बदइंतजामी, झूठ, मूर्खता और सत्ता के अहंकार के चलते कोरोना वायरस के लिए भारत, मौत का नया चारागाह बनता जा रहा है। अस्पताल से लेकर शमशान-कब्रिस्तान तक, हर तरफ लाशों के ढेर, लाचारगी और बेबसी का आलम है। गोदी मीडिया के जरिये भले अभी भी टेस्टिंग, ट्रेसिंग-ट्रेकिंग और ट्रीटमेंट के झूठे मंत्र बांटे जा रहे हैं लेकिन हकीकत में लोगों को दवाई (रेमेडिसिवर) तक नहीं मिल पा रही है। अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन के अभाव में मंत्री-विधायक, जज, पत्रकार तक लाचार, हताश जान गंवा रहे हैं। वैक्सिनेशन के लिए लोग नेपाल जाने को मजबूर हो रहे हैं। जबकि दूसरी ओर राजा, न सिर्फ दिन-प्रतिदिन रैलियां कर वायरस को मौका दे रहा है बल्कि दीया-ताली-थाली और कुंभ स्नान जैसे आयोजन नीरो की याद दिला रहे है। यही नहीं, आलम यह है कि लोग 'अंधेर नगरी चौपट राजा' वाली कहावत सुनाने लगे हैं।
मार्च 2020 से अप्रैल-21 के बीच के सवा साल में जो हुआ है, क्या वैसा और कहीं किसी दूसरे देश में भी हुआ है? भारत सरकार, राज्य सरकार, स्वास्थ्य मंत्रालय से लेकर जिले के सीएमओ तक सबने झूठ और झूठ में लोगों को गुमराह किया। इतनी तरह के विविध झूठ, इतनी तरह की विविध मूर्खताएं हुईं कि सालभर बाद भी अंधेर नगरी में वायरस के टेस्ट की सच्ची व्यवस्था नहीं है।
राजा भूल गया कि “लगेगी आग तो आएंगे घर कई ज़द में, यहां पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है”। मुंबई, दिल्ली में दवाई से ऑक्सीजन तक की इमरजेंसी है तो उत्तर प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़ से मध्य प्रदेश तक जहां डबल इंजन सरकारें हैं वहां सबसे ज्यादा लाचारगी है। उत्तर प्रदेश का लखनऊ, लाशनऊ में तब्दील हो गया है। मुख्यमंत्री लाशों को ढकने को दीवार बनवाने में जुटे हैं। काबीना मंत्री के कहने तक पर एम्बुलेंस नहीं मिल रही हैं। दवाई, ऑक्सीजन व बेड तो दूर, भाजपा नेताओं तक के फोन तक अधिकारी नहीं उठा रहे हैं। मंत्री-विधायक, जज, इतिहासकार, साहित्यकार, पत्रकार तक, बेड व ऑक्सीजन किल्लत से दम तोड़ रहे हैं। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में और बुरा हाल हैं। मध्यप्रदेश, गुजरात, दुर्ग-रांची सभी जगह लाशों की लाइन हैं। ट्रेसिंग तो दूर, टेस्टिंग तक नहीं हो पा रही हैं। और हो जाए तो रिजल्ट आने में 4-7 दिन लग जा रहे हैं। इसके बाद बेड, दवाई और ऑक्सीजन की जद्दोजहद में ही आदमी लाश बन जा रहा हैं। एम्बुलेंस में खड़े खड़े लोग दम तोड़ दे रहे हैं।
ऑक्सीजन व रेमेडिसिवर के लिए तो पूरे देश मे हाहाकार मचा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मध्यप्रदेश के शहडोल मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से 12 कोविड मरीजों की मौत हो गई। इसके अलावा पिछले 24 घंटे में दूसरी वजहों से 10 और कोरोना मरीजों की मौत हुई है। इस तरह अकेले शहडोल में 22 मरीजों की मौत हुई हैं। शहडोल कॉलेज में शनिवार रात 12 बजे ऑक्सीजन का प्रेशर कम हो गया। इसकी वजह से मरीज तड़पने लगे। एक के बाद एक 12 मरीजों की सुबह छह बजे तक मौत हो गई। सभी आईसीयू में भर्ती थे। इससे पहले 15 अप्रैल को जबलपुर में ऑक्सीजन सप्लाई बंद होने से 5 मरीजों की मौत हो गई थी। इसके अगले दिन 16 अप्रैल को उज्जैन के एक अस्पताल में 6 लोगों की ऑक्सीजन नहीं मिलने से मौत हो गई थी। यही नहीं दिल्ली, मुंबई, बिहार, गुजरात, छत्तीसगढ़, राजस्थान और उत्तर प्रदेश, सभी जगह कोरोना की बजाय, ऑक्सीजन की कमी से लोग ज्यादा मर रहे हैं।
