मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केरल में विभाजनकारी राजनीति के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि सभी भारतीय “हिंदू” हैं।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बजट सत्र के दौरान विधानसभा में बोलते हुए कहा कि भारत के हर नागरिक की पहचान हिंदू के रूप में है। योगी ने कहा कि अखंड भारत का कोई भी नागरिक जब हज करने या अन्य कारणों से विदेश जाता है तो उसकी पहचान “हिन्दू” के रूप में होती है। योगी ने कहा “हिन्दू, कोई धर्म नहीं एक जीवन पद्धति और संस्कृति है, जबकि सनातन धर्म है। हम सभी को अपनी पहचान पर गर्व है।”
योगी ने कहा “जब भी कोई हज करने के लिए जाता है उसकी पहचान एक हिन्दू के रूप में होती है… नेता सदन योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जो लोग हिन्दू को साम्प्रदायिक कहते हैं यह वही लोग है जो अयोध्या मथुरा काशी का सम्मान नहीं करते हैं।” यूपी सीएम ने कहा “हिंदू कोई धर्म नहीं है। धर्म तो सनातन है। हिंदू शब्द से पता नहीं इतनी चिढ़ क्यों है? हिंदू को सांप्रदायिक कहते हैं। ये वही लोग हैं जो विरासत के प्रतीकों का सम्मान नहीं करते, शक्तिपीठों का सम्मान नहीं करते।
योगी ने सपा सदस्यों से कहा कि राम, कृष्ण और शंकर के बार में डॉ. लोहिया से सीखना चाहिए। यूपी के सीएम ने कहा “अयोध्या में श्रीराम मंदिर का शिलान्यास राष्ट्रीय गौरव का विषय है। पूरी दुनिया ने राम को अपनाया लेकिन कुछ लोग अब भी विद्वेष करते हैं। रामायण काल में राक्षस भी ऐसा ही करते थे।”
कांग्रेस पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि उसकी विभाजनकारी मानसिकता चिंता में डालने वाली है। इसी के चलते देश को विभाजन की त्रासदी झेलनी पड़ी। सीएम योगी ने कहा कि हम केरल को सनातन आस्था का केंद्र मानते हैं। आदि शंकराचार्य का जन्म केरल में हुआ था। उन्होंने चार पीठों की स्थापना कर सांस्कृतिक एकता का संदेश दिया। उसी केरल में कांग्रेस विभाजनकारी राजनीति कर रही है।
योगी ने कहा “लश्कर ए तोएबा के बजाय भारतीय संगठनों से खतरा बढ़ा रही है। यह कैसा राजनीतिक संस्कार है। विदेशी राजदूतों के सामने भारत के संगठनों पर सवाल खड़े करना, सेना के जवानों को हतोत्साहित करना कौन सी मानसिकता है? यह मानसिकता है जिसने राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा खड़ा किया है।”
उल्लेख योग्य है कि उनके शब्द भारतीय संविधान की प्रस्तावना का उल्लंघन करते हैं जो भारत को एक संप्रभु, धर्मनिरपेक्ष गणतंत्र के साथ-साथ भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकारों के रूप में मान्यता देता है। जो उन्हें किसी भी धर्म के किसी भी व्यक्ति की पसंद का अभ्यास करने की अनुमति देता है। उल्लेखनीय रूप से, मध्य भारत के स्वदेशी लोग लंबे समय से अपनी भारतीय राष्ट्रीयता को बनाए रखते हुए हिंदू और हिंदुत्व से अलग ‘सरना’ धर्म की अलग पहचान की मांग कर रहे हैं।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बजट सत्र के दौरान विधानसभा में बोलते हुए कहा कि भारत के हर नागरिक की पहचान हिंदू के रूप में है। योगी ने कहा कि अखंड भारत का कोई भी नागरिक जब हज करने या अन्य कारणों से विदेश जाता है तो उसकी पहचान “हिन्दू” के रूप में होती है। योगी ने कहा “हिन्दू, कोई धर्म नहीं एक जीवन पद्धति और संस्कृति है, जबकि सनातन धर्म है। हम सभी को अपनी पहचान पर गर्व है।”
योगी ने कहा “जब भी कोई हज करने के लिए जाता है उसकी पहचान एक हिन्दू के रूप में होती है… नेता सदन योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जो लोग हिन्दू को साम्प्रदायिक कहते हैं यह वही लोग है जो अयोध्या मथुरा काशी का सम्मान नहीं करते हैं।” यूपी सीएम ने कहा “हिंदू कोई धर्म नहीं है। धर्म तो सनातन है। हिंदू शब्द से पता नहीं इतनी चिढ़ क्यों है? हिंदू को सांप्रदायिक कहते हैं। ये वही लोग हैं जो विरासत के प्रतीकों का सम्मान नहीं करते, शक्तिपीठों का सम्मान नहीं करते।
योगी ने सपा सदस्यों से कहा कि राम, कृष्ण और शंकर के बार में डॉ. लोहिया से सीखना चाहिए। यूपी के सीएम ने कहा “अयोध्या में श्रीराम मंदिर का शिलान्यास राष्ट्रीय गौरव का विषय है। पूरी दुनिया ने राम को अपनाया लेकिन कुछ लोग अब भी विद्वेष करते हैं। रामायण काल में राक्षस भी ऐसा ही करते थे।”
कांग्रेस पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि उसकी विभाजनकारी मानसिकता चिंता में डालने वाली है। इसी के चलते देश को विभाजन की त्रासदी झेलनी पड़ी। सीएम योगी ने कहा कि हम केरल को सनातन आस्था का केंद्र मानते हैं। आदि शंकराचार्य का जन्म केरल में हुआ था। उन्होंने चार पीठों की स्थापना कर सांस्कृतिक एकता का संदेश दिया। उसी केरल में कांग्रेस विभाजनकारी राजनीति कर रही है।
योगी ने कहा “लश्कर ए तोएबा के बजाय भारतीय संगठनों से खतरा बढ़ा रही है। यह कैसा राजनीतिक संस्कार है। विदेशी राजदूतों के सामने भारत के संगठनों पर सवाल खड़े करना, सेना के जवानों को हतोत्साहित करना कौन सी मानसिकता है? यह मानसिकता है जिसने राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा खड़ा किया है।”
उल्लेख योग्य है कि उनके शब्द भारतीय संविधान की प्रस्तावना का उल्लंघन करते हैं जो भारत को एक संप्रभु, धर्मनिरपेक्ष गणतंत्र के साथ-साथ भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकारों के रूप में मान्यता देता है। जो उन्हें किसी भी धर्म के किसी भी व्यक्ति की पसंद का अभ्यास करने की अनुमति देता है। उल्लेखनीय रूप से, मध्य भारत के स्वदेशी लोग लंबे समय से अपनी भारतीय राष्ट्रीयता को बनाए रखते हुए हिंदू और हिंदुत्व से अलग ‘सरना’ धर्म की अलग पहचान की मांग कर रहे हैं।