नई दिल्ली। अडानी ग्रुप किसान आंदोलन को लेकर बड़ा ही चर्चित नाम है। केंद्र सरकार पर किसानों का आरोप है कि हालिया कृषि कानून अडानी जैसे उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाए गए हैं। अब ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने एक और बड़ा खुलासा किया है। यह खुलसा एयपोर्ट्स को निजी हाथों में सौंपे जाने के लेकर है। इसमें कहा गया है कि साल 2019 में हुई बिडिंग की प्रक्रिया पर नीति आयोग और वित्त मंत्रालय ने आपत्ति जताई थी कि एक ही कंपनी को 6 एयरपोर्ट नहीं दिए जाने चाहिए लेकिन इसकी अनदेखी की गई।
रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी ग्रुप ने देश के दूसरे सबसे बड़े मुंबई एयरपोर्ट को भी अक्वायर कर लिया है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ने 12 जनवरी को इसके टेकओवर को हरी झंडी दिखा दी है। अहमदाबाद के अडानी ग्रुप ने 6 एयरपोर्ट के लिए सबसे बड़ी बोली लगाई है।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने दावा किया है कि उसे कुछ रेकॉर्ड मिले हैं जिनसे पता चलता है कि NDA सरकार के सबसे बड़े प्रिवेटाइजेशन प्रोग्राम के अंतरगत अहमदाबाद, लखनऊ, मैंगलोर, जयपुर, गुवाहाटी, तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट के लिए बोलियों को आमंत्रित किया गया था। केंद्र की पब्लिक प्राइवेट पार्नरशिप अप्रेजल कमिटी (PPPAC) ने सिविल एविएशन मिनिस्ट्री से 11 दिसंबर 2018 को इस प्रस्ताव पर चर्चा की थी।
इस मीटिंग के दौरान वित्त मंत्रालय की तरफ से दिए गए नोट में कहा गया था कि ये 6 एयरपोर्ट हाइली कैपिटल इंटेसिव हैं और एक ही कंपनी को दे देना ठीक नहीं है। एक कंपनी को दो से ज्यादा एयरपोर्ट नहीं दिए जाने चाहिए।
इस मामले में वित्त मंत्रालय ने दिल्ली और मुंबई एयरपोर्ट के प्रेजिडेंट से भी संपर्क किया था। यहां जीएमआर ही केवल योग्य बिडर था लेकिन दोनों ही एयरपोर्ट उसे नहीं दिए गए। उसी दिन वित्त मंत्रालय के नोट पर NITI आयोग ने भी अलग चिंता व्यक्त की। नीति आयोग का कहना था कि पीपीपी का मेमो सरकार की नीति के विरुद्ध है। जिस बिडर के पास तकनीकी क्षमता नहीं होगी वह सरकार की प्रतिबद्धता के अनुसार सेवाएँ नहीं दे पाएगा।
वित्त मंत्रालय के सेक्रटरी एससी गर्ग की अध्यक्षता वाले PPAC की तरफ से कहा गया कि पहले ही फैसला कर लिया गया है कि पहले के अनुभवों को बिडिंग का आधार नहीं बनाया जाएगा। बिड जीतने के एक साल बाद ही अडानी ग्रुप ने अहमदाबाद, मैंगलुरु और लखनऊ एयरपोर्ट के कंसेशन अग्रीमेंट पर साइन कर दिया। बोली के मामले में अडानी ग्रुप ने जीएमआर ग्रुप, जुरिक एयरपोर्ट औऱ कोच्चि इंटरनैशनल एयरपोर्ट लिमिटेड को काफी पीछे छोड़ दिया। इसलिए 50 साल के लिए 6 एयरपोर्ट को संचालित करने का अधिकार अडानी को मिल गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी ग्रुप ने देश के दूसरे सबसे बड़े मुंबई एयरपोर्ट को भी अक्वायर कर लिया है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ने 12 जनवरी को इसके टेकओवर को हरी झंडी दिखा दी है। अहमदाबाद के अडानी ग्रुप ने 6 एयरपोर्ट के लिए सबसे बड़ी बोली लगाई है।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने दावा किया है कि उसे कुछ रेकॉर्ड मिले हैं जिनसे पता चलता है कि NDA सरकार के सबसे बड़े प्रिवेटाइजेशन प्रोग्राम के अंतरगत अहमदाबाद, लखनऊ, मैंगलोर, जयपुर, गुवाहाटी, तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट के लिए बोलियों को आमंत्रित किया गया था। केंद्र की पब्लिक प्राइवेट पार्नरशिप अप्रेजल कमिटी (PPPAC) ने सिविल एविएशन मिनिस्ट्री से 11 दिसंबर 2018 को इस प्रस्ताव पर चर्चा की थी।
इस मीटिंग के दौरान वित्त मंत्रालय की तरफ से दिए गए नोट में कहा गया था कि ये 6 एयरपोर्ट हाइली कैपिटल इंटेसिव हैं और एक ही कंपनी को दे देना ठीक नहीं है। एक कंपनी को दो से ज्यादा एयरपोर्ट नहीं दिए जाने चाहिए।
इस मामले में वित्त मंत्रालय ने दिल्ली और मुंबई एयरपोर्ट के प्रेजिडेंट से भी संपर्क किया था। यहां जीएमआर ही केवल योग्य बिडर था लेकिन दोनों ही एयरपोर्ट उसे नहीं दिए गए। उसी दिन वित्त मंत्रालय के नोट पर NITI आयोग ने भी अलग चिंता व्यक्त की। नीति आयोग का कहना था कि पीपीपी का मेमो सरकार की नीति के विरुद्ध है। जिस बिडर के पास तकनीकी क्षमता नहीं होगी वह सरकार की प्रतिबद्धता के अनुसार सेवाएँ नहीं दे पाएगा।
वित्त मंत्रालय के सेक्रटरी एससी गर्ग की अध्यक्षता वाले PPAC की तरफ से कहा गया कि पहले ही फैसला कर लिया गया है कि पहले के अनुभवों को बिडिंग का आधार नहीं बनाया जाएगा। बिड जीतने के एक साल बाद ही अडानी ग्रुप ने अहमदाबाद, मैंगलुरु और लखनऊ एयरपोर्ट के कंसेशन अग्रीमेंट पर साइन कर दिया। बोली के मामले में अडानी ग्रुप ने जीएमआर ग्रुप, जुरिक एयरपोर्ट औऱ कोच्चि इंटरनैशनल एयरपोर्ट लिमिटेड को काफी पीछे छोड़ दिया। इसलिए 50 साल के लिए 6 एयरपोर्ट को संचालित करने का अधिकार अडानी को मिल गया।