हालात इतने भयावह हो चले है कि कोविड टेस्ट निगेटिव आने के बाद भी लोग मर रहे है। चिकित्सक सलाह दे रहे है कि टेस्ट रिजल्ट निगेटिव आने के बावजूद लक्षण के आधार पर पूरी दवाएं सेवन करें। लेकिन उप्र में तो कोविड पॉजिटिव को भी भर्ती के लिए सीएमओ की चिट्ठी चाहिए। बताइए जिसके अपने की एक-एक सांस के लिए जद्दोजहद चल रही हो, उसे चिट्ठी के लिए भी घंटों इंतजार करना पड़े तो वाकई डिजिटल पटल पर बजट रखने वाली सरकार के लिए डूब मरने की बात हैं। सरकार इलाज के लिए सिंगल विंडो सिस्टम लागू करने में पूरी तरह फेल हो चुकी है। और तो और, बेहतर इलाज के लिए आईएएस अधिकारियों को नोडल बनाने के बाद भी हेल्पलाइन नंबर, मदद की जगह सांत्वना देकर अपनी नकारी व्यवस्था की खुला ढोल पीट रहा है। इसलिए अब तो शर्म करो सरकार।
उत्तर प्रदेश भाजपा सरकार के कार्य व नीतिगत विफलताओं ने कोरोना संकट को भयावह बना दिया है। मुख्यमंत्री प्रशासन पर नियंत्रण खो चुके हैं। राज्यपाल को संविधान सम्मत हालात का संज्ञान लेना चाहिए। यह कहना हैं समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव का। मीडिया को जारी बयान में सपा प्रमुख ने कहा कि संक्रमित मरीजों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। शमसान घाटों तथा कब्रिस्तानों में अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं बच रही है। डबल इंजन वाली सरकारें जिन प्रदेशों में है, वहां कोरोना की दूसरी लहर के कहर ने झूठे दावों की पोल खोल कर रख दी है। आंकड़े छुपाने के लिए उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश व बिहार में टेस्टिंग, ट्रीटमेंट और ट्रैकिंग से खिलवाड़ ने स्थिति को और खराब कर दिया है। लापरवाही का आलम यह है कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिन डाक्टर व अधिकारियों को हेल्पलाइन में लगाया गया है। वो फोन नहीं उठाते हैं। मदद मांगने वालों से अभद्रता से पेश आते हैं। कारगिल शहीद के पिता और रिटायर्ड जज तक इस अमानवीय व्यवहार के शिकार हुए हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने भी प्रदेश के हालात पर चिंता जताई हैं। प्रदेश में आइसीयू बेड और एम्बुलेंस की संख्या बढ़ाने को कहा है।
उधर, प्रियंका गांधी ने वीडियो ट्वीट करते हुए योगी आदित्यनाथ सरकार से निवेदन करते हुए कहा कि अपना समय, संसाधन और ऊर्जा इस त्रासदी को छुपाने, दबाने में लगाना व्यर्थ है। महामारी को रोकने, लोगों की जान बचाने, संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए ठोस कदम उठाइए। यही वक्त की पुकार है। कांग्रेस की उत्तर प्रदेश प्रभारी ने कहा, उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी की स्थिति बहुत भयावह है। हर तरफ से वेंटिलेटर, ऑक्सीजन और दवाओं की कमी की खबरें आ रही हैं। प्रदेश सरकार का धर्म है कि समस्या को बढ़ाने व आंकड़े छिपाने की बजाय समस्या सुलझाने और सच्चाई को सामने लाने का काम करें। यही नहीं, प्रियंका ने कहा कि आज जब भारत कोरोना कहर की चपेट में है, ये देखना कितना पीड़ादायक है कि पिछले 70 साल की सरकारों के प्रयासों पर पानी फेरते हुए आज भारत को वैक्सीन निर्यातक देश से वैक्सीन आयातक देश बना दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कप्तान की सीट पर बैठे प्रधानमंत्री मोदी जी, जिन्होंने टीके के प्रमाणपत्र पर खुद की तस्वीर छपवा दी है, इस आपात स्थिति में नौ दो ग्यारह हो गए हैं।
