कल (22 जून 2020 को) कई अखबारों में खबर छपी थी कि सेना को चीन से निपटने के लिए पूरी छूट दी गई है। हिन्दी अखबारों में कम से कम छह में इस आशय की खबर लीड बनाई गई थी।
1. एलएसी पर चीन घुसपैठ करे तो हमारी सेना अब गोली भी चलाएगी - दैनिक भास्कर
2. चीनी सीमा पर छूट, चला सकेंगे हथियार - नवभारत टाइम्स
3. सेनाओं को चीनी हरकतों से निपटने की पूरी छूट - हिन्दुस्तान
4.चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की छूट - नवोदय टाइम्स
5. एलएसी पर चीन ने फिर दुस्साहस किया तो हथियार उठा सकती है सेना - अमर उजाला
6. चीन को मुंहतोड़ जवाब देगी सेना हथियार उठाने की इजाजत मिली - प्रभात खबर
स्क्रॉल डॉट इन की 13 अप्रैल 2019 की एक खबर के अनुसार, जवाबी कार्रवाई के लिए सेना के हाथ पहले भी बंधे हुए नहीं थे : डीएस हुड्डा यानी कोई सवा साल पहले स्पष्ट की जा चुकी बात आज अखबारो में लीड बनी या बनवाई गई है। साथ में कहा जाता है कि राहुल गांधी राचनीति न करें। क्या यह राजनीति नहीं है? आप कह सकते हैं कि पहले पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की छूट थी और अब चीन के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की छूट दी गई है। यानी नेपाल सीमा पर भारतीय सैनिक मार खाएंगे, गोलियों का जवाब नहीं देंगे? अव्वल तो ऐसी छूट दिए जाने का कोई मतलब नहीं है और अगर मांगने पर मिलती है या 20 शहीदों के सैनिक होने के बाद दी गई है तो मामला बहुत ही शर्मनाक है और खबर इसपर होनी चाहिए कि सीमा पर कैसे हमारे जवानों के हाथ बंधे हैं।
सच यही है कि ऐसा कोई मामला है ही नहीं। 2016 में प्रचारित की गई सर्जिकल स्ट्राइक की अगुआई कर चुके लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर) डी एस हुड्डा ने पहले ही कहा था कि मोदी सरकार ने सेना को सीमा पार हमले करने की अनुमति देने में बहुत बड़ा संकल्प दिखाया है, लेकिन सेना के हाथ उससे पहले भी खुले हुए थे। उन्होंने कहा था, सेना को खुली छूट देने के बारे में बहुत ज्यादा बातें हुई हैं, लेकिन 1947 से सेना सीमा पर स्वतंत्र है। इसने तीन-चार युद्ध लड़े हैं।’ अब आप समझ सकते हैं कि सरकार की सेवा में बिछे अखबार कैसी खबरें परोसते हैं।
ऐसा लगता है कि सीमा पर सैनिकों को जवाबी कार्रवाई की आजादी देने का मामला प्रधानमंत्री के छुट्टी नहीं लेने और रोज 18 घंटे काम करने जैसी ‘खबर’ ही है। आप जानते हैं कि नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद इस तरह की चर्चा उड़ाई गई थी और बाद में पता चला कि प्रधानमंत्री की छुट्टी दर्ज होती ही नहीं है और वे रोज 24 घंटे ड्यूटी पर माने जाते हैं। विदेश यात्रा के दौरान भी। इसी तरह सीमा पर तैनात सैनिक जवाब कार्रवाई के लिए अनुमति मांगेगा तब दी जाएगी - कम हास्यास्पद नहीं है। वह भी तब जब आम सिपाहियों ने देश के वरिष्ठ और गरिष्ठ नागरिकों को पीट-पीट कर लाल कर दिया था। उन्हें अनुमति नहीं लेनी पड़ी और किसी का कुछ बिगड़ने की खबर भी नहीं है। लेकिन गोदी मीडिया मौके बे-मौके बताता रहता है कि मोदी सरकार ने सेना को खुलकर काम करने की इजाजत दी है।
जनवरी 2019 में न्यूज18 की एक खबर थी, भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई से घबराई पाक सेना, पीओके सेना ब्रिगेड को किया हाई अलर्ट। इसी तरह द क्विंट की 30 अक्तूबर 2017 की एक खबर में कहा गया था, भारतीय सेना के डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल एके भट्ट ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष से कहा कि पाकिस्तान सेना का घुसपैठियों और आतंक को समर्थन देना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भट्ट ने कहा कि भारतीय सेना, नियंत्रण रेखा पर अपनी जवाबी कार्रवाई जारी रखेगी। बता दें कि ये पहले से तय नहीं था और पाकिस्तान की तरफ से आए आग्रह के बाद दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच बातचीत हुई। वैसे तो यह आजादी 1947 से ही है पर मोदी सरकार की सेवा में यह आजादी देने की खबर कई बार छप चुकी है। कल भी छपी।
