आखिर उत्तर प्रदेश की ताकतवर योगी सरकार हाथरस की 'निर्भया'' की लाश से इस कदर क्यों डर गई कि अमानवीयता और संवेदनहीनता की सारी हदें पार कर दीं। जीवित रहते दूर, मृत 'निर्भया' की लाश को गरिमा, सम्मान और अधिकार तक प्रदान नहीं कर सकी। आनन फानन में रात के अंधेरे में ही जला दिया। आखिर एक 'लाश' से क्या डर था? क्या छुपाना था?
हिंदू धर्म में संध्या होने के बाद अंतिम संस्कार नहीं होता है। सुबह से रात तक हिंदू-हिंदू करने वाली बीजेपी के योगीराज में अगर रात के अंधेरे में 2:30 बजे एक लड़की का चोरी छुपे अंतिम संस्कार, वह भी सरकार करवा दे तो यह सरासर अन्याय ही नहीं, धर्म के विरुद्ध कार्रवाई है। जो इस देश के लिए कतई अच्छा संकेत नहीं है। एक बेटी को न्याय तो नहीं दिलवा सके। कम से कम उसका अंतिम संस्कार तो हिंदू धर्म के अनुसार करवा देते। रात में चोरी छिपे जबरन यह सब करवाना गलत है और पूरी सरकार अपनी नाकामी छुपाने में लगी है।
इतना कुछ होने के बाद कहने सुनने को कुछ रह नहीं जाता हैं। एनडीटीवी आदि मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आरोप है कि इस दौरान पुलिसवालों ने मृतक के परिजनों को घर में बंद कर दिया था। देर रात के दृश्य विचलित करने वाले हैं। पीड़ित परिवार बेटी को एक बार घर की देहरी में लाने को गुहार लगा रहा है। मृतक के रिश्तेदार शव ले जाने वाली एम्बुलेंस के आगे आ खड़े हुए। गाड़ी के बोनेट पर लद गए लेकिन पुलिसवालों ने उन्हें हटाकर दाह संस्कार कर दिया। युवती की मां एम्बुलेंस के आगे सड़क पर लेट गई लेकिन पुलिस उसे हटाकर वहां से चलती बनी। पीड़ित मां दाह संस्कार के बाद असहाय होकर रोती रही।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मां चीखती रही कि बेटी का शव उन लोगों को सौंपा जाए। वह बिलखती रही कि बेटी को अपनी देहरी से हल्दी लगाकार विदा करेंगीं लेकिन पुलिस ने किसी की नहीं सुनी। लड़की की मां का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में वह रोती-बिलखती नजर आ रही हैं। पत्रकार ने उनसे पूछा कि वह क्या चाहती हैं तो वह बिलख-बिलखकर रोने लगीं। बोलीं कि बेटी को अंतिम बार अपने घर से विदा करना चाहती हैं। बिलखती रही मां, पुलिस ने नहीं सुनी।
पीड़िता की मां रोते-बिलखते कह रही हैं, 'मेरी आखिरी बेटी थी। सपने देखे थे कि उसे धूमधाम से अपने देहरी से विदा करेंगे। हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार बेटी को हल्दी लगाकर विदा करते हैं। हम चाहते हैं कि बेटी का शव दिया जाए। उसे हम आखिरी बार अपने घर से हल्दी लगाकर विदा करना चाहते हैं क्योंकि अब वह कभी लौटकर नहीं आएगी।'
मां की दर्दनाक चीखें भी पुलिस के दिल की नहीं चीर सकीं। पुलिस ने घरवालों को शव नहीं दिया, न ही बच्ची को अंतिम बार उसके घर ले जाया गया। दिल्ली से लाकर सीधे आधी रात को उसका दाह संस्कार कर दिया गया। लड़की के भाई ने तड़के पत्रकारों से बात करते हुए बताया, 'हम लोगों ने पुलिस से बहुत कहा कि शव हमें दें। हम उसका सुबह दाह संस्कार करेंगे लेकिन पुलिस ने हमारी नहीं सुनी। हम लोगों से जबरन सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करवाए और आधी रात को शव जला दिया। हम लोगों को पुलिस पर विश्वास नहीं है। हम लोगों की जान को भी खतरा है।'
