नई दिल्ली। गुजरात के ऊना कांड के बाद दलित उत्पीड़न के खिलाफ आवाज बनकर उभरे जिग्नेश मेवानी चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता रहे हैं। जिग्नेश मेवानी अब नेता हैं और गुजरात के वडगाम से विधायक हैं। जिग्नेश मेवानी को विधायक चुने जाने के तीन साल हो चुके हैं। इस मौके पर उन्होंने अपने अब तक के कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड पेश किया है। फेसबुक पर वीडियो जारी कर उन्होंने अपनी उपलब्धियां गिनाई हैं।
जिग्नेश मेवानी ने कहा कि विधायकों के साथ सबसे ज्यादा दिक्कत लोगों को यह होती है कि वे चुनाव जीतने के बाद पांच साल तक जनता के बीच नहीं जाते। लेकिन मैं बड़ी खुशी के साथ बताना चाहता हूं कि मैं इन तीन साल में हर गांव में दो से तीन बार जा चुका हूं। उन्होंने कहा कि लोग अपने विधायक के पास समस्या लेकर जाते हैं लेकिन मैं अपना दफ्तर ही जनता के बीच लेकर गया। मैंने, गांव में, चौपालों पर जनता के बीच जाकर उनकी समस्याएं सुनीं और उनका निराकरण करने का पूरा प्रयास किया।
अपनी उपलब्धियां गिनाते हुए उन्होंने कहा कि मुक्तेश्वर डैम और करनावत लेक के पानी को लेकर हम कैंपेन चला रहे थे। जिसके चलते हमें करीब 25 गांवों के लिए धरोई डैम से पानी मिल गया। यह हमारी एक छोटी सी सफलता है लेकिन मुक्तेश्वर डैम और करनावत लेक की लड़ाई आने वाले समय में हम और भी आगे बढ़ाएंगे।
उन्होंने कहा कि हमें करीब 3500 लोगों से शिकायत मिली थी कि उन्हें राशन या तो मिल नहीं रहा है या कम मिल रहा है। हमने अपने प्रयासों से इन तीन सालों में इस समस्या को हल कराया। इसके साथ ही लॉकडाउन के दौरान हमने करीब 1600 लोगों को राशन किट उपलब्ध कराई। ये लोग दिव्यांग थे व अपने लिए भोजन का प्रबंध करने में अक्षम थे। हमने ऐसे लोगों को ढूंढा और उन्हें राशन किट उपलब्ध कराईं।
जिग्नेश ने कहा कि नॉर्थ गुजरात के बनासकांठा जिले में मनरेगा में बहुत बड़ा स्कैम चल रहा था। हमने इसे शॉर्टआउट कराया व जो लोग इससे वंचित थे उन्हें इसका लाभ आज की तारीख में मिल रहा है। उन्होंने कहा कि मनरेगा में भारी स्कैम चल रहा था इसका नेक्सस हमने तोड़ा और इसे एक्सपोज किया। इसका पॉजीटिव इम्पैक्ट यह आया कि आज बडगाम की 110 ग्राम पंचायतों में एक भी जगह मनरेगा में स्कैम नहीं है। इसके अलावा उन्होने जमीन पर कब्जे, हेल्थ व एजुकेशन सेक्टर में भी अपने काम के बारे में बताया।
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जिग्नेश मेवानी ने कहा कि विधायकों के साथ सबसे ज्यादा दिक्कत लोगों को यह होती है कि वे चुनाव जीतने के बाद पांच साल तक जनता के बीच नहीं जाते। लेकिन मैं बड़ी खुशी के साथ बताना चाहता हूं कि मैं इन तीन साल में हर गांव में दो से तीन बार जा चुका हूं। उन्होंने कहा कि लोग अपने विधायक के पास समस्या लेकर जाते हैं लेकिन मैं अपना दफ्तर ही जनता के बीच लेकर गया। मैंने, गांव में, चौपालों पर जनता के बीच जाकर उनकी समस्याएं सुनीं और उनका निराकरण करने का पूरा प्रयास किया।
अपनी उपलब्धियां गिनाते हुए उन्होंने कहा कि मुक्तेश्वर डैम और करनावत लेक के पानी को लेकर हम कैंपेन चला रहे थे। जिसके चलते हमें करीब 25 गांवों के लिए धरोई डैम से पानी मिल गया। यह हमारी एक छोटी सी सफलता है लेकिन मुक्तेश्वर डैम और करनावत लेक की लड़ाई आने वाले समय में हम और भी आगे बढ़ाएंगे।
उन्होंने कहा कि हमें करीब 3500 लोगों से शिकायत मिली थी कि उन्हें राशन या तो मिल नहीं रहा है या कम मिल रहा है। हमने अपने प्रयासों से इन तीन सालों में इस समस्या को हल कराया। इसके साथ ही लॉकडाउन के दौरान हमने करीब 1600 लोगों को राशन किट उपलब्ध कराई। ये लोग दिव्यांग थे व अपने लिए भोजन का प्रबंध करने में अक्षम थे। हमने ऐसे लोगों को ढूंढा और उन्हें राशन किट उपलब्ध कराईं।
जिग्नेश ने कहा कि नॉर्थ गुजरात के बनासकांठा जिले में मनरेगा में बहुत बड़ा स्कैम चल रहा था। हमने इसे शॉर्टआउट कराया व जो लोग इससे वंचित थे उन्हें इसका लाभ आज की तारीख में मिल रहा है। उन्होंने कहा कि मनरेगा में भारी स्कैम चल रहा था इसका नेक्सस हमने तोड़ा और इसे एक्सपोज किया। इसका पॉजीटिव इम्पैक्ट यह आया कि आज बडगाम की 110 ग्राम पंचायतों में एक भी जगह मनरेगा में स्कैम नहीं है। इसके अलावा उन्होने जमीन पर कब्जे, हेल्थ व एजुकेशन सेक्टर में भी अपने काम के बारे में बताया।
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