लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान नेताओं का तरह तरह से जहर उगलना अब आम सा हो गया है। हाल में उत्तराखंड के खानपुर से बीजेपी विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैम्पियन का एक विवादित बयान सामने आया है। अपने बयान में चैम्पियन ने महात्मा गांधी एवं प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को लेकर कई आपत्तिजनक बात कही है और साथ ही उन्हें देश की दुर्दशा का कारण बताया है।
खबर के अनुसार विधायक चैम्पियन ने राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेद सिंह रावत को एक पत्र लिखा है। अपने पत्र में उन्होंने लिखा है कि महात्मा गांधी 'राष्ट्रपिता' कहलाने योग्य नहीं हैं। साथ ही प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को 'चरित्रहीन' बताया है। इतना ही नहीं प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मीडिया में भी वह पत्र बंटवाया है।
विधायक चैम्पियन का आरोप है कि नेहरू जी के कारण ही कश्मीर घाटी से कश्मीरी पंडितों का पलायन हुआ और धारा 370 लागू की गई थी। साथ ही चीन से हुए 1962 के युद्ध में मिली हार का जिम्मेदार भी नेहरू को ठहराया है।
पत्रकारों से बातचीत के दौरान विधायक जी ने कहा कि महात्मा गांधी सरदार पटेल और सुभाष चंद्र बोस के लिए द्वेष की भावना रखते थे। इसलिए लोकतंत्र का गला दबाते हुए उन्होंने सत्ता गलत हाथों में सौप दी, लिहाजा वह 'राष्ट्रपिता' कहलाने के योग्य नहीं हैं।
बहरहाल लोकसभा चुनाव के दौरान सभी नेता अपने बेसिर पैर की बातें कर वोटों को अपने पाले में खींचने का हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में देखना यह है कि विधायक चैम्पियन के बयान का उनके वोट बैंक पर कोई असर पड़ता है या चुनाव आयोग के पास एक और शिकायत दर्ज होती है।
खबर के अनुसार विधायक चैम्पियन ने राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेद सिंह रावत को एक पत्र लिखा है। अपने पत्र में उन्होंने लिखा है कि महात्मा गांधी 'राष्ट्रपिता' कहलाने योग्य नहीं हैं। साथ ही प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को 'चरित्रहीन' बताया है। इतना ही नहीं प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मीडिया में भी वह पत्र बंटवाया है।
विधायक चैम्पियन का आरोप है कि नेहरू जी के कारण ही कश्मीर घाटी से कश्मीरी पंडितों का पलायन हुआ और धारा 370 लागू की गई थी। साथ ही चीन से हुए 1962 के युद्ध में मिली हार का जिम्मेदार भी नेहरू को ठहराया है।
पत्रकारों से बातचीत के दौरान विधायक जी ने कहा कि महात्मा गांधी सरदार पटेल और सुभाष चंद्र बोस के लिए द्वेष की भावना रखते थे। इसलिए लोकतंत्र का गला दबाते हुए उन्होंने सत्ता गलत हाथों में सौप दी, लिहाजा वह 'राष्ट्रपिता' कहलाने के योग्य नहीं हैं।
बहरहाल लोकसभा चुनाव के दौरान सभी नेता अपने बेसिर पैर की बातें कर वोटों को अपने पाले में खींचने का हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में देखना यह है कि विधायक चैम्पियन के बयान का उनके वोट बैंक पर कोई असर पड़ता है या चुनाव आयोग के पास एक और शिकायत दर्ज होती है।