यूपी में मोदी के बजाय योगी के नेतृत्व में भाजपा की नैया पार लगाने की तैयारी में RSS?

Written by Bhavendra Prakash | Published on: June 9, 2021
बंगाल चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी सीधा यूपी चुनाव की तैयारी में जुटी नजर आ रही है। बंगाल में मिली पराजय का मातम मनाने के बजाय भाजपा रिजल्ट आने के बाद से ही यूपी फतह की रणनीति में जुट गई है। इसी दौरान हुए यूपी पंचायत चुनाव में मिली असफलता से सबक लेते हुए पार्टी अगले साल होने वाले चुनाव में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। शायद यही वजह है कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दिग्गज राज्य के चक्कर लगाते नजर आ रहे हैं। 



हालिया घटनाक्रमों को देखें तो योगी आदित्यनाथ व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर बहुत सारी चर्चाएं जोरों पर हैं। अभी सूत्रों के हवाले से खबरें आ रही हैं कि यूपी चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बजाय योगी आदित्यनाथ को आगे रखकर लड़ा जाएगा। पार्टी में किसी भी तरह की कलह की आहट बाहर तक न आए शायद इसीलिए सोमवार शाम प्रधानमंत्री मोदी के राष्ट्र के नाम संदेश को देखते हुए योगी की फोटो जारी की गई है। मुख्यमंत्री ने वैक्सीन मुफ्त करने के केंद्र के फैसले पर प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया है। हालांकि, अब भी BJP नेतृत्व को अंतिम निर्णय करना है कि क्या वह सामूहिक नेतृत्व के साथ चुनाव मैदान में उतरना चाहती है।

दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर रविवार को भाजपा की अहम बैठक हुई। इसमें पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा राष्ट्रीय महासचिवों और राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष और अरुण सिंह के साथ मौजूद थे। सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में तय हुआ कि उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाला विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। 

न्यूज चैनल आज तक ने बैठक से जुड़े सूत्रों के हवाले से कहा कि 2022 विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा अपने विधायकों का रिपोर्ट कार्ड तैयार कर रही है। परफॉर्मेंस के आधार पर ही टिकट का बंटवारा किया जाएगा। दरअसल, कोरोना के केस बढ़ने और गंगा में लाशें बहाए जाने जैसी खबरों के बाद योगी सरकार की आलोचना हो रही थी। इसके बाद मोदी-शाह और संघ की दो अहम बैठकें भी हुईं। इनमें UP में सरकार की सूरत को लेकर चिंता जाहिर की गई थी और यह प्लान भी बनाया गया था कि इस छवि को कैसे सुधारा जाए। इसके साथ ही सरकार में फेरबदल और मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भी चर्चाएं तेज हो गई थीं। कहा जा रहा था कि कई पुराने मंत्रियों को बाहर किया जाएगा और नए चेहरों को जगह दी जाएगी।
 
भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दिल्ली की बैठक में साल 2022 में UP विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लड़ने का फैसला लिया गया है। इससे भी महत्वपूर्ण निर्णय यह माना जा सकता है कि UP और दूसरे पांच राज्यों में होने वाले चुनावों में अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चेहरा नहीं होंगे। 

संघ का मानना है कि क्षेत्रीय नेताओं के मुकाबले प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे को सामने रखने से उनकी छवि को नुकसान हुआ है। विरोधी सीधे तौर पर उन्हें ही निशाना बनाते हैं। संघ किसी भी नेता को अलग करने या नाराजगी के साथ छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। अब इस पर योगी को खरा उतरना है। महाराष्ट्र में शरद पवार परिवार को साथ लाने पर भी विचार हो रहा है। RSS की दिल्ली में हुई बैठक में सरसंघचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले की मौजूदगी में ये निर्णय लिए गए हैं। 

RSS के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक भले ही आप ना मानें, लेकिन यह सच बताया जा रहा है कि मोदी-योगी के बीच कोई विवाद नहीं है और UP BJP के ट्विटर अकाउंट या पोस्टर से मोदी की फोटो हटाने की वजह विधानसभा चुनाव योगी के चेहरे के साथ लड़ने का निर्णय ही है। दोनों नेताओं को साथ काम करने और इस छवि को मजबूत करने के लिए कहा गया है। इसलिए अब UP के पोस्टर पर योगी आदित्यनाथ के अलावा यूपी BJP के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा दिखाई दे रहे हैं। यहां हमने यूपी, उत्तराखंड व पंजाब बीजेपी के ट्विटर अकाउंट के पोस्टर का स्क्रीन शॉट दिया है जिसमें आप देख रहे हैं कि सिर्फ यूपी में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पोस्टर से गायब हैं। 







इस बीच एक और खबर सत्य हिंदी ने वरिष्ठ पत्रकार शरद गुप्ता के हवाले से दी है जो कि उपरोक्त सभी बातों से विरोधाभाष पैदा करती है। हिंदी न्यूज वेबसाइट ने शरद गुप्ता के हवाले से बताया है कि बीएल संतोष की अगुवाई में हुई मीटिंग में भाजपा के 325 विधायकों में से 250 ने योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली से असंतुष्ट होते हुए हस्ताक्षर किये हैं। वेबसाइट ने कहा है कि हालांकि अभी लैटर टाइप नहीं किया गया है कि उस पर क्या लिखा जाएगा।  अगर ऐसा है तो साफ है कि योगी आदित्यनाथ अपनी किसी जिद पर अड़े हुए हैं। वैसे योगी आदित्यनाथ ने पिछले विधानसभा चुनाव में एक दम से पासा पलट दिया गया था क्योंकि उस समय केशव प्रसाद मौर्य को आगे रखकर चुनाव लड़ा गया था लेकिन तीन दिन तक मुख्यमंत्री के नाम पर मंथन चलता रहा। तभी योगी आदित्यनाथ को दिल्ली बुलाया गया व उनके नाम का ऐलान किया गया था। इस बार भी शायद ऐसा ही कुछ संभव हो सकता है। 

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