पीड़िता के भाई ने आरोप लगाया कि जब उन लोगों ने बेटी का संस्कार करने से इनकार कर दिया तो पुलिस गुस्से में हो गई। पुलिस ने उन लोगों को धमकी दी आरोप है कि उनके घरवालों के साथ धक्का-मुक्की भी की गई। कुछ लोगों को घर में बंद कर दिया गया तो कुछ डरकर अपने घरों में बंद हो गए।
मृतक युवती के भाई का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें बताए बिना शव को घर से दूर ले गई और चुपचाप उसका अंतिम संस्कार कर दिया। मृतक के पिता और भाई पुलिस एक्शन के खिलाफ विरोध में धरने पर बैठ गए। इसके बाद पुलिस के अफसर उन्हें काली स्कॉर्पियो में बिठाकर कहीं और ले चले गए। परिजनों और रिश्तेदारों ने डेडबॉडी सौंपने की मांग की ताकि सुबह में उसका पारंपरिक रूप से अंतिम संस्कार किया जा सके, लेकिन पुलिस ने ऐसा नहीं किया और सभी को अलग रखकर रात के अंधेरे में चुपचाप मृतक युवती की लाश जला दी। गांववालों ने भी इस दौरान पुलिस कार्रवाई का विरोध किया।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, 'भारत की एक बेटी का रेप-क़त्ल किया जाता है, तथ्य दबाए जाते हैं और अन्त में उसके परिवार से अंतिम संस्कार का हक़ भी छीन लिया जाता है। ये अपमानजनक और अन्यायपूर्ण है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आदि सभी ने इसे अन्यायपूर्ण और अमानवीय बताया है। वहीं इसके बाद भी बलात्कार की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। बलरामपुर, आजमगढ़, बुलंदशहर व भदोही.. क्रम जारी है।
हाथरस पीड़िता की ही बात करें तो इससे पूर्व पीड़िता की मौत के बाद मंगलवार को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के बाहर लोगों ने जमकर विरोध-प्रदर्शन किया और दोषियों को फांसी देने की मांग की। बाद में पुलिस दिल्ली से करीब 200 किलोमीटर दूर हाथरस के गांव मंगलवार की रात डेडबॉडी लेकर पहुंची थी।
पुलिस ने मामले में अभी तक सभी चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, उन पर सामूहिक बलात्कार और हत्या का आरोप लगाया गया है, और उन्हें जेल भेज दिया है। हालांकि, महिला के परिवार ने आरोप लगाया कि पुलिस ने शुरू में उनकी मदद नहीं की और मामले पर गुस्सा जताने के बाद कार्रवाई की है। हालांकि पुलिस ने इन आरोपो से इनकार किया है।
भले सरकार ने आनन फानन में अब मामले में एसआईटी जांच गठित कर दी है। लेकिन पुलिस-प्रशासन की कार्यप्रणाली चौतरफा सवालों के घेरे में है। रात में परिजनों को गाड़ी के आगे से हटाने को लेकर पुलिस के रवैये अहंकार साफ देखा जा सकता है। लेकिन इस सब के बाद भी जिस तरह विपक्ष के लोगो को हाथरस जाने से रोका जा रहा है। राहुल गांधी को पैदल तक नहीं जाने दिया गया। सपाईयों पर लाठीचार्ज हुआ। यही नहीं, अभी भी हाथरस डीएम पर परिजनों पर बयान बदलने को दबाव डाल रहे हैं, का गंभीर आरोप खुद 'निर्भया' के परिजन लगा रहे हैं।
