‘उत्पीड़न का विरोध करने वाले कार्यक्रम को क्यों रद्द किया गया?’, आईआईएसईआर पुणे के छात्रों ने अंबेडकर लेक्चर रद्द करने पर उठाए सवाल

Written by sabrang india | Published on: April 15, 2025
यह कार्यक्रम दक्षिणपंथी छात्र संगठन एबीवीपी द्वारा विरोध प्रदर्शन करने और पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के कुछ ही घंटों के भीतर रद्द कर दिया गया था। रद्द करने के लिए यह हवाला दिया गया वक्ता “धूर वामपंथी” राजनीति से संबंधित थे।



भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) पुणे ने हाल ही में डॉ. बी.आर. अंबेडकर के जन्मदिन को मनाने के लिए आयोजित व्याख्यानों को रद्द कर दिया। वक्ता दीपाली साल्वे, नाज़िमा परवीन और स्मिता एम. पाटिल मशहूर विद्वान और जाति-विरोधी कार्यकर्ता हैं। उनके व्याख्यान मुक्तिपर्व का हिस्सा थे जो कई महीनों के प्रयास के बाद छात्रों द्वारा आयोजित किया गया एक कार्यक्रम था।

द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, यह कार्यक्रम दक्षिणपंथी छात्र संगठन एबीवीपी द्वारा विरोध प्रदर्शन करने और पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के कुछ ही घंटों के भीतर रद्द कर दिया गया था। रद्द करने के लिए यह हवाला दिया गया वक्ता “धूर वामपंथी” राजनीति से संबंधित थे।

छात्रों ने इस पर तुरंत प्रतिक्रिया व्यक्त की। आईआईएसईआर छात्र परिषद ने संस्थान के इस कदम की निंदा करते हुए एक बयान जारी किया और इसे अचानक और अनुचित बताया। उनके विचार में, मुक्तिपर्व का उद्देश्य अंबेडकर का जश्न मनाना और जाति, समानता और प्रतिरोध पर बहस के लिए जगह प्रदान करना था। एक छात्र ने सवाल किया कि, “उत्पीड़न का विरोध करने वाले कार्यक्रम को क्यों रद्द किया गया?”

आरोहा, कल्पा, लिटरेरी क्लब और सतरंगी जैसे विभिन्न कैंपस संगठन भी पारदर्शिता की मांग में शामिल हुए। वे प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि वह इस बात का स्पष्ट कारण बताए कि यह निर्णय क्यों लिया गया और किस तरह की शिकायतें दर्ज की गईं।

संस्थान ने एक बयान जारी कर दावा किया कि वार्ता उचित प्रक्रिया के अनुसार आगे बढ़ी थी, लेकिन “चिंताएं” जताई गईं, इसलिए उन्हें रद्द करना पड़ा। इस बीच, उन्होंने जोर देकर कहा कि वे अभी भी अंबेडकर के आदर्शों के प्रति प्रतिबद्ध हैं।

इस बयान को लेकर छात्र संतुष्ट नहीं थे। उन्होंने बताया कि अन्य प्रमुख संस्थानों की तरह IISER पुणे में भी दलितों और आदिवासियों का प्रतिनिधित्व कम है। RTI की जानकारी से पता चलता है कि SC/ST संकाय की भर्ती में खामियां हैं और वंचित छात्रों की उपस्थिति भी कम है।

एक छात्र ने कहा, “यह कोई अकेली घटना नहीं है”। “यह इस चीज को लेकर है कि कौन बोलता है, किसके विचारों की अनुमति है और किसे बाहर निकाल दिया जाता है।” छात्रों द्वारा जारी दूसरे बयान में ABVP से सीधे सवाल किया गया कि "आप कौन होते हैं हमें यह बताने वाले कि हम अंबेडकर का जश्न कैसे मनाएं? हम चुप नहीं रहने वाले। यह लड़ाई सम्मान की है और हम इसे जारी रखे

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