वरिष्ठ पत्रकार हरि शंकर व्यास कहते हैं कि वायरस का सामना करना एक बात है लेकिन अंधेर नगरी में वायरस के आगे लाचारी, बेबसी, सूखे आंसूओं की त्रासदी, वह अनकही हकीकत है जिसमें महिनों नहीं बल्कि सालों-साल भारत के लोगों को जूझते रहना होगा। जबकि राजा का पहले दिन से आह्वान था कि उन्होने लॉकडाउन लगा दिया तो 21 दिनों में भारत कोरोना पर विजय पा लेगा। यही नहीं, तमाम तरह की फालतू बातें कि भारत ने दुनिया को दवाई दी, वैक्सीन दी, मेडिकल साजोसामान दिया। गर्व करों हिंदूओं हम हुए विश्व गुरू। दुनिया बरबाद लेकिन भारत बढेगा 12 प्रतिशत की विकास रेट से। देखों मूडी ने क्या कहा! चमत्कार हमनें पीपीई किट्स बनाए, उन्हे निर्यात कर रहे है, वैंटिलेटर्स बना डाले, हमने वह सब कर दिखाया जो अमेरिका, योरोपीय देश नहीं कर सकें। वे मर रहे है और हम दौडते हुए है। हम महान और वे हमारे मोहताज! बोलो नरेंद्र मोदी की जय! दुनिया में कौन सी दूसरी नस्ल, दूसरे देश और वे नेता है जिन्होने महामारी काल में भी वह किया जिससे राष्ट्र-राज्य बीमार, बरबाद और मौत की अंधेर नगरी बन जाए। दुनिया में ऐसा कहां दिखा जो संक्रमित लाशों के साथ शमशानों में लोग घंटों से चिता की जगह के लिए इंतजार में बैठे हुए? ऐसा कहां देखा है कि महामारी की आबोहवा में भी लाखों लोग एकसाथ स्नान करते हुए? कहां ऐसा देखा है कि देश का प्रधानमंत्री, गृह मंत्री संक्रमण काल में यह कहते हुए वाहवाही बनाए कि देखों मेरी सभा में लोग ही लोग! दुनिया ने अमेरिका के नेताओं को वर्चुअल सभाएं करते देखा है। दो दिन पहले ही मक्का-मदीना की फुटेज से दुनिया ने जाना कि इस दफा टेस्ट व जांच के बाद गिने-चुने लोग ही मक्का में परिक्रमा दे सकेंगे।
यही नहीं, ‘दुनिया भारत की तरफ देख रही है’ का जो विमर्श भाजपा नेताओं ने खड़ा किया वह सचमुच आज हकीकत बन गया है। दुनिया सचमुच भारत की ओर देख रही है कि यह कैसा असभ्य और अनपढ़-गंवार लोगों का देश है, जहां वायरस की भयावहता के बीच कुंभ मेले का आयोजन हो रहा है और एक राज्य का मुख्यमंत्री कहता है कि गंगा जल में डुबकी लगाने से कोरोना नहीं होगा! दुनिया हैरान है कि जिस देश में दो लाख से ज्यादा केसेज आ रहे हैं वहां एक राज्य का मुख्यमंत्री लोगों से लाखों की संख्या में कुंभ के मेले में शामिल होने की अपील करता है और कहता है कि आस्था के आगे कोरोना हार जाएगा!
दुनिया सचमुच आंखें फाड़ कर भारत की ओर देख रही है कि इस देश का नेतृत्व कैसे हाथ में है, जो कोरोना की भयावह महामारी के बीच हजारों लोगों को जुटा कर चुनावी रैलियां कर रहा है और इस बात पर गदगद हो रहा है कि उसकी सभाओं में इतनी भीड़ जुट रही है! दुनिया हैरान-परेशान है कि ऐसा कैसे हो सकता है कि जो नेता शाम में बैठकर लोगों को नसीहत दे कि मास्क लगाएं, सामाजिक दूरी रखें, कोरोना दिशा-निर्देशों का पालन करें, भीड़ न लगाएं और अगले दिन सुबह हजारों की सभा को संबोधित करने पहुंच जाए? यह पूरी दुनिया के लिए कौतुक का विषय है कि देश में दो लाख से ज्यादा केस जो आ रहे हैं और देश का सर्वोच्च नेतृत्व उसकी परवाह किए बगैर चुनावी सभाओं में व्यस्त है। देश के 10 राज्यों में उपचुनाव हो रहे हैं और उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों का प्राथमिक काम कोरोना से लड़ना नहीं, बल्कि उपचुनाव में प्रचार करना था।
