मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से जानना चाहा है कि भीमा कोरेगांव के एल्गार परिषद के मामले में 82 वर्षीय आरोपी वरवरा राव की जमानत को लेकर उसकी कौन सी आशंकाएं है। क्या एनआईए इस पक्ष में है कि नानावटी अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद राव की तबीयत फिर बिगड़े और उन्हें दोबारा अस्पताल में भर्ती करने के घटनाक्रम को दोहाराया जाए। किसी कैदी को खास तौर से बुजुर्ग कैदी को लंबे समय तक हिरासत में रखना उसके स्वास्थय के लिए क्या घातक नहीं हो सकता है।
न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति मनीष पीटले की खंडपीठ ने एनआईए की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सालिसिटर जनरल अनिल सिंह को इस बारे में अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है। खंडपीठ ने कहा है कि क्या एनआईए कड़ी शर्तों के साथ राव को जमानत देन के पक्ष में आ सकती है। हम इस मामले में एक संतुलित समाधान चाहते हैं।
वैसे अभी तक इस मामले में आरोपियों पर आरोप तय नहीं हुए है। प्रकरण में कुल 200 से ज्यादा गवाह हैं। इसलिए मुकदमे की सुनवाई शीघ्रता से पूरी होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। इसलिए हम चाहते हैं कि जमानत आवेदन को लेकर सभी पहलूओं पर विचार हो। इसलिए हम एक संतुलित समाधान चाहते हैं। खंडपीठ ने कहा कि पिछले दिनों एक कैदी को देखने में तकलीफ के चलते उसके घरवालों ने चश्मा भेजा था क्योंकि उसका चश्मा टूट गया था लेकिन जेलर ने कैदी को चश्मा नहीं देने दिया। जेल के इस पहलू की भी अनदेखी नहीं की जा सकती है।
खंडपीठ के इन सावालों के जवाब में सिंह ने कहा कि जेल में राव अकेले 80 साल के ऊपर के कैदी नहीं हैं। राव पर काफी गंभीर आरोप हैं। इसलिए उन्हें जमानत न दी जाए। उन्होंने कहा कि गुजरात हाईकोर्ट ने लंबी आयु और तबीयत ठीक न होने के आधार पर संत आसाराम को जमानत देने से इंकार कर दिया था। क्योंकि आसाराम पर काफी गंभीर आरोप हैं। इसी तरह राव पर गंभीर आरोप हैं। उनका मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है। जहां तक बात राव के स्वास्थ्य की है तो नानावटी की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि राव का स्वास्थ्य स्थिर है। सरकार ने अपने खर्च पर आरोपी को स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराई है। जरुरत पड़ने पर सरकार आगे भी आरोपी के उपचार के लिए जरुरी कदम उठाएगी।
राज्य सरकार ने आरोपी को जेजे अस्पताल में कैदियों के वार्ड में रखने की बात कही है। जहां राव के स्वास्थ्य की देखरेख की जा सकेगी। ऐसे में राव के जमानत आवेदन पर विचार करना आवश्यक नजर आ रहा है। खंडपीठ ने एक फरवरी को इस मामले पर सुनवाई रखी है।
न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति मनीष पीटले की खंडपीठ ने एनआईए की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सालिसिटर जनरल अनिल सिंह को इस बारे में अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है। खंडपीठ ने कहा है कि क्या एनआईए कड़ी शर्तों के साथ राव को जमानत देन के पक्ष में आ सकती है। हम इस मामले में एक संतुलित समाधान चाहते हैं।
वैसे अभी तक इस मामले में आरोपियों पर आरोप तय नहीं हुए है। प्रकरण में कुल 200 से ज्यादा गवाह हैं। इसलिए मुकदमे की सुनवाई शीघ्रता से पूरी होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। इसलिए हम चाहते हैं कि जमानत आवेदन को लेकर सभी पहलूओं पर विचार हो। इसलिए हम एक संतुलित समाधान चाहते हैं। खंडपीठ ने कहा कि पिछले दिनों एक कैदी को देखने में तकलीफ के चलते उसके घरवालों ने चश्मा भेजा था क्योंकि उसका चश्मा टूट गया था लेकिन जेलर ने कैदी को चश्मा नहीं देने दिया। जेल के इस पहलू की भी अनदेखी नहीं की जा सकती है।
खंडपीठ के इन सावालों के जवाब में सिंह ने कहा कि जेल में राव अकेले 80 साल के ऊपर के कैदी नहीं हैं। राव पर काफी गंभीर आरोप हैं। इसलिए उन्हें जमानत न दी जाए। उन्होंने कहा कि गुजरात हाईकोर्ट ने लंबी आयु और तबीयत ठीक न होने के आधार पर संत आसाराम को जमानत देने से इंकार कर दिया था। क्योंकि आसाराम पर काफी गंभीर आरोप हैं। इसी तरह राव पर गंभीर आरोप हैं। उनका मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है। जहां तक बात राव के स्वास्थ्य की है तो नानावटी की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि राव का स्वास्थ्य स्थिर है। सरकार ने अपने खर्च पर आरोपी को स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराई है। जरुरत पड़ने पर सरकार आगे भी आरोपी के उपचार के लिए जरुरी कदम उठाएगी।
राज्य सरकार ने आरोपी को जेजे अस्पताल में कैदियों के वार्ड में रखने की बात कही है। जहां राव के स्वास्थ्य की देखरेख की जा सकेगी। ऐसे में राव के जमानत आवेदन पर विचार करना आवश्यक नजर आ रहा है। खंडपीठ ने एक फरवरी को इस मामले पर सुनवाई रखी है।