1. एलएसी पर चीन घुसपैठ करे तो हमारी सेना अब गोली भी चलाएगी - दैनिक भास्कर
2. चीनी सीमा पर छूट, चला सकेंगे हथियार - नवभारत टाइम्स
3. सेनाओं को चीनी हरकतों से निपटने की पूरी छूट - हिन्दुस्तान
4.चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की छूट - नवोदय टाइम्स
5. एलएसी पर चीन ने फिर दुस्साहस किया तो हथियार उठा सकती है सेना - अमर उजाला
6. चीन को मुंहतोड़ जवाब देगी सेना हथियार उठाने की इजाजत मिली - प्रभात खबर
स्क्रॉल डॉट इन की 13 अप्रैल 2019 की एक खबर के अनुसार, जवाबी कार्रवाई के लिए सेना के हाथ पहले भी बंधे हुए नहीं थे : डीएस हुड्डा यानी कोई सवा साल पहले स्पष्ट की जा चुकी बात आज अखबारो में लीड बनी या बनवाई गई है। साथ में कहा जाता है कि राहुल गांधी राचनीति न करें। क्या यह राजनीति नहीं है? आप कह सकते हैं कि पहले पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की छूट थी और अब चीन के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की छूट दी गई है। यानी नेपाल सीमा पर भारतीय सैनिक मार खाएंगे, गोलियों का जवाब नहीं देंगे? अव्वल तो ऐसी छूट दिए जाने का कोई मतलब नहीं है और अगर मांगने पर मिलती है या 20 शहीदों के सैनिक होने के बाद दी गई है तो मामला बहुत ही शर्मनाक है और खबर इसपर होनी चाहिए कि सीमा पर कैसे हमारे जवानों के हाथ बंधे हैं।
सच यही है कि ऐसा कोई मामला है ही नहीं। 2016 में प्रचारित की गई सर्जिकल स्ट्राइक की अगुआई कर चुके लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर) डी एस हुड्डा ने पहले ही कहा था कि मोदी सरकार ने सेना को सीमा पार हमले करने की अनुमति देने में बहुत बड़ा संकल्प दिखाया है, लेकिन सेना के हाथ उससे पहले भी खुले हुए थे। उन्होंने कहा था, सेना को खुली छूट देने के बारे में बहुत ज्यादा बातें हुई हैं, लेकिन 1947 से सेना सीमा पर स्वतंत्र है। इसने तीन-चार युद्ध लड़े हैं।’ अब आप समझ सकते हैं कि सरकार की सेवा में बिछे अखबार कैसी खबरें परोसते हैं।
ऐसा लगता है कि सीमा पर सैनिकों को जवाबी कार्रवाई की आजादी देने का मामला प्रधानमंत्री के छुट्टी नहीं लेने और रोज 18 घंटे काम करने जैसी ‘खबर’ ही है। आप जानते हैं कि नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद इस तरह की चर्चा उड़ाई गई थी और बाद में पता चला कि प्रधानमंत्री की छुट्टी दर्ज होती ही नहीं है और वे रोज 24 घंटे ड्यूटी पर माने जाते हैं। विदेश यात्रा के दौरान भी। इसी तरह सीमा पर तैनात सैनिक जवाब कार्रवाई के लिए अनुमति मांगेगा तब दी जाएगी - कम हास्यास्पद नहीं है। वह भी तब जब आम सिपाहियों ने देश के वरिष्ठ और गरिष्ठ नागरिकों को पीट-पीट कर लाल कर दिया था। उन्हें अनुमति नहीं लेनी पड़ी और किसी का कुछ बिगड़ने की खबर भी नहीं है। लेकिन गोदी मीडिया मौके बे-मौके बताता रहता है कि मोदी सरकार ने सेना को खुलकर काम करने की इजाजत दी है।
जनवरी 2019 में न्यूज18 की एक खबर थी, भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई से घबराई पाक सेना, पीओके सेना ब्रिगेड को किया हाई अलर्ट। इसी तरह द क्विंट की 30 अक्तूबर 2017 की एक खबर में कहा गया था, भारतीय सेना के डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल एके भट्ट ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष से कहा कि पाकिस्तान सेना का घुसपैठियों और आतंक को समर्थन देना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भट्ट ने कहा कि भारतीय सेना, नियंत्रण रेखा पर अपनी जवाबी कार्रवाई जारी रखेगी। बता दें कि ये पहले से तय नहीं था और पाकिस्तान की तरफ से आए आग्रह के बाद दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच बातचीत हुई। वैसे तो यह आजादी 1947 से ही है पर मोदी सरकार की सेवा में यह आजादी देने की खबर कई बार छप चुकी है। कल भी छपी।