मध्य प्रदेश सरकार ने गौ रक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा पर रोक लगाने के लिए एक नए कानून का प्रस्ताव रखा है। प्रदेश सरकार के अनुसार यदि कोई व्यक्ति गाय को लेकर हिंसा के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो उसे छह महीने से लेकर तीन साल की सजा दी जा सकती है। साथ ही, दोषी पर 25,000 से 50,000 रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। कांग्रेस नेता व प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ सिंह की सरकार ने मध्यप्रदेश गोवंश वध प्रतिषेध अधिनियम, 2004 में संशोधन करने का प्रस्ताव दिया है।
बुधवार को प्रस्तावित इस बिल को प्रदेश सरकार विधानसभा के मानसून सत्र में पेश कर पारित कराना चाहती है। इस पर अतिरिक्त मुख्य सचिव (पशुपालन) मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि “गाय के नाम पर हिंसा करने वाले की सजा को बढ़ाकर न्यूनतम एक साल और अधिकतम पांच साल कर देनी चाहिए। यदि अपराधी दोबारा अपराध करता है, तो उसकी सजा दोगुनी कर दी जाएगी।” आपको बता दें कि, इससे पहले गोहत्या विरोधी अधिनियम को पूर्व की भाजपा सरकार ने पारित किया था। जिसके बाद गौ रक्षकों का आतंक समाज में बढ़ता जा रहा है।
गौरतलब है कि सियोनी जिले के कच्छीवाड़ा के डुंडासियोनी पुलिस स्टेशन में मई 22 को पांच लोगों द्वारा महिला समेत तीन लोगों की पिटाई करने का मामला आया था। जिन्हें बीफ ले जाने के कथित आरोप में बुरी तरह मारा गया। इस घटना के बाद प्रदेश सरकार गाय के नाम पर हो रही हिंसा के मामलों को लेकर सख्त हो गई है। प्रदेश सरकार के इस संशोधन बिल में उन लोगों को एक से तीन साल की सजा देने का प्रावधान किया जाएगा, जो लोगों को हिंसा के लिए उकसाने का कार्य करेंगे। साथ ही, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले गौ रकक्षों को गोहत्या विरोधी अधिनियम के तहत सजा दी जाएगी।
बता दें कि, इससे पहले राज्य सरकार ने फैसला किया था कि गायों को लाने और ले जाने के नियमों को आसान बनाया जाए ताकि किसान और व्यापारियों को गौ रकक्ष या पुलिस परेशान न कर सकें। सरकार ने किसानों के बीच गाय के व्यापार को उस शर्त को हटाते के लिए भी मंजूरी दे दी है, जिसमें कहा गया था कि किसान सिर्फ बाजार या हाट से ही गोवंश खरीद सकते हैं।
फिलहाल, देश में एक ओर गाय के नाम पर हिंसा और हत्याऐं से जुड़ी घटनाएं बढ़ रही हैं। वहीं, दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में कुपोषण, बिमारी और अन्य कारणों से सैकड़ों गायों की मृत्यु हो रही है। परन्तु, इस चर्चा भाजपा सरकार की ओर से शायद ही कोई करेगा।
बुधवार को प्रस्तावित इस बिल को प्रदेश सरकार विधानसभा के मानसून सत्र में पेश कर पारित कराना चाहती है। इस पर अतिरिक्त मुख्य सचिव (पशुपालन) मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि “गाय के नाम पर हिंसा करने वाले की सजा को बढ़ाकर न्यूनतम एक साल और अधिकतम पांच साल कर देनी चाहिए। यदि अपराधी दोबारा अपराध करता है, तो उसकी सजा दोगुनी कर दी जाएगी।” आपको बता दें कि, इससे पहले गोहत्या विरोधी अधिनियम को पूर्व की भाजपा सरकार ने पारित किया था। जिसके बाद गौ रक्षकों का आतंक समाज में बढ़ता जा रहा है।
गौरतलब है कि सियोनी जिले के कच्छीवाड़ा के डुंडासियोनी पुलिस स्टेशन में मई 22 को पांच लोगों द्वारा महिला समेत तीन लोगों की पिटाई करने का मामला आया था। जिन्हें बीफ ले जाने के कथित आरोप में बुरी तरह मारा गया। इस घटना के बाद प्रदेश सरकार गाय के नाम पर हो रही हिंसा के मामलों को लेकर सख्त हो गई है। प्रदेश सरकार के इस संशोधन बिल में उन लोगों को एक से तीन साल की सजा देने का प्रावधान किया जाएगा, जो लोगों को हिंसा के लिए उकसाने का कार्य करेंगे। साथ ही, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले गौ रकक्षों को गोहत्या विरोधी अधिनियम के तहत सजा दी जाएगी।
बता दें कि, इससे पहले राज्य सरकार ने फैसला किया था कि गायों को लाने और ले जाने के नियमों को आसान बनाया जाए ताकि किसान और व्यापारियों को गौ रकक्ष या पुलिस परेशान न कर सकें। सरकार ने किसानों के बीच गाय के व्यापार को उस शर्त को हटाते के लिए भी मंजूरी दे दी है, जिसमें कहा गया था कि किसान सिर्फ बाजार या हाट से ही गोवंश खरीद सकते हैं।
फिलहाल, देश में एक ओर गाय के नाम पर हिंसा और हत्याऐं से जुड़ी घटनाएं बढ़ रही हैं। वहीं, दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में कुपोषण, बिमारी और अन्य कारणों से सैकड़ों गायों की मृत्यु हो रही है। परन्तु, इस चर्चा भाजपा सरकार की ओर से शायद ही कोई करेगा।