बलात्कार केवल शारीरिक हमला नहीं बल्कि पीड़िता के व्यक्तित्व का विनाश है: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

Written by sabrang india | Published on: January 7, 2021
जम्मू-कश्मीर के उच्च न्यायालय ने उदार दृष्टिकोण अपनाने से इनकार करते हुए एक बलात्कार के आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया क्योंकि वह समाज के हितों के खिलाफ होगा। न्यायमूर्ति संजय धर ने जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए अभियोजन पक्ष के उस बयान पर विचार किया कि याचिकाकर्ता ने धमकी दी थी कि यदि वह केस वापस नहीं लेती है तो उसे और उसके परिवार को चोट पहुंचाई जाएगी।



याचिकाकर्ता उस मामले में नियमित रूप से जमानत की मांग कर रहा था जिसमें एक लड़की द्वारा आरोप लगाया गया था कि उसने पीड़िता की इच्छा के खिलाफ जाकर उसके साथ अवैध संबंध बनाए। साथ ही उसने पीड़िता से शादी करने का भी वादा किया था व किसी को बताने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी था। जांच के बाद पुलिस इस निष्कर्ष पर पहुंची कि याचिकाकर्ता के खिलाफ बलात्कार का आरोप लगाया गया था। याचिकाकर्ता ने जमानत के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन अक्टूबर, 2020 में इनकार कर दिया था।

याचिकाकर्ता ने इस आधार पर जमानत मांगी कि अभियोजन पक्ष ने स्वतंत्र सहमति से याचिकाकर्ता के साथ संबंध बनाया। याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि चिकित्सकीय जांच से इनकार करने के कारण उनके बयान में आत्मविश्वास नहीं है।

अभियोजन पक्ष ने दावा किया है कि वह याचिकाकर्ता के साथ फ्रेंडली थी और उनके बीच यह संबंध काफी लंबे समय तक जारी रहे और उसने उससे शादी करने का वादा किया था।

अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष लंबे समय से याचिकाकर्ता के साथ काफी फ्रेंडली था, लेकिन यह याचिकाकर्ता / अभियुक्त को उसकी सहमति के बिना, उसके साथ यौन संबंध बनाने का लाइसेंस नहीं देता है"। अदालत ने आगे पाया कि चूंकि एफआईआर दर्ज करने से कुछ महीने पहले अभियोजन पक्ष ने बहुमत हासिल कर लिया था, इसलिए याचिकाकर्ता का तर्क है कि "याचिकाकर्ता के लिए उसके प्यार और जुनून के कारण अभियोजक ने उसके साथ यौन संबंध बनाए थे क्योंकि वह 10 वीं कक्षा में थी।

जमानत के सवाल पर विचार करते हुए अदालत ने कहा कि बलात्कार केवल एक शारीरिक हमला नहीं है, बल्कि यह पीड़ित के व्यक्तित्व का विनाश है और इसलिए इस तरह के मामलों में जमानत देते समय उदार दृष्टिकोण रखना समाज के हितों के खिलाफ होगा।

अदालत ने कहा कि अपने बयान में अभियोजन पक्ष ने कहा है कि उसे याचिकाकर्ता और उसके दोस्तों द्वारा धमकी दी गई थी कि अगर उसके खिलाफ मामला वापस नहीं लिया गया तो उसके परिवार को उससे दूर कर दिया जाएगा, और इसलिए संभावना है कि जमानत मिलने पर याचिकाकर्ता अभियोजन पक्ष को धमकी देगा। इसलिए, अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष के बयान के बावजूद, जमानत देना, न्याय के मार्ग को विफल कर सकता है। अदालत ने इस तरह याचिकाकर्ता को जमानत देने से इनकार कर दिया।

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