सबसे बडा व अहम यही सवाल है कि आखिर हाथरस की 'निर्भया' की लाश से सरकार को क्या डर था? पूर्व आईपीएस एनसी अस्थाना कहते हैं, 'पुलिस ने गिरफ्तारी कर ली थी, ठीक है। लेकिन लाश जबरन जलवा दी, यह सरासर बदमाशी है। सफदरजंग में पोस्टमॉर्टम हुआ या उसमें भी धांधली करवा दी? परिवार का दूसरे पोस्टमॉर्टम की मांग करने का अधिकार भी छीन लिया? संवेदनहीनता एक चीज है, केस को जानबूझ कर कमजोर करना अलग चीज।
डॉ भीमराव अंबेडकर के नाती राजरत्न अम्बेडकर योगी आदित्यनाथ का इस्तीफा मांगते हुए कहते हैं कि एक डेडबॉडी से सरकार डर गई। लाश से क्या डर था। लाश अगले दिन क्या बताने वाली थी जो रात में ही जला दी गई? कहा यही रामराज है? उन्होंने इसे आखिरी सबूत को भी मिटा देने वाला कृत्य बताया है।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने तो सीधा हमला बोलते हुए यहां तक कह दिया कि आदित्यनाथ योगी से प्रदेश की कानून व्यवस्था नहीं संभल रही हैं तो वह इस्तीफा दे दें और वापस गोरखपुर मठ में चले जाएं या फिर राम मंदिर बन रहा है, केंद्र सरकार उन्हें वहां की ज़िम्मेदारी दे दे।
कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने कहा है कि हाथरस की 'निर्भया' के शव की गरिमा तक उप्र की सरकार नहीं रख सकी है। कहा 'निर्भया' की मृत्यु नहीं हुई है, उसे मारा गया है, उप्र की निष्ठुर सरकार व प्रशासन द्वारा। उप्र की बीजेपी सरकार की उपेक्षा के द्वारा। ये कैसा न्याय है। ये कैसी सरकार है? उन्होंने कहा कि ये सोचते हैं कि ये कुछ भी करेंगे। कोई कुछ नहीं बोलेगा। बिल्कुल नहीं। देश चुप नहीं रहेगा। देश बोलेगा।
अब भले सरकार पूरी ताकत से अपनी नाकामी छुपाने में लगी है।
लेकिन किसी ने सच ही कहा है कि...
हुकूमत तेरी ये नाकामियां अच्छी नहीं लगती.. ।
कफ़न में लिपटी हुई ये शहजादियां अच्छी नहीं लगती... ।।
हिंदू धर्म में संध्या होने के बाद अंतिम संस्कार नहीं होता है। सुबह से रात तक हिंदू-हिंदू करने वाली बीजेपी के योगीराज में अगर रात के अंधेरे में 2:30 बजे एक लड़की का चोरी छुपे अंतिम संस्कार, वह भी सरकार करवा दे तो यह सरासर अन्याय ही नहीं, धर्म के विरुद्ध कार्रवाई है। जो इस देश के लिए कतई अच्छा संकेत नहीं है। एक बेटी को न्याय तो नहीं दिलवा सके। कम से कम उसका अंतिम संस्कार तो हिंदू धर्म के अनुसार करवा देते। रात में चोरी छिपे जबरन यह सब करवाना गलत है और पूरी सरकार अपनी नाकामी छुपाने में लगी है।
इतना कुछ होने के बाद कहने सुनने को कुछ रह नहीं जाता हैं। एनडीटीवी आदि मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आरोप है कि इस दौरान पुलिसवालों ने मृतक के परिजनों को घर में बंद कर दिया था। देर रात के दृश्य विचलित करने वाले हैं। पीड़ित परिवार बेटी को एक बार घर की देहरी में लाने को गुहार लगा रहा है। मृतक के रिश्तेदार शव ले जाने वाली एम्बुलेंस के आगे आ खड़े हुए। गाड़ी के बोनेट पर लद गए लेकिन पुलिसवालों ने उन्हें हटाकर दाह संस्कार कर दिया। युवती की मां एम्बुलेंस के आगे सड़क पर लेट गई लेकिन पुलिस उसे हटाकर वहां से चलती बनी। पीड़ित मां दाह संस्कार के बाद असहाय होकर रोती रही।