उत्तर प्रदेश में 7 सीटों पर उपचुनाव में भाजपा ने अपनी सभी 6 सीटों पर पुनः कब्जा कर लिया है। एक सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई है। जबकि बसपा के लिए नतीजे तगड़ा झटका साबित हुए हैं। दरअसल बसपा एक भी सीट नहीं जीत सकी है, साथ ही कई सीटों पर तीसरे नंबर पर रही है। ऐसे में 2022 की पार्टी की तैयारियों को भी झटका लगा है। जानकारों के अनुसार, मायावती का अपना बयान ही बसपा पर भारी पड़ गया हैं।
नतीजा, पार्टी सात में से केवल एक सीट बुलंदशहर में ही नंबर दो पर आ पाई। मल्हनी व बांगरमऊ में चौथे, देवरिया, घाटमपुर, नौगांवा सादात व टूंडला में तीसरे स्थान पर रही। बसपा को विधानसभा चुनाव 2017 में औसत 22.23 फीसदी वोट मिले थे। पार्टी इस उपचुनाव में सात सीटों पर औसत 18.97 फीसदी वोट ही हासिल कर पाई है।
जातीय समीकरण के हिसाब से टिकट में सोशल इंजीनियरिंग की कोशिश भी औंधे मुंह गिरी है। पार्टी नेता सात में से चार सीटों पर अच्छी लड़ाई के दावे कर रहे थे, लेकिन वह छह सीटों पर नंबर दो की भी लड़ाई में नहीं रही। हालांकि बसपा इस बात से संतोष कर सकती है कि उपचुनाव वाली 7 सीटों में से कोई भी उसके कब्जे में नहीं थी।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि उपचुनाव से ठीक पहले मायावती का, सपा को हराने को भाजपा को वोट करने से भी परहेज न होने का बयान उल्टा साबित हुआ। बाद में मायावती की सफाई भी किसी काम नहीं आई।
हालांकि, कांग्रेस भी यूपी उपचुनाव में कोई सीट नहीं जीत सकी है लेकिन, उसके लिए अच्छी बात यह है कि दो सीटों पर वह दूसरे नंबर पर रही है। वहीं, जाटों के प्रभाव वाली बुलंदशहर सीट पर राष्ट्रीय लोकदल का प्रदर्शन अजित सिंह व जयंत चौधरी को भारी चिंता में डालने वाला हैं। यह भी तब है जब उपचुनाव से ऐन पहले रालोद ने हाथरस लाठीचार्ज को लेकर मुजफ्फरनगर व मथुरा आदि में जाट महापंचायत भी की थी।
नतीजों पर नजर डालें तो बुलंदशहर उपचुनाव में भाजपा विधायक वीरेंद्र सिंह सिरोही के निधन से खाली हुई बुलंदशहर सीट पर उनकी पत्नी उषा सिरोही ने जीत दर्ज की है। यहां से भाजपा उम्मीदवार ऊषा सिरोही 86 हजार से ज्यादा वोट पाकर विजयी हुई है। वहीं बसपा के मोहम्मद यूनुस 65 हजार वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे। इस सीट पर रालोद को बुरी हार का सामना करना पड़ा है। खास यह है कि यहां रालोद को सपा का समर्थन था, इसके बावजूद रालोद का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। उसे महज 7,132 वोट ही मिल सके हैं।
उन्नाव की बांगरमऊ सीट पर भाजपा के श्रीकांत कटियार ने जीत हासिल की है। यहां भाजपा को 40 फीसदी वोट मिले हैं। कांग्रेस दूसरे और सपा तीसरे नंबर पर रही। यहां जीत का अंतर 20 फीसदी वोटों का रहा। श्रीकांत कटियार ने 71,303 मत हासिल कर कांग्रेस की आरती बाजपेयी को 31,274 मतों से पराजित किया।
