न तो फारुक अब्दुल्ला आतंकी हैं और ना ही मैं विदेशी हूं- कश्मीर पर बोले माकपा नेता

Written by sabrang india | Published on: September 18, 2019
नई दिल्ली: कश्मीर के माकपा नेता और पूर्व विधायक मोहम्मद यूसुफ तारिगामी ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए केंद्र की भाजपा सरकार के उन दावों पर सवाल उठाए जिनमें कहा गया था कि जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद से वहां पर एक भी गोली नहीं चली है। माकपा नेता तारिगामी ने कहा कि पाबंदियों के कारण कश्मीर के लोग धीमी गति से मर रहे हैं।



तारिगामी पहले ऐसे कश्मीरी नेता हैं जो हिरासत में रखे जाने के बाद दिल्ली आ सके। इस दौरान उन्होंने पार्टी मुख्यालय पर पत्रकारों से मुलाकात की। उन्होंने कहा, ‘सच्चाई यह है कि धीरे-धीरे मर रहे हैं, घुटन हो रही है वहां।’

वहीं, देश के अन्य हिस्सों से भावनात्मक अपील करते हुए उन्होंने कहा, ‘हम भी जीना चाहते हैं, एक कश्मीरी और एक हिंदुस्तानी बोल रहा है यहां। ये मेरी अपील है, हमारी भी सुनें, हमें भी जिंदा रहने का मौका दें।’

उन्होंने कहा, राज्य के साथ किसी भी परामर्श के बिना अनुच्छेद 370 को खत्म करना और राज्य का पुनर्गठन करना नरेंद्र मोदी सरकार की हताशा को दिखाता है। एक औसत कश्मीरी स्वर्ग की मांग नहीं करता है, हम केवल आपके साथ कदम मिलाकर चलने का मौका मांग रहे हैं, हमें भी साथ ले लीजिए।

तारिगामी ने बताया कि उन्होंने कश्मीर में सबसे बुरा समय देखा है लेकिन आज जितना परेशान महसूस किया है उतना कभी नहीं किया। 40 दिनों से अधिक समय से बंद चल रहा है। उन्होंने कहा, ‘वे दिल्ली या किसी अन्य शहर में एक सप्ताह तक ऐसा करने की कोशिश क्यों नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि आपका व्यवसाय कैसे चलेगा, आपके स्कूल जाने वाले बच्चों के बारे में और अस्पतालों के बारे में क्या होगा।’

उन्होंने कहा, ‘क्या संचार सुविधाओं को ठप्प करके, दैनिक जीवन को अपंग करके, कश्मीरियों की पिटाई करके या जेल में डालकर दिल्ली कश्मीरियों के साथ विश्वास बनाने की कोशिश कर रही है। आज, कश्मीरी राजनेता जेल में हैं, सीमा पार बैठे लोग ताली बजा रहे हैं कि आपने वह कर दिया जो हम नहीं कर सकते थे।’

उन्होंने कहा, ‘कश्मीरियों को भारत में शामिल होने के लिए मजबूर नहीं किया गया था। कश्मीर के लोगों ने दूसरी तरफ से तानाशाही को स्वीकार नहीं करने का फैसला किया, लेकिन धर्मनिरपेक्ष भारत में शामिल होने के लिए। हमें मजबूर नहीं किया गया। कश्मीर और देश के बाकी लोगों ने बहुत मेहनत से जो रिश्ता कायम किया था आज उन पर हमला किया गया है।’

तारिगामी ने कहा, ‘न तो मैं विदेशी हूं और न ही डॉ. फारूक अब्दुल्ला या अन्य कश्मीरी नेता आतंकवादी हैं। 4 अगस्त को श्रीनगर में सर्वदलीय बैठक हुई। बैठक के बाद सभी राजनीतिक दलों की ओर से डॉ. अब्दुल्ला ने मीडिया को जानकारी दी और लोगों से दहशत न फैलाने की अपील की। कुछ ही घंटों बाद आधी रात को मेरे और डॉ. अब्दुल्ला के साथ सभी नेताओं को नजरबंद कर दिया गया।’ उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराओं को खत्म करने को चुनौती देने के लिए अलग से जनहित याचिका दाखिल करेगी।

वहीं इस दौरान वहां मौजूद माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, ‘मुख्य मुद्दा लोगों की आजीविका का है। सामान्य जनजीवन को अस्तव्यस्त किए हुए 40 दिन हो चुके हैं। कोई नहीं जानता कि यह कब तक जारी रहेगा। लैंडलाइन सेवाएं अभी भी बाधित थीं। तारिगामी के घर और पार्टी के कई अन्य सहयोगियों के लैंडलाइन काम नहीं कर रहे थे। वहां बहुत से सामानों की कमी है, खासकर अस्पतालों में दवाओं की बहुत कमी थी।’

बता दें कि, 72 वर्षीय तारिगामी जम्मू कश्मीर विधानसभा के चार बार के विधायक हैं। उन्हें 5 अगस्त से श्रीनगर स्थित उनके आवास पर बिना किसी औपचारिक आदेश के घर में नजरबंद कर दिया गया था। जब माकपा महासचिव येचुरी को श्रीनगर जाने के दो प्रयासों पर उन्हें हवाईअड्डे से वापस लौटना पड़ा तब येचुरी ने हाईकोर्ट में एक हैबियस कॉर्पस याचिका दायर की।

29 अगस्त को येचुकी को तारिगामी के घर जाने करने की अनुमति दी गई। इसके बाद तारिगामी के स्वास्थ्य को लेकर येचुरी की रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि उन्हें दिल्ली लाया जाए और एम्स में उनका इलाज कराया जाए। इसके बाद 9 सितंबर को उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया।

सोमवार को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबड़े और जस्टिस एसए नजीर की खंडपीठ ने कहा कि अगर एम्स में डॉक्टरों ने अनुमति दी तो पूर्व विधायक को घर जाने के लिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, इस आदेश में स्पष्ट किया गया कि यदि वे श्रीनगर के ऐसे किसी भी हिस्से में जाने की इच्छा रखते हैं जहां पर पाबंदियां लागू हैं तो वे जिला प्रशासन की अनुमति लेकर वे ऐसा करने के लिए स्वतंत्र हैं।

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