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मां चीखती रही कि बेटी का शव उन लोगों को सौंपा जाए। वह बिलखती रही कि बेटी को अपनी देहरी से हल्दी लगाकार विदा करेंगीं लेकिन पुलिस ने किसी की नहीं सुनी। लड़की की मां का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में वह रोती-बिलखती नजर आ रही हैं। पत्रकार ने उनसे पूछा कि वह क्या चाहती हैं तो वह बिलख-बिलखकर रोने लगीं। बोलीं कि बेटी को अंतिम बार अपने घर से विदा करना चाहती हैं। बिलखती रही मां, पुलिस ने नहीं सुनी।
पीड़िता की मां रोते-बिलखते कह रही हैं, 'मेरी आखिरी बेटी थी। सपने देखे थे कि उसे धूमधाम से अपने देहरी से विदा करेंगे। हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार बेटी को हल्दी लगाकर विदा करते हैं। हम चाहते हैं कि बेटी का शव दिया जाए। उसे हम आखिरी बार अपने घर से हल्दी लगाकर विदा करना चाहते हैं क्योंकि अब वह कभी लौटकर नहीं आएगी।'
मां की दर्दनाक चीखें भी पुलिस के दिल की नहीं चीर सकीं। पुलिस ने घरवालों को शव नहीं दिया, न ही बच्ची को अंतिम बार उसके घर ले जाया गया। दिल्ली से लाकर सीधे आधी रात को उसका दाह संस्कार कर दिया गया। लड़की के भाई ने तड़के पत्रकारों से बात करते हुए बताया, 'हम लोगों ने पुलिस से बहुत कहा कि शव हमें दें। हम उसका सुबह दाह संस्कार करेंगे लेकिन पुलिस ने हमारी नहीं सुनी। हम लोगों से जबरन सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करवाए और आधी रात को शव जला दिया। हम लोगों को पुलिस पर विश्वास नहीं है। हम लोगों की जान को भी खतरा है।'
पीड़िता के भाई ने आरोप लगाया कि जब उन लोगों ने बेटी का संस्कार करने से इनकार कर दिया तो पुलिस गुस्से में हो गई। पुलिस ने उन लोगों को धमकी दी आरोप है कि उनके घरवालों के साथ धक्का-मुक्की भी की गई। कुछ लोगों को घर में बंद कर दिया गया तो कुछ डरकर अपने घरों में बंद हो गए।
मृतक युवती के भाई का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें बताए बिना शव को घर से दूर ले गई और चुपचाप उसका अंतिम संस्कार कर दिया। मृतक के पिता और भाई पुलिस एक्शन के खिलाफ विरोध में धरने पर बैठ गए। इसके बाद पुलिस के अफसर उन्हें काली स्कॉर्पियो में बिठाकर कहीं और ले चले गए। परिजनों और रिश्तेदारों ने डेडबॉडी सौंपने की मांग की ताकि सुबह में उसका पारंपरिक रूप से अंतिम संस्कार किया जा सके, लेकिन पुलिस ने ऐसा नहीं किया और सभी को अलग रखकर रात के अंधेरे में चुपचाप मृतक युवती की लाश जला दी। गांववालों ने भी इस दौरान पुलिस कार्रवाई का विरोध किया।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, 'भारत की एक बेटी का रेप-क़त्ल किया जाता है, तथ्य दबाए जाते हैं और अन्त में उसके परिवार से अंतिम संस्कार का हक़ भी छीन लिया जाता है। ये अपमानजनक और अन्यायपूर्ण है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आदि सभी ने इसे अन्यायपूर्ण और अमानवीय बताया है। वहीं इसके बाद भी बलात्कार की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। बलरामपुर, आजमगढ़, बुलंदशहर व भदोही.. क्रम जारी है।
