जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार पर बड़ा हमला बोला है। मुफ्ती ने कहा कि बीजेपी पर चुनाव के दौरान वोट पाने के लिए जवानों की शहादत का इस्तेमाल कर रही है।
पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने कहा कि बीजेपी वोट पाने के लिए जवान कार्ड और उनकी शहादत का इस्तेमाल करती है। लेकिन सच्चाई ये है कि अगर कश्मीरियों को तोपों के चारे के रूप में माना जाता है, तो घाटी में अशांति फैलाने के लिए सेना के जवान मोहरे बन जाते हैं। सत्तारूढ़ दल जवानों या कश्मीरियों की परवाह नहीं करता है। उनकी एकमात्र चिंता चुनाव जीतना है।
महबूबा मुफ्ती ने केंद्र पर बड़ी संख्या में जवानों की तैनाती पर भी सवाल उठाते हुए कहा, "कश्मीर में अगर सबकुछ सामान्य है, तो वहां 9 लाख सैनिकों का क्या मतलब है? उन्होंने कहा कि ये पाकिस्तान के साथ तनाव के कारण नहीं, बल्कि केवल विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए हैं। सेना की पहली जिम्मेदारी असंतोष को कुचलने के लिए इस्तेमाल होने के बजाय सीमाओं की रक्षा करना है।
जम्मू-कश्मीर में पाबंदियों और नेताओं की नजरबंदी को दो महीने बीत चुके हैं। लेकिन अब पहली बार कश्मीर के तीन नेताओं की रिहाई की खबर सामने आई है। इस पर मुफ्ती ने कहा, 'रिपोर्ट्स में कहा गया है कि रिहा किए गए नेताओं को बॉन्ड पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया।'
महबूबा मुफ्ती ने पूछा, आखिर किस कानून के तहत उनकी रिहाई की शर्त है, क्योंकि उनकी नजरबंदी पहले ही अवैध थी? कई नेताओं ने इन बॉन्ड पर साइन करने से साफ मना कर दिया।
बता दें, आर्टिकल 370 खत्म होने के दो महीने बाद जिन तीन नेताओं को रिहा किया गया है, उनमें यावर मीर, नूर मोहम्मद और शोएब लोन शामिल हैं। बताया गया है कि इन नेताओं को कई शर्तों पर हस्ताक्षर करने के बाद रिहा किया जाएगा।
अधिकारियों ने बताया कि रिहा किए जाने से पहले नूर मोहम्मद एक शपथ पत्र पर हस्ताक्षर कर शांति बनाए रखने और अच्छे व्यवहार का वादा करेंगे।
पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने कहा कि बीजेपी वोट पाने के लिए जवान कार्ड और उनकी शहादत का इस्तेमाल करती है। लेकिन सच्चाई ये है कि अगर कश्मीरियों को तोपों के चारे के रूप में माना जाता है, तो घाटी में अशांति फैलाने के लिए सेना के जवान मोहरे बन जाते हैं। सत्तारूढ़ दल जवानों या कश्मीरियों की परवाह नहीं करता है। उनकी एकमात्र चिंता चुनाव जीतना है।
महबूबा मुफ्ती ने केंद्र पर बड़ी संख्या में जवानों की तैनाती पर भी सवाल उठाते हुए कहा, "कश्मीर में अगर सबकुछ सामान्य है, तो वहां 9 लाख सैनिकों का क्या मतलब है? उन्होंने कहा कि ये पाकिस्तान के साथ तनाव के कारण नहीं, बल्कि केवल विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए हैं। सेना की पहली जिम्मेदारी असंतोष को कुचलने के लिए इस्तेमाल होने के बजाय सीमाओं की रक्षा करना है।
जम्मू-कश्मीर में पाबंदियों और नेताओं की नजरबंदी को दो महीने बीत चुके हैं। लेकिन अब पहली बार कश्मीर के तीन नेताओं की रिहाई की खबर सामने आई है। इस पर मुफ्ती ने कहा, 'रिपोर्ट्स में कहा गया है कि रिहा किए गए नेताओं को बॉन्ड पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया।'
महबूबा मुफ्ती ने पूछा, आखिर किस कानून के तहत उनकी रिहाई की शर्त है, क्योंकि उनकी नजरबंदी पहले ही अवैध थी? कई नेताओं ने इन बॉन्ड पर साइन करने से साफ मना कर दिया।
बता दें, आर्टिकल 370 खत्म होने के दो महीने बाद जिन तीन नेताओं को रिहा किया गया है, उनमें यावर मीर, नूर मोहम्मद और शोएब लोन शामिल हैं। बताया गया है कि इन नेताओं को कई शर्तों पर हस्ताक्षर करने के बाद रिहा किया जाएगा।
अधिकारियों ने बताया कि रिहा किए जाने से पहले नूर मोहम्मद एक शपथ पत्र पर हस्ताक्षर कर शांति बनाए रखने और अच्छे व्यवहार का वादा करेंगे।