सचमुच दुनिया भारत की ओर देख रही है कि यह वायरस से लड़ने का कौन सा मॉडल है, जो जिलों के कलेक्टर प्राइवेट लैब्स को फोन करके टेस्टिंग करने से रोक रहे हैं! यह कैसा मॉडल है, जिसमें संक्रमण से मरने वालों की संख्या छिपाई जा रही है और सिर्फ 10-15 फीसदी मौतों की आधिकारिक पुष्टि की जा रही है! वायरस से लड़ने का यह कौन सा मॉडल है, जिसमें एक राज्य सरकार का मंत्री कह रहा है कि जिसकी मौत आई होती है वह तो मर ही जाता है! यह कैसा मॉडल है कि जीवनरक्षक इंजेक्शन अस्पताल में नहीं मिल रहा है और सत्तारूढ़ पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष पार्टी के प्रदेश कार्यालय में बैठ कर इंजेक्शन बांट रहा है! सारी दुनिया इस बात को भी हैरानी से देख रही है कैसे भारत में आबादी के लिहाज से बहुत कम वैक्सीनेशन हुआ है और फिर भी भारत सरकार दुनिया में वैक्सीन बांट रही है! भारत की तरफ दुनिया इसलिए भी कौतुक के साथ देख रही है कि आखिर यह कैसा देश है, जिसने महामारी के एक साल में स्वास्थ्य की कोई बुनियादी सुविधा नहीं बढ़ाई, फिर भी नेता महामारी रोक लेने का दावा कर रहा है और लोग उस पर ताली-थाली बजा रहे हैं। महामारी के खिलाफ 21 दिन में जंग जीत लेने का दावा भी दुनिया के लिए कम कौतुक भरा नहीं था। उस दावे के करीब चार सौ दिन बाद देश के हालात ज्यादा बुरे हैं लेकिन उस पर क्या शर्मिंदा होना!।
हो सकता है समय के साथ वायरस कमजोर पड़े या वैक्सीन और असरदार हो, लेकिन तब तक कोई स्थायी सुरक्षा नहीं है। वैसे भी भारत जैसे देश में जहां वैक्सीन की पहली डोज लगने में बरसों लगने हैं वहां वैक्सीन के जरिए सुरक्षा हासिल करने के बारे में सोचना भी जल्दबाजी होगा।
दूसरी ओर, रोजाना के बढ़ते आंकड़े डरा रहे हैं। भारत में कोरोना वायरस के संक्रमितों की संख्या डेढ़ करोड़ को पार कर गई। रविवार को पूरे देश में करीब पौने तीन लाख (2,73,810) नए केस आए हैं, जिससे संक्रमितों की संख्या डेढ़ करोड़ पार कर गई हैं।यही नहीं, देश में एक्टिव केसों की संख्या 19 लाख पार कर गई हैं और रिकॉर्ड 1619 नई मौतों के बाद देश में मरने वालों की संख्या भी एक लाख 78 हजार 769 हो गई है।
कोरोना वायरस से सर्वाधिक संक्रमित राज्य महाराष्ट्र में रविवार को रिकार्ड संख्या में 68,631 नए केसेज आए। राज्य में 24 घंटे में 503 लोगों की मौत हुई, जो अपने आप में रिकार्ड है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रविवार को 25 हजार नए मरीज मिले और रिकार्ड 161 लोगों की मौत हुई। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया कि दिल्ली में संक्रमण की दर 30 फीसदी हो गई है। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में रविवार को संक्रमितों की संख्या 30 हजार से ऊपर पहुंच गई। राज्य में 30,566 नए मरीज मिले, जबकि सिर्फ 9,041 मरीज इलाज से ठीक हुए। राज्य में 24 घंटे में 127 लोगों की मौत हुई। पंजाब में रविवार को 4900 नए केस मिले और 3,141 लोग ठीक हुए। 68 लोगों की मौत हुई। बिहार में 8,690 नए मरीज मिले 27 की मौत हुई। गुजरात में संक्रमितों की संख्या 10 हजार पार हो गई। राज्य में 10,340 केस आए और रिकार्ड 110 लोगों की मौत हुई। चुनाव वाले राज्य पश्चिम बंगाल में 24 घंटे में संक्रमितों की संख्या आठ हजार से ज्यादा रही। राज्य में 8,419 नए मरीज मिले।
राजस्थान में संक्रमितों की संख्या 10 हजार 514 रही। मध्य प्रदेश में लगातार तीसरे दिन संक्रमितों की संख्या 12 हजार से ऊपर रही। राज्य में 12,248 नए संक्रमित मिले। केरल में संक्रमितों की संख्या में रिकार्ड बढ़ोतरी हुई। रविवार को राज्य में 18,257 नए मरीज मिले और 25 मरीजों की संक्रमण से मौत हुई। कर्नाटक में 19,067 नए मरीज मिले और 81 लोगों की संक्रमण से मौत हुई। दक्षिण के दूसरे राज्यों तमिलनाडु में 10,723 व आंध्र प्रदेश में 6,562 नए केस मिले हैं। यही नहीं, इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक ख़बर के अनुसार, स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्ष वर्धन के ही अनुसार, देश में जिस तेज़ी से कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं उस तेज़ी से लोग ठीक नहीं हो रहे हैं जिस कारण देश में एक्टिव केस की संख्या लगातार बढ़ रही है। साथ ही कोरोना से हो रही मौतों में 10.2% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वहीं, देश में कोरोना संक्रमण के मामलों में भी 7.6% की तेजी दर्ज की जा रही है जो भी एक रिकॉर्ड है।
