गोदरेज ग्रुप के चेयरमैन आदि गोदरेज ने कहा कि असहिष्णुता, हेट क्राइम और मॉरल पुलिसिंग बढ़ने से देश के आर्थिक विकास को नुकसान हो सकता है। गोदरेज अपने कॉलेज सेंट जेवियर के 150 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
गोदरेज ने नए भारत के निर्माण और 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी के विशाल नजरिए के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी। लेकिन यह भी कहा कि देश में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। उन्होंने सामाजिक हालातों पर चिंता जताई और ग्रोथ पर असर पड़ने की चेतावनी दी।
गोदरेज ने कहा कि यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि भारी गरीबी देश को सता रही है। यह स्थिति विकास की गति को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है और हमें क्षमताओं को पहचानने से रोक सकती है।
आदि गोदरेज ने कहा कि देशभर में जाति-धर्म को लेकर हिंसा, महिला हिंसा और दूसरे तरह की असहिष्णुता बढ़ रही है। यह सामाजिक समरसता के लिए अच्छी बात नहीं।
बेरोजगारी पर गोदरेज ने कहा कि इसकी दर 6.1% है। यह पिछले 4 दशक में सबसे ज्यादा है। इस स्थिति को जल्द से जल्द काबू में करने की जरूरत है। भारी जल संकट, प्लास्टिक का बढ़ता इस्तेमाल और लड़खड़ाती चिकित्सा सुविधाएं और हेल्थकेयर पर कम खर्च अन्य ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें संभालने के लिए युद्धस्तर पर कोशिशों में जुटने की जरूरत है।
गोदरेज ने कहा कि जहां एक तरफ केंद्र सरकार पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने पर जोर दे रही है, वहीं जातिगत हिंसा, असहिष्णुता आदि होने से इसको नुकसान हो सकता है।
उन्होंने कहा कि देश के कई बड़े महानगर जल संकट से जूझ रहे हैं। प्लास्टिक के बढ़ते इस्तेमाल और लड़खड़ाती चिकित्सा सुविधाओं से भी लोग काफी परेशान है। यह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। इनसे निपटने के लिए युद्धस्तर पर हमें तैयारी करनी होगी, जिसके बाद ही हम आर्थिक चुनौतियों का सही ढंग से सामना कर सकते हैं।
गोदरेज ने नए भारत के निर्माण और 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी के विशाल नजरिए के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी। लेकिन यह भी कहा कि देश में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। उन्होंने सामाजिक हालातों पर चिंता जताई और ग्रोथ पर असर पड़ने की चेतावनी दी।
गोदरेज ने कहा कि यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि भारी गरीबी देश को सता रही है। यह स्थिति विकास की गति को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है और हमें क्षमताओं को पहचानने से रोक सकती है।
आदि गोदरेज ने कहा कि देशभर में जाति-धर्म को लेकर हिंसा, महिला हिंसा और दूसरे तरह की असहिष्णुता बढ़ रही है। यह सामाजिक समरसता के लिए अच्छी बात नहीं।
बेरोजगारी पर गोदरेज ने कहा कि इसकी दर 6.1% है। यह पिछले 4 दशक में सबसे ज्यादा है। इस स्थिति को जल्द से जल्द काबू में करने की जरूरत है। भारी जल संकट, प्लास्टिक का बढ़ता इस्तेमाल और लड़खड़ाती चिकित्सा सुविधाएं और हेल्थकेयर पर कम खर्च अन्य ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें संभालने के लिए युद्धस्तर पर कोशिशों में जुटने की जरूरत है।
गोदरेज ने कहा कि जहां एक तरफ केंद्र सरकार पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने पर जोर दे रही है, वहीं जातिगत हिंसा, असहिष्णुता आदि होने से इसको नुकसान हो सकता है।
उन्होंने कहा कि देश के कई बड़े महानगर जल संकट से जूझ रहे हैं। प्लास्टिक के बढ़ते इस्तेमाल और लड़खड़ाती चिकित्सा सुविधाओं से भी लोग काफी परेशान है। यह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। इनसे निपटने के लिए युद्धस्तर पर हमें तैयारी करनी होगी, जिसके बाद ही हम आर्थिक चुनौतियों का सही ढंग से सामना कर सकते हैं।