राजस्थान: 21वीं सदी में भी बिंदौरी निकालने के लिए दलित दूल्हे को लेनी पड़ी Z+ सिक्योरिटी

Written by Sabrangindia Staff | Published on: February 4, 2020
बूंदी। जात-पात की दकियानूसी सोच के चलते एक दूल्हे को अपनी बिंदौरी निकालने प्रशासन से गुहार लगानी पड़ी। लिहाजा 4 थानों के करीब 80 पुलिसवाले गांव पहुंचे और फिर संगीनों के साये में दूल्हे की बिंदौरी निकाली गई। दरअसल, दूल्हा दलित है। ऊंची जाति के कुछ लोगों को यह कतई मंजूर नहीं था कि दूल्हा घोड़ी पर चढ़कर उनके मोहल्ले से गुजरे। इसके लिए दूल्हे के परिजनों को धमकी दी गई थी। लोगों ने कहा था कि अगर दूल्हा घोड़ी पर बैठकर गांव में निकला..तो उसकी टांगें तोड़ देंगे। लेकिन दूल्हे राजा नहीं डरे। उन्होंने प्रशासन से हेल्प मांगी। लिहाजा, उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई गई। 



बता दें कि दूल्हा एक सरकारी स्कूल में टीचर है। मामला सदर थाने के संगावदा गांव का है। दूल्हे की बिंदौरी जेड प्लस जैसी सुरक्षा में निकली। इसे एक डीएसपी स्तर के अधिकारी लीड कर रहे थे । वहीं प्रशासन की ओर से बूंदी तहसीलदार, नायब तहसीलदार और पटवारी भी मौजूद रहे।

बता दें कि दूल्हे परशुराम मेघवाल ने आशंका जताई थी कि उनकी बिंदौरी के दौरान हंगामा हो सकता है। उन्होंने एसपी और कलेक्टर से शिकायत की थी। परशुराम जावरा गांव के एक सरकारी स्कूल में थर्ड ग्रेड टीचर हैं।

बिंदौरी सोमवार सुबह करीब 11:30 बजे निकाली गई। यह गांव के तमाम मोहल्लों से निकली। मंदिरों में दर्शन करने के बाद दोपहर 2 बजे यह वापस लौटी। चूंकि बिंदौरी के दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल मौजूद था, लिहाजा किसी ने भी उपद्रव करने की कोशिश नहीं की।

बता दें कि बिंदौरी राजस्थान में शादी से पहले की एक रस्म है। इसमें दूल्हे या दूल्हन को गांव में घुमाया जाता है। मंदिरों के दर्शन कराए जाते हैं। यह ठीक बारात की तरह होता है। यहां कथित सवर्ण समुदाय अपनी बेटियों और बेटों की बिंदौरी तो धूमधाम से निकालते हैं लेकिन दलितों द्वारा ऐसा किया जाना उन्हें गवारा नहीं है।

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