उत्तर प्रदेश में अमरोहा की नौगावां सादात, बुलंदशहर, टुंडला, उन्नाव की बांगरमऊ, घाटमपुर, देवरिया और जौनपुर की मल्हानी विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के प्रचार का शोर थम गया हैं। 3 नवंबर मंगलवार मतदान व 10 नवंबर को गिनती है। उपचुनाव में भले भाजपा को छोड़ सपा, बसपा, कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने खुद को प्रचार अभियान से दूर रखा हो लेकिन योगी के साथ अखिलेश, माया और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के प्रदर्शन को कही न कहीं यह उपचुनाव मापने का काम जरूर करेंगे।
अब जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कानपुर व हाथरस कांड आदि से क़ानून-व्यवस्था को लेकर सबके निशाने पर हैं वहीं राज्यसभा चुनाव में मायावती का भाजपा से प्रेम उजागर होने और अखिलेश यादव से बढ़ी तल्खी के असर पर भी विश्लेषकों की नजर रहेगी। यही नहीं, 2022 के चुनाव से ठीक पहले होने जा रहे इन उपचुनावों में सपा, बसपा और कांग्रेस में से योगी आदित्यनाथ को कौन व कितनी चुनौती दे पाता हैं, भी देखने वाली बात होगी।
2017 के विधानसभा चुनाव में इन 7 सीटों में से 6 पर बीजेपी जीती थी जबकि एक पर सपा का कब्जा था। इसी से उपचुनाव के नतीजे तय करेंगे कि 3 साल बाद योगी के प्रति लोगों का रुख़ कैसा है? वहीं, अपनी सभी 6 सीट बचाने को लेकर भी योगी की प्रतिष्ठा उपचुनाव से सीधे जुड़ी है।
योगी आदित्यनाथ अपनी रैलियों में कश्मीर से धारा 370 हटाने और राम मंदिर निर्माण को उपलब्धि के तौर पर पेश कर रहे हैं तो 'लव जिहाद' को लेकर भी क़ानून बनाने की बात कर रहे हैं। माफिया व बाहुबलियो के ठिकानों पर बुलडोज़र चलाने की बात कर रहे हैं तो विरोधी उनके राज में बदहाल कानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार, ब्राह्मण व दलित अत्याचार और अफसरशाही के हावी होने के साथ किसानों की नाराजगी आदि को मुद्दा बना रहे हैं।
देंखे तो उपचुनावों से अमूमन दूर रहने वाली बसपा ने इस बार विधानसभा की सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े कर रही है। वही सपा, राष्ट्रीय लोकदल के साथ मिलकर लड़ रही हैं। बीजेपी व कांग्रेस के साथ कुछ सीटों पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन ने भी प्रत्याशी उतारे हैं। वैसे देंखे तो बुलंदशहर में सबसे ज्यादा 18 प्रत्याशी हैं।
जौनपुर की मल्हनी सीट पर 16 उम्मीदवार आमने-सामने हैं। जबकि घाटमपुर में सबसे कम 6 प्रत्याशी हैं। अमरोहा की नौगांव-सादात और देवरिया सीट पर 14-14 उम्मीदवार हैं। फिरोजाबाद की टूंडला और उन्नाव की बांगरमऊ सीट पर 10-10 उम्मीदवार मैदान में हैं।
सीटवार देंखे तो राज्य सरकार में मंत्री रहे पूर्व क्रिकेटर चेतन चौहान के निधन से रिक्त हुई नौगांव-सादात सीट पर बीजेपी से उनकी पत्नी संगीता चौहान, कांग्रेस से कमलेश सिंह, सपा से जावेद अब्बास, बीएसपी से फुरकान और राकांपा से हशमत अली समेत अन्य उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।
राज्य सरकार में मंत्री कमल रानी वरुण के निधन के रिक्त हुई घाटमपुर सीट पर बीजेपी से उपेंद्र नाथ पासवान, सपा से इंद्रजीत कोरी, बीएसपी से कुलदीप संखवार और कांग्रेस से डॉ कृपा शंकर उम्मीदवार हैं। विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के मुख्य सचेतक रहे वीरेंद्र सिंह सिरोही के निधन के बाद बीजेपी ने बुलंदशहर सीट पर सिरोही की पत्नी ऊषा सिरोही, बीएसपी ने मोहम्मद युनूस, कांग्रेस ने सुशील चौधरी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने योगेंद्र शंकर शर्मा, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन ने दिलशाद अहमद और राष्ट्रीय लोकदल ने प्रवीण कुमार सिंह को मौका दिया है। समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर राष्ट्रीय लोकदल को समर्थन दिया है।
