सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर देश में बढ़ते भीड़ द्वारा हमलों (मॉब लिंचिंग) को लेकर केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांग है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए बीते साल 2018 में एक जनहित याचिका दायर की गई थी जिसमें कोर्ट से इस पर कठोरता से अमल करने की मांग की गई है। बीते साल भी साल सुप्रीम कोर्ट ने मॉब लिंचिंग मामले में केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश जारी किया था। इसके बावजूद मॉब लिंचिंग की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं।
सीजेआई रंजन गोगोई और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने एंटी करप्शन काउंसिल ऑफ इंडिया ट्रस्ट (एसीसीआईटी) की याचिका पर गृह मंत्रालय और उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, झारखंड, गुजरात और जम्मू-कश्मीर सहित कई राज्यों से जवाब मांगा।
नोटिस में कोर्ट ने पूछा है कि उन्होंने इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं। बता दें कि याचिका में कहा गया था कि 2018 में विस्तृत गाइडलाइन जारी की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद कई राज्य सरकारें लिंचिंग को नहीं रोक पा रही हैं और पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने भी कारगर कदम नहीं उठाए।
पिछले साल 17 जुलाई के अपने फैसले में भीड़ की हिंसा से निपटने के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए थे। अदालत ने सभी जिलों में नोडल पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति, उन क्षेत्रों में कुशल गश्त करने का आदेश दिया था जहां ऐसी घटनाओं की संभावना थी, और इन मामलों में छह महीने के भीतर मुकदमा पूरा करने की बात कही थी।
सीजेआई रंजन गोगोई और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने एंटी करप्शन काउंसिल ऑफ इंडिया ट्रस्ट (एसीसीआईटी) की याचिका पर गृह मंत्रालय और उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, झारखंड, गुजरात और जम्मू-कश्मीर सहित कई राज्यों से जवाब मांगा।
नोटिस में कोर्ट ने पूछा है कि उन्होंने इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं। बता दें कि याचिका में कहा गया था कि 2018 में विस्तृत गाइडलाइन जारी की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद कई राज्य सरकारें लिंचिंग को नहीं रोक पा रही हैं और पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने भी कारगर कदम नहीं उठाए।
पिछले साल 17 जुलाई के अपने फैसले में भीड़ की हिंसा से निपटने के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए थे। अदालत ने सभी जिलों में नोडल पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति, उन क्षेत्रों में कुशल गश्त करने का आदेश दिया था जहां ऐसी घटनाओं की संभावना थी, और इन मामलों में छह महीने के भीतर मुकदमा पूरा करने की बात कही थी।