मेहसाणा। लोकसभा चुनाव 2014 से पहले गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात मॉडल का जमकर प्रचार किया जिसकी वजह से वे केंद्र की सत्ता तक पहुंचने में कामयाब रहे। लेकिन गुजरात का जातिवादी मॉडल कितना घिनौना है यह उना में दलितों की पिटाई के बाद साफ हो गया था। ऊना की घटना को लेकर एक जनांदोलन देशभर में छिड़ गया लेकिन अभी तक वहां से जातीय उत्पीड़न की घटनाएं सामने नहीं आई है।
दलित उत्पीड़न का ताजा मामला गुजरात के मेहसाणा जिले के एक गांव से सामने आया है। यहां दलित व्यक्ति के अपनी शादी में घोड़ी पर बैठने का खामियाजा पूरे समुदाय को भुगतना पड़ा है। पूरे गांव ने अनुसूचित जाति(एससी) समुदाय के लोगों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया है। पुलिस ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
पुलिस के अनुसार कडी तालुका के लोर गांव के अगड़ी जाति के लोग दूल्हे के घोड़ी चढ़ने के कदम से कथित रूप से नाखुश थे। घटना मंगलवार की है। गांव के सरपंच विनूजी ठाकोर ने गांव के अन्य नेताओं के साथ फरमान जारी कर गांववालों को दलित समुदाय के लोगों का बहिष्कार करने को कहा। उन्होंने बताया कि इस संबंध में ठाकोर को गिरफ्तार कर लिया गया है।
पुलिस उपाधीक्षक मंजीत वंजारा ने बताया, 'सात मई को मेहुल परमार की बारात गांव से गुजर रही थी। चूंकि परमार एक दलित है इसलिए गांव के कुछ नेताओं ने इस पर आपत्ति की और समुदाय के लोगों को अपनी हद पार नहीं करने की चेतावनी दी।'
वंजारा ने बताया, 'अगले दिन गांव के कुछ प्रमुख ग्रामीणों ने दलितों के सामाजिक बहिष्कार की घोषणा की। इसके अलावा समुदाय के लोगों से बात करने या उनके साथ किसी तरह का मेलजोल रखने वालों पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाए जाने की भी घोषणा की गई थी।'
वंजारा गुरुवार को दलित ग्रामीणों द्वारा फोन किए जाने के बाद गांव पहुंची थीं। उन्होंने बताया कि गांव के सरपंच विनूजी ठाकोर की गिरफ्तारी के अलावा चार अन्य के खिलाफ भी अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अत्याचार रोकथाम अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए हैं।
पत्रकारों से बात करते हुए मेहुल परमार ने कहा कि बहिष्कार के आह्वान के बाद दुकानदारों ने उन्हें दूध या अन्य जरूरी घरेलू सामान तक बेचने से मना कर दिया था। वंजारा ने कहा, 'जब मैं घोड़ी चढ़ा तो कुछ ग्रामीणों ने मुझे इस तरह से बारात नहीं निकालने को कहा था। आज सुबह जब हमें सामाजिक बहिष्कार का पता चला तो हमने पुलिस की मदद मांगी। सुबह चाय बनाने के लिए किसी ने हमें दूध तक नहीं दिया।'
दलित उत्पीड़न का ताजा मामला गुजरात के मेहसाणा जिले के एक गांव से सामने आया है। यहां दलित व्यक्ति के अपनी शादी में घोड़ी पर बैठने का खामियाजा पूरे समुदाय को भुगतना पड़ा है। पूरे गांव ने अनुसूचित जाति(एससी) समुदाय के लोगों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया है। पुलिस ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
पुलिस के अनुसार कडी तालुका के लोर गांव के अगड़ी जाति के लोग दूल्हे के घोड़ी चढ़ने के कदम से कथित रूप से नाखुश थे। घटना मंगलवार की है। गांव के सरपंच विनूजी ठाकोर ने गांव के अन्य नेताओं के साथ फरमान जारी कर गांववालों को दलित समुदाय के लोगों का बहिष्कार करने को कहा। उन्होंने बताया कि इस संबंध में ठाकोर को गिरफ्तार कर लिया गया है।
पुलिस उपाधीक्षक मंजीत वंजारा ने बताया, 'सात मई को मेहुल परमार की बारात गांव से गुजर रही थी। चूंकि परमार एक दलित है इसलिए गांव के कुछ नेताओं ने इस पर आपत्ति की और समुदाय के लोगों को अपनी हद पार नहीं करने की चेतावनी दी।'
वंजारा ने बताया, 'अगले दिन गांव के कुछ प्रमुख ग्रामीणों ने दलितों के सामाजिक बहिष्कार की घोषणा की। इसके अलावा समुदाय के लोगों से बात करने या उनके साथ किसी तरह का मेलजोल रखने वालों पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाए जाने की भी घोषणा की गई थी।'
वंजारा गुरुवार को दलित ग्रामीणों द्वारा फोन किए जाने के बाद गांव पहुंची थीं। उन्होंने बताया कि गांव के सरपंच विनूजी ठाकोर की गिरफ्तारी के अलावा चार अन्य के खिलाफ भी अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अत्याचार रोकथाम अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए हैं।
पत्रकारों से बात करते हुए मेहुल परमार ने कहा कि बहिष्कार के आह्वान के बाद दुकानदारों ने उन्हें दूध या अन्य जरूरी घरेलू सामान तक बेचने से मना कर दिया था। वंजारा ने कहा, 'जब मैं घोड़ी चढ़ा तो कुछ ग्रामीणों ने मुझे इस तरह से बारात नहीं निकालने को कहा था। आज सुबह जब हमें सामाजिक बहिष्कार का पता चला तो हमने पुलिस की मदद मांगी। सुबह चाय बनाने के लिए किसी ने हमें दूध तक नहीं दिया।'