उन्नाव की बांगरमऊ सीट पर कांग्रेस से आरती बाजपेयी, बहुजन समाज पार्टी से महेश प्रसाद और भारतीय जनता पार्टी से श्रीकांत कटियार चुनाव मैदान में हैं, जबकि समाजवादी पार्टी ने यहां सुरेश कुमार पाल को मैदान में उतारा है। बांगरमऊ सीट विधायक कुलदीप सेंगर के सजायाफ्ता होने से रिक्त हुई है।
बीजेपी विधायक जनमेजय सिंह के निधन से रिक्त हुई देवरिया सीट पर भारतीय जनता पार्टी से सत्यप्रकाश मणि त्रिपाठी, समाजवादी पार्टी से ब्रह्मा शंकर त्रिपाठी, बहुजन समाज पार्टी से अभय नाथ त्रिपाठी और कांग्रेस से मुकुंद भाष्कर चारों दलों से ब्राह्मण प्रत्याशी तथा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से अशोक यादव चुनाव मैदान में हैं। यही नहीं, देवरिया में बीजेपी से टिकट न मिलने पर जनमेजय के पुत्र अजय प्रताप सिंह उर्फ पिंटू निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।
वहीं, समाजवादी पार्टी के विधायक पारसनाथ यादव के निधन से रिक्त हुई मल्हनी सीट पर सपा ने लकी यादव, भारतीय जनता पार्टी ने मनोज कुमार सिंह, बहुजन समाज पार्टी ने जयप्रकाश दुबे, कांग्रेस ने राकेश मिश्र और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने सतीश चंद्र उपाध्याय को मौका दिया है। मल्हनी सीट पर पूर्व सांसद धनंजय सिंह भी किस्मत आजमा रहे हैं।
बीजेपी सरकार में मंत्री रहे एसपी सिंह बघेल के आगरा से सांसद बनने के बाद रिक्त हुई टूंडला सीट पर बीजेपी से प्रेम पाल सिंह धनगर, समाजवादी पार्टी से महाराज सिंह धनगर और बहुजन समाज पार्टी से संजीव चक मैदान में हैं। यहां कांग्रेस उम्मीदवार का नामांकन निरस्त हो चुका है।
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आखिर हाथरस की 'निर्भया' की लाश से क्यों डरी योगी सरकार...
अब जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कानपुर व हाथरस कांड आदि से क़ानून-व्यवस्था को लेकर सबके निशाने पर हैं वहीं राज्यसभा चुनाव में मायावती का भाजपा से प्रेम उजागर होने और अखिलेश यादव से बढ़ी तल्खी के असर पर भी विश्लेषकों की नजर रहेगी। यही नहीं, 2022 के चुनाव से ठीक पहले होने जा रहे इन उपचुनावों में सपा, बसपा और कांग्रेस में से योगी आदित्यनाथ को कौन व कितनी चुनौती दे पाता हैं, भी देखने वाली बात होगी।
2017 के विधानसभा चुनाव में इन 7 सीटों में से 6 पर बीजेपी जीती थी जबकि एक पर सपा का कब्जा था। इसी से उपचुनाव के नतीजे तय करेंगे कि 3 साल बाद योगी के प्रति लोगों का रुख़ कैसा है? वहीं, अपनी सभी 6 सीट बचाने को लेकर भी योगी की प्रतिष्ठा उपचुनाव से सीधे जुड़ी है।
योगी आदित्यनाथ अपनी रैलियों में कश्मीर से धारा 370 हटाने और राम मंदिर निर्माण को उपलब्धि के तौर पर पेश कर रहे हैं तो 'लव जिहाद' को लेकर भी क़ानून बनाने की बात कर रहे हैं। माफिया व बाहुबलियो के ठिकानों पर बुलडोज़र चलाने की बात कर रहे हैं तो विरोधी उनके राज में बदहाल कानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार, ब्राह्मण व दलित अत्याचार और अफसरशाही के हावी होने के साथ किसानों की नाराजगी आदि को मुद्दा बना रहे हैं।
