मीडिया रिपोर्टिंग के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट का खटखटाया दरवाजा

Written by sabrang india | Published on: April 8, 2020
नई दिल्ली। जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने तबलीगी जमात मामले की मीडिया रिपोर्टिंग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। देवबंदी मुस्लिम उलेमाओं के संगठन ने कहा है कि मीडिया गैर-जिम्मेदारी से काम कर रहा है और कोरोना वायरस की आड़ में मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाई जा रही है। याचिका में केंद्र से फर्जी खबरों के प्रसार को रोकने, मीडिया के खिलाफ और कट्टरपंथी तथा सांप्रदायिकता फैलाने वालों के वि़रुद्ध सख्त कार्रवाई करने की मांग की गई है।



वकील एजाज मकबूल के माध्यम से दायर की गई दलील में कहा गया है, 'इस मुद्दे को सांप्रदायिक रूप देने और पूरे मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने की मीडिया की कार्रवाई देश भर में मुसलमानों के जीवन और स्वतंत्रता के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करती है। यह गरिमा के साथ जीने का अधिकार जो संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत हर नागरिक को मिला हुआ है यह उसका भी उल्लंघन है। '

याचिका में आगे लिखा गया है, 'मीडिया ने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की जिम्मेदार रिपोर्टिंग नहीं की। कोरोना जेहाद, आतंकवाद, कोरोना बम जैसे जुमलों का बार-बार इस्तेमाल किया गया। मीडिया के एक तबके ने इस घटना को मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाने का हथियार बना लिया। कई न्यूज़ एंकर ने पूरी घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की। सही-गलत हर तरह की जानकारी को ऐसे पेश किया जाने लगा जैसे भारत में मुसलमान कोरोना की बीमारी फैलाने की कोई मुहिम चला रहे हों।'

याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट इस तरह की मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक लगाने का आदेश दे। झूठी खबरें फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई हो। सरकार से ये कहा जाए कि जिस तरह से दिल्ली दंगों की गलत रिपोर्टिंग के लिए केरल के दो चैनलों पर पाबंदी लगाई गई थी। वैसे ही सख्त कार्रवाई कोरोना मामले में सांप्रदायिक नफरत फैलाने वाले चैनलों के खिलाफ की जाए।

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