारगी सामने नहीं आया है और न ही यह इस तरह की पहली घटना है। सत्ता में आने के बाद भाजपा सरकार द्वारा लोगों के खाने पीने, कपड़ा पहनने, कहीं आने जाने को लेकर लगातार विवाद होता रहा है।
देश के अन्य हिस्से से उठ रही नफरती आवाज के खिलाफ JNU मजबूती से खड़ा रहा है इसलिए भी इस विश्वविद्यालय के वातावरण पर हमले हो रहे हैं ताकि इसे संस्कृति की आड़ में मनुवाद का चोला पहनाया जा सके। सड़कों पर नफरत परोसते भड़काऊ हिंसक बयानबाजी करते लोग और उसके पक्ष में खड़ा प्रशासन देश के वर्तमान हालात को बयाँ करता है। इस तरह की घटनाएं JNU प्रशासन, पुलिस और संसद में बैठे सत्ता के सह पर ही सामने आती हैं। लोकतान्त्रिक धर्मनिरपेक्ष देश भारत के भविष्य के लिए यह अच्छा संकेत नहीं है।
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जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय छात्र संघ (JNUSU) ने आरोप लगाया है कि ABVP के सदस्यों ने मेस के सचिव के साथ मारपीट की और कर्मचारियों को होस्टल में नॉनवेज खाना परोसे जाने के लिए मना किया है। वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की छात्र शाखा एबीवीपी ने दावा किया है कि उनके द्वारा आयोजित की जा रही पूजा को बाधित करने की कोशिश की गयी जिससे झड़प की स्थिति बनी।
JNU में सभी वर्गों के लोग रहते हैं और सभी धर्म का उत्सव समानता और सौहार्द के साथ मनाया जाता है। अप्रैल का यह महीना हिन्दू, मुसलमान दोनों के लिए पाक महीना है। जब रामनवमी और रमजान एक साथ मनाया जा रहा था। वर्षों से चली आ रही इस गंगा जमुनी परंपरा पर खाने और पहनावे के द्वारा चोट करना संघ की पुरानी आदत रही है, जिसे विद्यार्थी परिषद् के छात्रों ने आगे बढाया है।
सौहार्दता की इसी सोच को JNU मजबूती के साथ समाज में स्थापित करने की कोशिश करता रहा है। जाहिर है ऐसी सोच उन पर भारी पड़ेगी जो धर्म हो ही हथियार बना कर राजनीति करते रहे हैं। एकता और प्यार के इस माहौल को ख़त्म करने के लिए वर्षों से संघ राजनीति कर रहा है जिसमें JNU का सर्वधर्म समभाव बड़ा खतरा बन कर खड़ा होता रहा है और जिसे तोड़ने की तैयारी सत्ता में आने के बाद से ही संघ और भाजपा कर रही है।
देश के अलग-अलग हिस्सों में नफरत का बाजार सजाया जा रहा है। कहीं हिजाब को लेकर, कहीं मुसलमान सब्जी और फल बेचने वाले, कहीं लव जिहाद, कहीं गौ हत्या तो कहीं भड़काऊ धार्मिक बयानबाजी से भविष्य की हिंसक सेना को तैयार किया जा रहा है। यह हिंसक सेना सिर्फ फरमान का इन्तजार करेगी और देश जलाने को तैयार हो जाएगी। ऐसे कई उदाहरण कई बार देखे जा चुके हैं। दिल्ली दंगा में बनी स्थिति हमारे सामने है।
JNU में विद्यार्थी परिषद के लोगों का यह व्यवहार एकबारगी सामने नहीं आया है और न ही यह इस तरह की पहली घटना है। सत्ता में आने के बाद भाजपा सरकार द्वारा लोगों के खाने पीने, कपड़ा पहनने, कहीं आने जाने को लेकर लगातार विवाद होता रहा है।
देश के अन्य हिस्से से उठ रही नफरती आवाज के खिलाफ JNU मजबूती से खड़ा रहा है इसलिए भी इस विश्वविद्यालय के वातावरण पर हमले हो रहे हैं ताकि इसे संस्कृति की आड़ में मनुवाद का चोला पहनाया जा सके। सड़कों पर नफरत परोसते भड़काऊ हिंसक बयानबाजी करते लोग और उसके पक्ष में खड़ा प्रशासन देश के वर्तमान हालात को बयाँ करता है। इस तरह की घटनाएं JNU प्रशासन, पुलिस और संसद में बैठे सत्ता के सह पर ही सामने आती हैं। लोकतान्त्रिक धर्मनिरपेक्ष देश भारत के भविष्य के लिए यह अच्छा संकेत नहीं है।
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