मार्च 2020 से अप्रैल-21 के बीच के सवा साल में जो हुआ है, क्या वैसा और कहीं किसी दूसरे देश में भी हुआ है? भारत सरकार, राज्य सरकार, स्वास्थ्य मंत्रालय से लेकर जिले के सीएमओ तक सबने झूठ और झूठ में लोगों को गुमराह किया। इतनी तरह के विविध झूठ, इतनी तरह की विविध मूर्खताएं हुईं कि सालभर बाद भी अंधेर नगरी में वायरस के टेस्ट की सच्ची व्यवस्था नहीं है।
राजा भूल गया कि “लगेगी आग तो आएंगे घर कई ज़द में, यहां पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है”। मुंबई, दिल्ली में दवाई से ऑक्सीजन तक की इमरजेंसी है तो उत्तर प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़ से मध्य प्रदेश तक जहां डबल इंजन सरकारें हैं वहां सबसे ज्यादा लाचारगी है। उत्तर प्रदेश का लखनऊ, लाशनऊ में तब्दील हो गया है। मुख्यमंत्री लाशों को ढकने को दीवार बनवाने में जुटे हैं। काबीना मंत्री के कहने तक पर एम्बुलेंस नहीं मिल रही हैं। दवाई, ऑक्सीजन व बेड तो दूर, भाजपा नेताओं तक के फोन तक अधिकारी नहीं उठा रहे हैं। मंत्री-विधायक, जज, इतिहासकार, साहित्यकार, पत्रकार तक, बेड व ऑक्सीजन किल्लत से दम तोड़ रहे हैं। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में और बुरा हाल हैं। मध्यप्रदेश, गुजरात, दुर्ग-रांची सभी जगह लाशों की लाइन हैं। ट्रेसिंग तो दूर, टेस्टिंग तक नहीं हो पा रही हैं। और हो जाए तो रिजल्ट आने में 4-7 दिन लग जा रहे हैं। इसके बाद बेड, दवाई और ऑक्सीजन की जद्दोजहद में ही आदमी लाश बन जा रहा हैं। एम्बुलेंस में खड़े खड़े लोग दम तोड़ दे रहे हैं।
ऑक्सीजन व रेमेडिसिवर के लिए तो पूरे देश मे हाहाकार मचा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मध्यप्रदेश के शहडोल मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से 12 कोविड मरीजों की मौत हो गई। इसके अलावा पिछले 24 घंटे में दूसरी वजहों से 10 और कोरोना मरीजों की मौत हुई है। इस तरह अकेले शहडोल में 22 मरीजों की मौत हुई हैं। शहडोल कॉलेज में शनिवार रात 12 बजे ऑक्सीजन का प्रेशर कम हो गया। इसकी वजह से मरीज तड़पने लगे। एक के बाद एक 12 मरीजों की सुबह छह बजे तक मौत हो गई। सभी आईसीयू में भर्ती थे। इससे पहले 15 अप्रैल को जबलपुर में ऑक्सीजन सप्लाई बंद होने से 5 मरीजों की मौत हो गई थी। इसके अगले दिन 16 अप्रैल को उज्जैन के एक अस्पताल में 6 लोगों की ऑक्सीजन नहीं मिलने से मौत हो गई थी। यही नहीं दिल्ली, मुंबई, बिहार, गुजरात, छत्तीसगढ़, राजस्थान और उत्तर प्रदेश, सभी जगह कोरोना की बजाय, ऑक्सीजन की कमी से लोग ज्यादा मर रहे हैं।
हालात इतने भयावह हो चले है कि कोविड टेस्ट निगेटिव आने के बाद भी लोग मर रहे है। चिकित्सक सलाह दे रहे है कि टेस्ट रिजल्ट निगेटिव आने के बावजूद लक्षण के आधार पर पूरी दवाएं सेवन करें। लेकिन उप्र में तो कोविड पॉजिटिव को भी भर्ती के लिए सीएमओ की चिट्ठी चाहिए। बताइए जिसके अपने की एक-एक सांस के लिए जद्दोजहद चल रही हो, उसे चिट्ठी के लिए भी घंटों इंतजार करना पड़े तो वाकई डिजिटल पटल पर बजट रखने वाली सरकार के लिए डूब मरने की बात हैं। सरकार इलाज के लिए सिंगल विंडो सिस्टम लागू करने में पूरी तरह फेल हो चुकी है। और तो और, बेहतर इलाज के लिए आईएएस अधिकारियों को नोडल बनाने के बाद भी हेल्पलाइन नंबर, मदद की जगह सांत्वना देकर अपनी नकारी व्यवस्था की खुला ढोल पीट रहा है। इसलिए अब तो शर्म करो सरकार।