हाथरस पीड़िता की ही बात करें तो इससे पूर्व पीड़िता की मौत के बाद मंगलवार को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के बाहर लोगों ने जमकर विरोध-प्रदर्शन किया और दोषियों को फांसी देने की मांग की। बाद में पुलिस दिल्ली से करीब 200 किलोमीटर दूर हाथरस के गांव मंगलवार की रात डेडबॉडी लेकर पहुंची थी।
पुलिस ने मामले में अभी तक सभी चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, उन पर सामूहिक बलात्कार और हत्या का आरोप लगाया गया है, और उन्हें जेल भेज दिया है। हालांकि, महिला के परिवार ने आरोप लगाया कि पुलिस ने शुरू में उनकी मदद नहीं की और मामले पर गुस्सा जताने के बाद कार्रवाई की है। हालांकि पुलिस ने इन आरोपो से इनकार किया है।
भले सरकार ने आनन फानन में अब मामले में एसआईटी जांच गठित कर दी है। लेकिन पुलिस-प्रशासन की कार्यप्रणाली चौतरफा सवालों के घेरे में है। रात में परिजनों को गाड़ी के आगे से हटाने को लेकर पुलिस के रवैये अहंकार साफ देखा जा सकता है। लेकिन इस सब के बाद भी जिस तरह विपक्ष के लोगो को हाथरस जाने से रोका जा रहा है। राहुल गांधी को पैदल तक नहीं जाने दिया गया। सपाईयों पर लाठीचार्ज हुआ। यही नहीं, अभी भी हाथरस डीएम पर परिजनों पर बयान बदलने को दबाव डाल रहे हैं, का गंभीर आरोप खुद 'निर्भया' के परिजन लगा रहे हैं।
सबसे बडा व अहम यही सवाल है कि आखिर हाथरस की 'निर्भया' की लाश से सरकार को क्या डर था? पूर्व आईपीएस एनसी अस्थाना कहते हैं, 'पुलिस ने गिरफ्तारी कर ली थी, ठीक है। लेकिन लाश जबरन जलवा दी, यह सरासर बदमाशी है। सफदरजंग में पोस्टमॉर्टम हुआ या उसमें भी धांधली करवा दी? परिवार का दूसरे पोस्टमॉर्टम की मांग करने का अधिकार भी छीन लिया? संवेदनहीनता एक चीज है, केस को जानबूझ कर कमजोर करना अलग चीज।
डॉ भीमराव अंबेडकर के नाती राजरत्न अम्बेडकर योगी आदित्यनाथ का इस्तीफा मांगते हुए कहते हैं कि एक डेडबॉडी से सरकार डर गई। लाश से क्या डर था। लाश अगले दिन क्या बताने वाली थी जो रात में ही जला दी गई? कहा यही रामराज है? उन्होंने इसे आखिरी सबूत को भी मिटा देने वाला कृत्य बताया है।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने तो सीधा हमला बोलते हुए यहां तक कह दिया कि आदित्यनाथ योगी से प्रदेश की कानून व्यवस्था नहीं संभल रही हैं तो वह इस्तीफा दे दें और वापस गोरखपुर मठ में चले जाएं या फिर राम मंदिर बन रहा है, केंद्र सरकार उन्हें वहां की ज़िम्मेदारी दे दे।
कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने कहा है कि हाथरस की 'निर्भया' के शव की गरिमा तक उप्र की सरकार नहीं रख सकी है। कहा 'निर्भया' की मृत्यु नहीं हुई है, उसे मारा गया है, उप्र की निष्ठुर सरकार व प्रशासन द्वारा। उप्र की बीजेपी सरकार की उपेक्षा के द्वारा। ये कैसा न्याय है। ये कैसी सरकार है? उन्होंने कहा कि ये सोचते हैं कि ये कुछ भी करेंगे। कोई कुछ नहीं बोलेगा। बिल्कुल नहीं। देश चुप नहीं रहेगा। देश बोलेगा।
अब भले सरकार पूरी ताकत से अपनी नाकामी छुपाने में लगी है।
लेकिन किसी ने सच ही कहा है कि...
हुकूमत तेरी ये नाकामियां अच्छी नहीं लगती.. ।
कफ़न में लिपटी हुई ये शहजादियां अच्छी नहीं लगती... ।।