देंखे तो उपचुनावों से अमूमन दूर रहने वाली बसपा ने इस बार विधानसभा की सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े कर रही है। वही सपा, राष्ट्रीय लोकदल के साथ मिलकर लड़ रही हैं। बीजेपी व कांग्रेस के साथ कुछ सीटों पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन ने भी प्रत्याशी उतारे हैं। वैसे देंखे तो बुलंदशहर में सबसे ज्यादा 18 प्रत्याशी हैं।
जौनपुर की मल्हनी सीट पर 16 उम्मीदवार आमने-सामने हैं। जबकि घाटमपुर में सबसे कम 6 प्रत्याशी हैं। अमरोहा की नौगांव-सादात और देवरिया सीट पर 14-14 उम्मीदवार हैं। फिरोजाबाद की टूंडला और उन्नाव की बांगरमऊ सीट पर 10-10 उम्मीदवार मैदान में हैं।
सीटवार देंखे तो राज्य सरकार में मंत्री रहे पूर्व क्रिकेटर चेतन चौहान के निधन से रिक्त हुई नौगांव-सादात सीट पर बीजेपी से उनकी पत्नी संगीता चौहान, कांग्रेस से कमलेश सिंह, सपा से जावेद अब्बास, बीएसपी से फुरकान और राकांपा से हशमत अली समेत अन्य उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।
राज्य सरकार में मंत्री कमल रानी वरुण के निधन के रिक्त हुई घाटमपुर सीट पर बीजेपी से उपेंद्र नाथ पासवान, सपा से इंद्रजीत कोरी, बीएसपी से कुलदीप संखवार और कांग्रेस से डॉ कृपा शंकर उम्मीदवार हैं। विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के मुख्य सचेतक रहे वीरेंद्र सिंह सिरोही के निधन के बाद बीजेपी ने बुलंदशहर सीट पर सिरोही की पत्नी ऊषा सिरोही, बीएसपी ने मोहम्मद युनूस, कांग्रेस ने सुशील चौधरी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने योगेंद्र शंकर शर्मा, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन ने दिलशाद अहमद और राष्ट्रीय लोकदल ने प्रवीण कुमार सिंह को मौका दिया है। समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर राष्ट्रीय लोकदल को समर्थन दिया है।
उन्नाव की बांगरमऊ सीट पर कांग्रेस से आरती बाजपेयी, बहुजन समाज पार्टी से महेश प्रसाद और भारतीय जनता पार्टी से श्रीकांत कटियार चुनाव मैदान में हैं, जबकि समाजवादी पार्टी ने यहां सुरेश कुमार पाल को मैदान में उतारा है। बांगरमऊ सीट विधायक कुलदीप सेंगर के सजायाफ्ता होने से रिक्त हुई है।
बीजेपी विधायक जनमेजय सिंह के निधन से रिक्त हुई देवरिया सीट पर भारतीय जनता पार्टी से सत्यप्रकाश मणि त्रिपाठी, समाजवादी पार्टी से ब्रह्मा शंकर त्रिपाठी, बहुजन समाज पार्टी से अभय नाथ त्रिपाठी और कांग्रेस से मुकुंद भाष्कर चारों दलों से ब्राह्मण प्रत्याशी तथा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से अशोक यादव चुनाव मैदान में हैं। यही नहीं, देवरिया में बीजेपी से टिकट न मिलने पर जनमेजय के पुत्र अजय प्रताप सिंह उर्फ पिंटू निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।
वहीं, समाजवादी पार्टी के विधायक पारसनाथ यादव के निधन से रिक्त हुई मल्हनी सीट पर सपा ने लकी यादव, भारतीय जनता पार्टी ने मनोज कुमार सिंह, बहुजन समाज पार्टी ने जयप्रकाश दुबे, कांग्रेस ने राकेश मिश्र और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने सतीश चंद्र उपाध्याय को मौका दिया है। मल्हनी सीट पर पूर्व सांसद धनंजय सिंह भी किस्मत आजमा रहे हैं।
बीजेपी सरकार में मंत्री रहे एसपी सिंह बघेल के आगरा से सांसद बनने के बाद रिक्त हुई टूंडला सीट पर बीजेपी से प्रेम पाल सिंह धनगर, समाजवादी पार्टी से महाराज सिंह धनगर और बहुजन समाज पार्टी से संजीव चक मैदान में हैं। यहां कांग्रेस उम्मीदवार का नामांकन निरस्त हो चुका है।
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