उत्तर प्रदेश भाजपा सरकार के कार्य व नीतिगत विफलताओं ने कोरोना संकट को भयावह बना दिया है। मुख्यमंत्री प्रशासन पर नियंत्रण खो चुके हैं। राज्यपाल को संविधान सम्मत हालात का संज्ञान लेना चाहिए। यह कहना हैं समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव का। मीडिया को जारी बयान में सपा प्रमुख ने कहा कि संक्रमित मरीजों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। शमसान घाटों तथा कब्रिस्तानों में अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं बच रही है। डबल इंजन वाली सरकारें जिन प्रदेशों में है, वहां कोरोना की दूसरी लहर के कहर ने झूठे दावों की पोल खोल कर रख दी है। आंकड़े छुपाने के लिए उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश व बिहार में टेस्टिंग, ट्रीटमेंट और ट्रैकिंग से खिलवाड़ ने स्थिति को और खराब कर दिया है। लापरवाही का आलम यह है कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिन डाक्टर व अधिकारियों को हेल्पलाइन में लगाया गया है। वो फोन नहीं उठाते हैं। मदद मांगने वालों से अभद्रता से पेश आते हैं। कारगिल शहीद के पिता और रिटायर्ड जज तक इस अमानवीय व्यवहार के शिकार हुए हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने भी प्रदेश के हालात पर चिंता जताई हैं। प्रदेश में आइसीयू बेड और एम्बुलेंस की संख्या बढ़ाने को कहा है।
उधर, प्रियंका गांधी ने वीडियो ट्वीट करते हुए योगी आदित्यनाथ सरकार से निवेदन करते हुए कहा कि अपना समय, संसाधन और ऊर्जा इस त्रासदी को छुपाने, दबाने में लगाना व्यर्थ है। महामारी को रोकने, लोगों की जान बचाने, संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए ठोस कदम उठाइए। यही वक्त की पुकार है। कांग्रेस की उत्तर प्रदेश प्रभारी ने कहा, उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी की स्थिति बहुत भयावह है। हर तरफ से वेंटिलेटर, ऑक्सीजन और दवाओं की कमी की खबरें आ रही हैं। प्रदेश सरकार का धर्म है कि समस्या को बढ़ाने व आंकड़े छिपाने की बजाय समस्या सुलझाने और सच्चाई को सामने लाने का काम करें। यही नहीं, प्रियंका ने कहा कि आज जब भारत कोरोना कहर की चपेट में है, ये देखना कितना पीड़ादायक है कि पिछले 70 साल की सरकारों के प्रयासों पर पानी फेरते हुए आज भारत को वैक्सीन निर्यातक देश से वैक्सीन आयातक देश बना दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कप्तान की सीट पर बैठे प्रधानमंत्री मोदी जी, जिन्होंने टीके के प्रमाणपत्र पर खुद की तस्वीर छपवा दी है, इस आपात स्थिति में नौ दो ग्यारह हो गए हैं।
वरिष्ठ पत्रकार हरि शंकर व्यास कहते हैं कि वायरस का सामना करना एक बात है लेकिन अंधेर नगरी में वायरस के आगे लाचारी, बेबसी, सूखे आंसूओं की त्रासदी, वह अनकही हकीकत है जिसमें महिनों नहीं बल्कि सालों-साल भारत के लोगों को जूझते रहना होगा। जबकि राजा का पहले दिन से आह्वान था कि उन्होने लॉकडाउन लगा दिया तो 21 दिनों में भारत कोरोना पर विजय पा लेगा। यही नहीं, तमाम तरह की फालतू बातें कि भारत ने दुनिया को दवाई दी, वैक्सीन दी, मेडिकल साजोसामान दिया। गर्व करों हिंदूओं हम हुए विश्व गुरू। दुनिया बरबाद लेकिन भारत बढेगा 12 प्रतिशत की विकास रेट से। देखों मूडी ने