वाराणसी। शिक्षक दिवस के एक दिन बाद 6 सितंबर 2021 को सामाजिक संस्था लोक चेतना समिति वाराणसी के मुख्य कार्यालय पर चिरईगांव विकास खंड के शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहे शिक्षकों, विद्यालय प्रबंध समिति, ग्राम शिक्षा समिति के प्रतिनिधियों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया।

इस सम्मान समारोह में "वर्तमान शिक्षा प्रणाली में संवैधानिक मूल्य" विषय पर प्रकाश डालते हुए संस्था अध्यक्ष डॉ. निति भाई ने कहा कि हमारे स्कूलों में अलग-अलग जाति, धर्म हर प्रकार के लोग आते हैं और हमारे संविधान में सबको बराबरी का अधिकार दिया गया है। इस संवैधानिक मूल्यों को हम कैसे अपनी शिक्षा प्रणाली में लागू कर सकते हैं आज इसी पर हम सब मिलकर साझा विचार कर एक प्रस्ताव बनाने का प्रयास कर उसे लागू करवाने का प्रयास करेंगे।
तत्पश्चात मुख्य वक्ता के रूप में काशी विद्यापीठ समाज कार्य विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर संजय सिंह ने वर्तमान शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता में तुलनात्मक विचार व्यक्त करते हुए उपस्थित शिक्षकों के समक्ष कई प्रश्न रखे जिनका उत्तर देते हुए कहा कि जाति, धर्म, संस्कृति के आधार पर काफी विविधता पाई जाती है। भारतीय समाज में स्वतंत्रता, समता, भाई चारा, धार्मिक स्वतंत्रता की बात की गई है।
उन्होंने शिक्षा व्यवस्था पर चर्चा करते हुए कहा कि यदि प्राथमिक शिक्षा जितनी ही अच्छी और मजबूत होगी उतना ही हमारा देश मजबूत होगा। इसके लिये हमें जाति पाति, धर्म, की भेदभाव की भावना को मिटाना होगा तभी शिक्षा व देश का विकास हो सकता है।

गांधी विद्या संस्थान की रजिस्ट्रार डॉ मुनीज़ा रफीक खान ने अध्यक्षीय सम्बोधन करते हुए कहा कि हमें शिक्षा प्रणाली को सशक्त करने के लिये संवैधानिक मूल्यों को अपनी शिक्षा प्रणाली में लागू करना होगा। अगर किसी भी प्रकार की दुर्भावना से ग्रसित होकर हम काम करेंगे तो शिक्षा व्यवस्था में सुधार नही हो सकता है।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से मानवाधिकार अभियान से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता रामदुलार, पतेरवा प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापक शुभावती देवी समेत उपस्थित सदस्यों ने भी अपने विचार एक दूसरे से साझा किये।

इस सम्मान समारोह में "वर्तमान शिक्षा प्रणाली में संवैधानिक मूल्य" विषय पर प्रकाश डालते हुए संस्था अध्यक्ष डॉ. निति भाई ने कहा कि हमारे स्कूलों में अलग-अलग जाति, धर्म हर प्रकार के लोग आते हैं और हमारे संविधान में सबको बराबरी का अधिकार दिया गया है। इस संवैधानिक मूल्यों को हम कैसे अपनी शिक्षा प्रणाली में लागू कर सकते हैं आज इसी पर हम सब मिलकर साझा विचार कर एक प्रस्ताव बनाने का प्रयास कर उसे लागू करवाने का प्रयास करेंगे।
तत्पश्चात मुख्य वक्ता के रूप में काशी विद्यापीठ समाज कार्य विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर संजय सिंह ने वर्तमान शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता में तुलनात्मक विचार व्यक्त करते हुए उपस्थित शिक्षकों के समक्ष कई प्रश्न रखे जिनका उत्तर देते हुए कहा कि जाति, धर्म, संस्कृति के आधार पर काफी विविधता पाई जाती है। भारतीय समाज में स्वतंत्रता, समता, भाई चारा, धार्मिक स्वतंत्रता की बात की गई है।
उन्होंने शिक्षा व्यवस्था पर चर्चा करते हुए कहा कि यदि प्राथमिक शिक्षा जितनी ही अच्छी और मजबूत होगी उतना ही हमारा देश मजबूत होगा। इसके लिये हमें जाति पाति, धर्म, की भेदभाव की भावना को मिटाना होगा तभी शिक्षा व देश का विकास हो सकता है।

गांधी विद्या संस्थान की रजिस्ट्रार डॉ मुनीज़ा रफीक खान ने अध्यक्षीय सम्बोधन करते हुए कहा कि हमें शिक्षा प्रणाली को सशक्त करने के लिये संवैधानिक मूल्यों को अपनी शिक्षा प्रणाली में लागू करना होगा। अगर किसी भी प्रकार की दुर्भावना से ग्रसित होकर हम काम करेंगे तो शिक्षा व्यवस्था में सुधार नही हो सकता है।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से मानवाधिकार अभियान से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता रामदुलार, पतेरवा प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापक शुभावती देवी समेत उपस्थित सदस्यों ने भी अपने विचार एक दूसरे से साझा किये।