भीमा कोरेगांव मामला: 81 साल के वरवर राव को 29 महीने बाद जमानत

Written by Sabrangindia Staff | Published on: February 23, 2021
मुंबई। कवि वरवर राव को भीमा कोरेगाँव मामले में ज़मानत मिल गई है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को 81 साल के इस विद्रोही कवि को स्वास्थ्य आधार पर छह महीने की ज़मानत दे दी। अदालत के आदेश पर उन्हें जेल से निकाल कर नानावती अस्पताल में दाखिल कराया गया था। 



इसके पहले मशहूर वकील इंदिरा जयसिंह ने वरवर राव की पैरवी करते हुए बंबई हाइकोर्ट में उनके स्वास्थ्य की विस्तृत जानकारी दी थी और अंतरिम ज़मानत का अनुरोध किया था। उन्होंने अदालत से कहा था कि राव फरवरी, 2020 से अभी तक कुल 365 दिनों में से 149 दिन अस्पताल में रहे हैं।

वरवर राव पर 1 जनवरी, 2020 को महाराष्ट्र के नासिक ज़िले के भीमा कोरेगाँव में हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया था। ईस्ट इंडिया कंपनी और मराठा सेना के बीच हुए युद्ध और उसमें मराठों की हार की 200वीं वर्षगांठ पर  जश्न के बाद हिंसा भड़की थी। इसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे।

मामले की जाँच कर रही नेशनल इनवेस्टीगेशन एजेंसी ने आरोप लगाया था कि राव भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी और उसकी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिये षडयंत्रकारियों से संपर्क में रहे हैं। इस मामले में वरवर राव के अलावा सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेन्द्र गैडलिंग, अरुण फरेरा, वर्नन गोंसालवेस, हनी बाबू, शोमा सेन, महेश राउत, सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबड़े को भी गिरफ़्तार किया गया था। राव पर आरोप है कि वे इन सबसे संपर्क में रहे हैं। 

जाँच एजेंसियों का कहना है कि साल 2018 में महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा की जाँच के दौरान वरवर राव के खिलाफ पुख्ता सबूत मिले और इसी वजह से उन्हें गिरफ्तार किया गया है। इसी जाँच के दौरान पुलिस को माओवादियों की एक चिट्ठी मिली, जिससे प्रधानमंत्री की हत्या की साज़िश का खुलासा हुआ। इसी चिट्ठी में वरवर राव का भी ज़िक्र है। राव यह सफाई दे रहे हैं कि इस मामले से उनका कोई लेना-देना नहीं है। राव पर ग़ैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के सख्त प्रावधानों के तहत मामले दर्ज हैं। केंद्र सरकार को उखाड़ फेंकने की साजिश रचने जैसे गंभीर आरोप हैं। 

बाकी ख़बरें