देवरिया में भाजपा के डॉ. सत्यप्रकाश मणि त्रिपाठी ने सपा के ब्रह्माशंकर त्रिपाठी को 20 हजार मतों से हराया। सत्यप्रकाश को 68,649, ब्रह्माशंकर को 48,556 मत मिले।
घाटमपुर की बात करें तो पूर्व मंत्री कमलारानी वरुण के निधन से खाली हुई कानपुर नगर की घाटमपुर (सुरक्षित) सीट पर भाजपा के उपेंद्र नाथ पासवान ने कांग्रेस के डॉ. कृपाशंकर को 23,669 मतों से हराया। उपेंद्र नाथ को 60,205, कृपाशंकर को 36,506 मत मिले हैं।
अमरोहा में पूर्व मंत्री चेतन चौहान के निधन से खाली हुई नौगांव सादात सीट पर उनकी पत्नी एवं भाजपा उम्मीदवार संगीता चौहान ने चुनाव जीता। संगीता ने सपा के जावेद अब्बास को 14,795 मतों से हराया। संगीता को 86,171 और जावेद को 71,376 मत मिले हैं।
देवरिया सीट पर भी भगवा पार्टी ने जीत हासिल कर ली है। यहां से भाजपा के सत्यप्रकाश मणि त्रिपाठी को जीत मिली है। वहीं सपा के ब्रह्मशंकर त्रिपाठी दूसरे स्थान पर रहे हैं।
फिरोजाबाद की टुंडला (सुरक्षित) सीट पर भाजपा के प्रेमपाल सिंह धनगर ने सपा के महाराज सिंह धनगर को 17,635 मतों से हराया। प्रेमपाल को 72,844, महाराज को 55,209 मत मिले।
जौनपुर की मल्हनी पर सपा जीत दर्ज कर, अपना कब्जा बरकरार रखा है। सपा के लक्की यादव ने निर्दलीय धनंजय सिंह को 4,604 मतों से हराया। लक्की को 73,384, धनंजय को 68,780 मत मिले। भाजपा के मनोज कुमार सिंह को 28,803 मत मिले हैं।
खास यह है कि प्रदेश में विधानसभा की सात रिक्त सीटों के लिए उपचुनाव में कुल 53.62 फीसद मतदान हुआ। वर्ष 2017 में इन सात सीटों पर 63.90 फीसद मतदान हुआ था। यानी उपचुनाव में वर्ष 2017 के आम चुनाव के मुकाबले करीब 12.63 फीसद कम वोट पड़े हैं।
नतीजा, पार्टी सात में से केवल एक सीट बुलंदशहर में ही नंबर दो पर आ पाई। मल्हनी व बांगरमऊ में चौथे, देवरिया, घाटमपुर, नौगांवा सादात व टूंडला में तीसरे स्थान पर रही। बसपा को विधानसभा चुनाव 2017 में औसत 22.23 फीसदी वोट मिले थे। पार्टी इस उपचुनाव में सात सीटों पर औसत 18.97 फीसदी वोट ही हासिल कर पाई है।
जातीय समीकरण के हिसाब से टिकट में सोशल इंजीनियरिंग की कोशिश भी औंधे मुंह गिरी है। पार्टी नेता सात में से चार सीटों पर अच्छी लड़ाई के दावे कर रहे थे, लेकिन वह छह सीटों पर नंबर दो की भी लड़ाई में नहीं रही। हालांकि बसपा इस बात से संतोष कर सकती है कि उपचुनाव वाली 7 सीटों में से कोई भी उसके कब्जे में नहीं थी।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि उपचुनाव से ठीक पहले मायावती का, सपा को हराने को भाजपा को वोट करने से भी परहेज न होने का बयान उल्टा साबित हुआ। बाद में मायावती की सफाई भी किसी काम नहीं आई।
हालांकि, कांग्रेस भी यूपी उपचुनाव में कोई सीट नहीं जीत सकी है लेकिन, उसके लिए अच्छी बात यह है कि दो सीटों पर वह दूसरे नंबर पर रही है। वहीं, जाटों के प्रभाव वाली बुलंदशहर सीट पर राष्ट्रीय लोकदल का प्रदर्शन अजित सिंह व जयंत चौधरी को भारी चिंता में डालने वाला हैं। यह भी तब है जब उपचुनाव से ऐन पहले रालोद ने हाथरस लाठीचार्ज को लेकर मुजफ्फरनगर व मथुरा आदि में जाट महापंचायत भी की थी।