क्या कहा! चमत्कार हमनें पीपीई किट्स बनाए, उन्हे निर्यात कर रहे है, वैंटिलेटर्स बना डाले, हमने वह सब कर दिखाया जो अमेरिका, योरोपीय देश नहीं कर सकें। वे मर रहे है और हम दौडते हुए है। हम महान और वे हमारे मोहताज! बोलो नरेंद्र मोदी की जय! दुनिया में कौन सी दूसरी नस्ल, दूसरे देश और वे नेता है जिन्होने महामारी काल में भी वह किया जिससे राष्ट्र-राज्य बीमार, बरबाद और मौत की अंधेर नगरी बन जाए। दुनिया में ऐसा कहां दिखा जो संक्रमित लाशों के साथ शमशानों में लोग घंटों से चिता की जगह के लिए इंतजार में बैठे हुए? ऐसा कहां देखा है कि महामारी की आबोहवा में भी लाखों लोग एकसाथ स्नान करते हुए? कहां ऐसा देखा है कि देश का प्रधानमंत्री, गृह मंत्री संक्रमण काल में यह कहते हुए वाहवाही बनाए कि देखों मेरी सभा में लोग ही लोग! दुनिया ने अमेरिका के नेताओं को वर्चुअल सभाएं करते देखा है। दो दिन पहले ही मक्का-मदीना की फुटेज से दुनिया ने जाना कि इस दफा टेस्ट व जांच के बाद गिने-चुने लोग ही मक्का में परिक्रमा दे सकेंगे।
यही नहीं, ‘दुनिया भारत की तरफ देख रही है’ का जो विमर्श भाजपा नेताओं ने खड़ा किया वह सचमुच आज हकीकत बन गया है। दुनिया सचमुच भारत की ओर देख रही है कि यह कैसा असभ्य और अनपढ़-गंवार लोगों का देश है, जहां वायरस की भयावहता के बीच कुंभ मेले का आयोजन हो रहा है और एक राज्य का मुख्यमंत्री कहता है कि गंगा जल में डुबकी लगाने से कोरोना नहीं होगा! दुनिया हैरान है कि जिस देश में दो लाख से ज्यादा केसेज आ रहे हैं वहां एक राज्य का मुख्यमंत्री लोगों से लाखों की संख्या में कुंभ के मेले में शामिल होने की अपील करता है और कहता है कि आस्था के आगे कोरोना हार जाएगा!
दुनिया सचमुच आंखें फाड़ कर भारत की ओर देख रही है कि इस देश का नेतृत्व कैसे हाथ में है, जो कोरोना की भयावह महामारी के बीच हजारों लोगों को जुटा कर चुनावी रैलियां कर रहा है और इस बात पर गदगद हो रहा है कि उसकी सभाओं में इतनी भीड़ जुट रही है! दुनिया हैरान-परेशान है कि ऐसा कैसे हो सकता है कि जो नेता शाम में बैठकर लोगों को नसीहत दे कि मास्क लगाएं, सामाजिक दूरी रखें, कोरोना दिशा-निर्देशों का पालन करें, भीड़ न लगाएं और अगले दिन सुबह हजारों की सभा को संबोधित करने पहुंच जाए? यह पूरी दुनिया के लिए कौतुक का विषय है कि देश में दो लाख से ज्यादा केस जो आ रहे हैं और देश का सर्वोच्च नेतृत्व उसकी परवाह किए बगैर चुनावी सभाओं में व्यस्त है। देश के 10 राज्यों में उपचुनाव हो रहे हैं और उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों का प्राथमिक काम कोरोना से लड़ना नहीं, बल्कि उपचुनाव में प्रचार करना था।
सचमुच दुनिया भारत की ओर देख रही है कि यह वायरस से लड़ने का कौन सा मॉडल है, जो जिलों के कलेक्टर प्राइवेट लैब्स को फोन करके टेस्टिंग करने से रोक रहे हैं! यह कैसा मॉडल है, जिसमें संक्रमण से मरने वालों की संख्या छिपाई जा रही है और सिर्फ 10-15 फीसदी मौतों की आधिकारिक पुष्टि की जा रही है! वायरस से लड़ने का यह कौन सा मॉडल है, जिसमें एक राज्य सरकार का मंत्री कह रहा है कि जिसकी मौत आई होती है वह तो मर ही जाता है! यह कैसा मॉडल है कि जीवनरक्षक इंजेक्शन अस्पताल में नहीं मिल रहा है और सत्तारूढ़ पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष पार्टी के प्रदेश कार्यालय में बैठ कर इंजेक्शन बांट रहा है! सारी दुनिया इस बात को भी हैरानी से देख रही है कैसे भारत में आबादी के लिहाज से बहुत कम वैक्सीनेशन हुआ है और फिर भी भारत सरकार दुनिया में वैक्सीन बांट रही है! भारत की तरफ दुनिया इसलिए भी कौतुक के साथ देख रही है कि आखिर यह कैसा देश है, जिसने महामारी के एक साल में स्वास्थ्य की कोई बुनियादी सुविधा नहीं बढ़ाई, फिर भी नेता महामारी रोक लेने का दावा कर रहा है और लोग उस पर ताली-थाली बजा रहे हैं। महामारी के खिलाफ 21 दिन में जंग जीत लेने का दावा भी दुनिया के लिए कम कौतुक भरा नहीं था। उस दावे के करीब चार सौ दिन बाद देश के हालात ज्यादा बुरे हैं लेकिन उस पर क्या शर्मिंदा होना!।
