पिछले पांच वर्षों में शायद ही कोई सार्वजनिक संबोधन हो, जहां ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने वर्तमान सरकार की नीतियों का समर्थन नहीं किया हो। पिछले कुछ महीनों में, उन्होंने कई विषयों पर ट्वीट और भाषण दिए हैं जो भाजपा के एजेंडे के अनुरूप हैं।
ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव को मंगलवार को लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (एलएसई) के छात्र संघ ने स्पष्टीकरण देने के लिए मजबूर कर दिया। दरअसल सद्गुरू ने संस्थान में एक मुस्लिम छात्र को 'प्रॉपर तालिबानी' कहा था।
एलएसई स्टूडेंट यूनियन (एलएसईएसयू) ने संस्थान के परिसर में 27 मार्च से इस निजी बातचीत की वीडियो रिकॉर्डिंग की थी। इस दौरान 'सद्गुरु की टिप्पणियों से निराशा जताते हुए छात्र संघ ने कहा कि वह उन्हें इस्लामोफोबिक के रूप में देखता है।' विरोध के बाद जग्गी वासुदेव ने एक वीडियो जारी कर स्पष्टीकरण दिया है जिसे छात्र संघ ने खारिज कर दिया।
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (एलएसई) के छात्रों के संघ ने कहा कि आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु ने एक मुस्लिम छात्र से बातचीत के दौरान उसे "तालिबानी" कहा जो कि निराशा भरा है।
सद्गुरु ने यूथ एंड ट्रुथ: अनप्लग विद सद्गुरु’ नामक एक कार्यक्रम में अपनी बात रखी। बाद में, उन्होंने एक मुस्लिम छात्र, बिलाल बिन साकिब के साथ चर्चा की। इस चर्चा के दौरान उन्होंने बिलाल बिन साकिब को "तालिबान" और "तालिबानी" कहा। सद्गुरू की इस टिप्पणी पर LSESU ने कहा कि छात्र संघ इसे इस्लामोफोबिक के रूप में देखता है।
एलएसईएसयू ने बयान जारी कर कहा कि इस तरह की टिप्पणियों का परिसर में कोई स्थान नहीं है और इसकी निंदा की जानी चाहिए। यदि ऐसी टिप्पणी मजाक में भी की गई थी, तो इससे इसका प्रभाव कम नहीं होता। यह शब्द अभी भी अपमानजनक हैं। इस तरह की घटनाओं को यदि विधिवत रूप से घोषित नहीं किया जाता है, तो एक ऐसी संस्कृति बनाने के लिए कुल मिलाकर जहां आकस्मिक इस्लामोफोबिया स्वीकार्य हो जाता है और, जैसे कि, हमने सद्गुरु को दिए गए बयानों के संबंध में छात्र निकाय को एक औपचारिक माफीनामा जारी करने के लिए कहा है।
बता दें कि सद्गुरू जग्गी कई बार भाजपा के पक्ष में अपने विचार रखते नजर आते हैं। तमिलनाडु के कोयंबटूर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फरवरी 2017 में सद्गुरू के आश्रम में शिव की प्रतिमा के अनावरण के लिए पहुंचे थे। जहां यह आश्रम बना है वहां आदिवासी समूह की जमीन हथियाने का आरोप जग्गी वासुदेव पर है।
ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव को मंगलवार को लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (एलएसई) के छात्र संघ ने स्पष्टीकरण देने के लिए मजबूर कर दिया। दरअसल सद्गुरू ने संस्थान में एक मुस्लिम छात्र को 'प्रॉपर तालिबानी' कहा था।
एलएसई स्टूडेंट यूनियन (एलएसईएसयू) ने संस्थान के परिसर में 27 मार्च से इस निजी बातचीत की वीडियो रिकॉर्डिंग की थी। इस दौरान 'सद्गुरु की टिप्पणियों से निराशा जताते हुए छात्र संघ ने कहा कि वह उन्हें इस्लामोफोबिक के रूप में देखता है।' विरोध के बाद जग्गी वासुदेव ने एक वीडियो जारी कर स्पष्टीकरण दिया है जिसे छात्र संघ ने खारिज कर दिया।
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (एलएसई) के छात्रों के संघ ने कहा कि आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु ने एक मुस्लिम छात्र से बातचीत के दौरान उसे "तालिबानी" कहा जो कि निराशा भरा है।
सद्गुरु ने यूथ एंड ट्रुथ: अनप्लग विद सद्गुरु’ नामक एक कार्यक्रम में अपनी बात रखी। बाद में, उन्होंने एक मुस्लिम छात्र, बिलाल बिन साकिब के साथ चर्चा की। इस चर्चा के दौरान उन्होंने बिलाल बिन साकिब को "तालिबान" और "तालिबानी" कहा। सद्गुरू की इस टिप्पणी पर LSESU ने कहा कि छात्र संघ इसे इस्लामोफोबिक के रूप में देखता है।
एलएसईएसयू ने बयान जारी कर कहा कि इस तरह की टिप्पणियों का परिसर में कोई स्थान नहीं है और इसकी निंदा की जानी चाहिए। यदि ऐसी टिप्पणी मजाक में भी की गई थी, तो इससे इसका प्रभाव कम नहीं होता। यह शब्द अभी भी अपमानजनक हैं। इस तरह की घटनाओं को यदि विधिवत रूप से घोषित नहीं किया जाता है, तो एक ऐसी संस्कृति बनाने के लिए कुल मिलाकर जहां आकस्मिक इस्लामोफोबिया स्वीकार्य हो जाता है और, जैसे कि, हमने सद्गुरु को दिए गए बयानों के संबंध में छात्र निकाय को एक औपचारिक माफीनामा जारी करने के लिए कहा है।
बता दें कि सद्गुरू जग्गी कई बार भाजपा के पक्ष में अपने विचार रखते नजर आते हैं। तमिलनाडु के कोयंबटूर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फरवरी 2017 में सद्गुरू के आश्रम में शिव की प्रतिमा के अनावरण के लिए पहुंचे थे। जहां यह आश्रम बना है वहां आदिवासी समूह की जमीन हथियाने का आरोप जग्गी वासुदेव पर है।