नतीजों पर नजर डालें तो बुलंदशहर उपचुनाव में भाजपा विधायक वीरेंद्र सिंह सिरोही के निधन से खाली हुई बुलंदशहर सीट पर उनकी पत्नी उषा सिरोही ने जीत दर्ज की है। यहां से भाजपा उम्मीदवार ऊषा सिरोही 86 हजार से ज्यादा वोट पाकर विजयी हुई है। वहीं बसपा के मोहम्मद यूनुस 65 हजार वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे। इस सीट पर रालोद को बुरी हार का सामना करना पड़ा है। खास यह है कि यहां रालोद को सपा का समर्थन था, इसके बावजूद रालोद का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। उसे महज 7,132 वोट ही मिल सके हैं।
उन्नाव की बांगरमऊ सीट पर भाजपा के श्रीकांत कटियार ने जीत हासिल की है। यहां भाजपा को 40 फीसदी वोट मिले हैं। कांग्रेस दूसरे और सपा तीसरे नंबर पर रही। यहां जीत का अंतर 20 फीसदी वोटों का रहा। श्रीकांत कटियार ने 71,303 मत हासिल कर कांग्रेस की आरती बाजपेयी को 31,274 मतों से पराजित किया।
देवरिया में भाजपा के डॉ. सत्यप्रकाश मणि त्रिपाठी ने सपा के ब्रह्माशंकर त्रिपाठी को 20 हजार मतों से हराया। सत्यप्रकाश को 68,649, ब्रह्माशंकर को 48,556 मत मिले।
घाटमपुर की बात करें तो पूर्व मंत्री कमलारानी वरुण के निधन से खाली हुई कानपुर नगर की घाटमपुर (सुरक्षित) सीट पर भाजपा के उपेंद्र नाथ पासवान ने कांग्रेस के डॉ. कृपाशंकर को 23,669 मतों से हराया। उपेंद्र नाथ को 60,205, कृपाशंकर को 36,506 मत मिले हैं।
अमरोहा में पूर्व मंत्री चेतन चौहान के निधन से खाली हुई नौगांव सादात सीट पर उनकी पत्नी एवं भाजपा उम्मीदवार संगीता चौहान ने चुनाव जीता। संगीता ने सपा के जावेद अब्बास को 14,795 मतों से हराया। संगीता को 86,171 और जावेद को 71,376 मत मिले हैं।
देवरिया सीट पर भी भगवा पार्टी ने जीत हासिल कर ली है। यहां से भाजपा के सत्यप्रकाश मणि त्रिपाठी को जीत मिली है। वहीं सपा के ब्रह्मशंकर त्रिपाठी दूसरे स्थान पर रहे हैं।
फिरोजाबाद की टुंडला (सुरक्षित) सीट पर भाजपा के प्रेमपाल सिंह धनगर ने सपा के महाराज सिंह धनगर को 17,635 मतों से हराया। प्रेमपाल को 72,844, महाराज को 55,209 मत मिले।
जौनपुर की मल्हनी पर सपा जीत दर्ज कर, अपना कब्जा बरकरार रखा है। सपा के लक्की यादव ने निर्दलीय धनंजय सिंह को 4,604 मतों से हराया। लक्की को 73,384, धनंजय को 68,780 मत मिले। भाजपा के मनोज कुमार सिंह को 28,803 मत मिले हैं।
खास यह है कि प्रदेश में विधानसभा की सात रिक्त सीटों के लिए उपचुनाव में कुल 53.62 फीसद मतदान हुआ। वर्ष 2017 में इन सात सीटों पर 63.90 फीसद मतदान हुआ था। यानी उपचुनाव में वर्ष 2017 के आम चुनाव के मुकाबले करीब 12.63 फीसद कम वोट पड़े हैं।