हो सकता है समय के साथ वायरस कमजोर पड़े या वैक्सीन और असरदार हो, लेकिन तब तक कोई स्थायी सुरक्षा नहीं है। वैसे भी भारत जैसे देश में जहां वैक्सीन की पहली डोज लगने में बरसों लगने हैं वहां वैक्सीन के जरिए सुरक्षा हासिल करने के बारे में सोचना भी जल्दबाजी होगा।
दूसरी ओर, रोजाना के बढ़ते आंकड़े डरा रहे हैं। भारत में कोरोना वायरस के संक्रमितों की संख्या डेढ़ करोड़ को पार कर गई। रविवार को पूरे देश में करीब पौने तीन लाख (2,73,810) नए केस आए हैं, जिससे संक्रमितों की संख्या डेढ़ करोड़ पार कर गई हैं।यही नहीं, देश में एक्टिव केसों की संख्या 19 लाख पार कर गई हैं और रिकॉर्ड 1619 नई मौतों के बाद देश में मरने वालों की संख्या भी एक लाख 78 हजार 769 हो गई है।
कोरोना वायरस से सर्वाधिक संक्रमित राज्य महाराष्ट्र में रविवार को रिकार्ड संख्या में 68,631 नए केसेज आए। राज्य में 24 घंटे में 503 लोगों की मौत हुई, जो अपने आप में रिकार्ड है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रविवार को 25 हजार नए मरीज मिले और रिकार्ड 161 लोगों की मौत हुई। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया कि दिल्ली में संक्रमण की दर 30 फीसदी हो गई है। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में रविवार को संक्रमितों की संख्या 30 हजार से ऊपर पहुंच गई। राज्य में 30,566 नए मरीज मिले, जबकि सिर्फ 9,041 मरीज इलाज से ठीक हुए। राज्य में 24 घंटे में 127 लोगों की मौत हुई। पंजाब में रविवार को 4900 नए केस मिले और 3,141 लोग ठीक हुए। 68 लोगों की मौत हुई। बिहार में 8,690 नए मरीज मिले 27 की मौत हुई। गुजरात में संक्रमितों की संख्या 10 हजार पार हो गई। राज्य में 10,340 केस आए और रिकार्ड 110 लोगों की मौत हुई। चुनाव वाले राज्य पश्चिम बंगाल में 24 घंटे में संक्रमितों की संख्या आठ हजार से ज्यादा रही। राज्य में 8,419 नए मरीज मिले।
राजस्थान में संक्रमितों की संख्या 10 हजार 514 रही। मध्य प्रदेश में लगातार तीसरे दिन संक्रमितों की संख्या 12 हजार से ऊपर रही। राज्य में 12,248 नए संक्रमित मिले। केरल में संक्रमितों की संख्या में रिकार्ड बढ़ोतरी हुई। रविवार को राज्य में 18,257 नए मरीज मिले और 25 मरीजों की संक्रमण से मौत हुई। कर्नाटक में 19,067 नए मरीज मिले और 81 लोगों की संक्रमण से मौत हुई। दक्षिण के दूसरे राज्यों तमिलनाडु में 10,723 व आंध्र प्रदेश में 6,562 नए केस मिले हैं। यही नहीं, इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक ख़बर के अनुसार, स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्ष वर्धन के ही अनुसार, देश में जिस तेज़ी से कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं उस तेज़ी से लोग ठीक नहीं हो रहे हैं जिस कारण देश में एक्टिव केस की संख्या लगातार बढ़ रही है। साथ ही कोरोना से हो रही मौतों में 10.2% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वहीं, देश में कोरोना संक्रमण के मामलों में भी 7.6% की तेजी दर्ज की जा रही है जो भी एक रिकॉर्ड है।