जयपुर। 4 अप्रैल 2019 को ‘औरतें उठी नहीं तो ज़ुल्म बढ़ता जाएगा-महिला मार्च बदलाव के लिए’ की एक रैली का आयोजन जयपुर शहर में किया गया।
देश भर के अन्य शहरों की तरह यहां भी महिलाओं ने बढ़-चढ़ के हिस्सा लिया। 20 से अधिक महिला समूह और जन संगठनों की महिलाओं ने इसमें भाग लिया।
राजस्थान की तपती दोपहरी में 42 डिग्री टेम्परेचर में जयपुर की सड़कों पर 200 से अधिक औरतों ने मार्च किया। बूढ़ी, जवान, किशोरियां सब औरतें पूरे जोश से रास्ते भर नारे लगाती चल रही थीं।
काम वाली औरतें, बस्तियों की किशोरियां सब ही आईं थीं। सब नारे लगा रही थीं हमारा वोट बदलाव के लिए, लोक तन्त्र की रक्षा के लिए। अभव्यक्ति के अधिकार के लिए। मार्च के समापन पर एक महिला की तरह जयपुर शहर से कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति खंडेलवाल ने भी अपनी एकजुटता और प्रतिबद्धता जताई!
NFIW, WRG, RUWA, AIDWA, विविधा, AIPWA, BGVS, राजस्थान महिला कामगार यूनियन, PUCL, NMWWS, विशाखा, AIDMM, नई भोर, सूचना एवं रोज़गार अधिकार अभियान, आज़ाद फाउंडेशन, के साथी इसमें शामिल थे!
शहीद स्मारक से निकली रैली में महिलाओं ने देश में बढ़ रही नफरत, हिंसा, जाती और संप्रदाय के बिनाह पर भेद भाव के खिलाफ आवाज उठाई, नारे लगाए और पर्चे बांटे।साथ ही पिछले पांच साल में देश में बढ़ी बेरोज़गारी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं का निजीकरण, राशन पेंशन और नरेगा में लोगों का नाम काटने और सामाजिक सुरक्षा की नतियों को लापरवाही से चलाने की बात की!
महिलाओं ने इन सब मुद्दों के महिलाओं पर असर, महिलाओं के हकों और आज़ादी पर वार और डायन हत्या, औनर किलिंग, यौन उत्पीडन, उनकी स्वतंत्रता पर रोक-टोक इत्यादि मुद्दों को भी इन चुनावों में अहम भूमिका देने के मांग की!
महिलाओं ने नारों और पोस्टर द्वारा स्पष्ट किया की उनका वोट उन्हीं को जाएगा जो देश के इन असली मुद्दों पर बात और काम करेगा ना की वह जो जनता का ध्यान भटकाएगा।रैली में “हमारा वोट बदलाव के लिए”, “त्रिशूल नहीं तलवार नहीं, हर हाथ को काम दो”, “मेक लव not war”, ” hum sab एक hain’ के नारे भी गूंजे!
रैली का अंत राम निवास बाग अल्बर्ट हॉल में हुआ जहां एक छोटी सभा कि गई। सभा में महिलाओं ने महिलावादी गीत और राष्ट्रीय महिला मार्च का सफदर हाशमी द्वारा रचित गीत ‘ औरतें उठी नहीं तो जुल्म बढ़ता जाएगा ‘ भी गाया।
‘ मोदी है, तो बेरोज़गारी, नोटेबंदी, राफेल घोटाला, मोब लिंचिंग, जातीय हिंसा, मुमकिन है’ के नारे लगाते हुए महिलाओं से मोदी सरकार की नीतियों पर तीखी टिप्पणी की। सुधा भारद्वाज, शोमा सेन और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं की भी रिहाई मांगी गई।
अंत में, महिलाओं ने जनता से सोच समझ कर वोट देने की बात की। बदलाव के लिए अपील की।
देश भर के अन्य शहरों की तरह यहां भी महिलाओं ने बढ़-चढ़ के हिस्सा लिया। 20 से अधिक महिला समूह और जन संगठनों की महिलाओं ने इसमें भाग लिया।
राजस्थान की तपती दोपहरी में 42 डिग्री टेम्परेचर में जयपुर की सड़कों पर 200 से अधिक औरतों ने मार्च किया। बूढ़ी, जवान, किशोरियां सब औरतें पूरे जोश से रास्ते भर नारे लगाती चल रही थीं।
काम वाली औरतें, बस्तियों की किशोरियां सब ही आईं थीं। सब नारे लगा रही थीं हमारा वोट बदलाव के लिए, लोक तन्त्र की रक्षा के लिए। अभव्यक्ति के अधिकार के लिए। मार्च के समापन पर एक महिला की तरह जयपुर शहर से कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति खंडेलवाल ने भी अपनी एकजुटता और प्रतिबद्धता जताई!
NFIW, WRG, RUWA, AIDWA, विविधा, AIPWA, BGVS, राजस्थान महिला कामगार यूनियन, PUCL, NMWWS, विशाखा, AIDMM, नई भोर, सूचना एवं रोज़गार अधिकार अभियान, आज़ाद फाउंडेशन, के साथी इसमें शामिल थे!
शहीद स्मारक से निकली रैली में महिलाओं ने देश में बढ़ रही नफरत, हिंसा, जाती और संप्रदाय के बिनाह पर भेद भाव के खिलाफ आवाज उठाई, नारे लगाए और पर्चे बांटे।साथ ही पिछले पांच साल में देश में बढ़ी बेरोज़गारी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं का निजीकरण, राशन पेंशन और नरेगा में लोगों का नाम काटने और सामाजिक सुरक्षा की नतियों को लापरवाही से चलाने की बात की!
महिलाओं ने इन सब मुद्दों के महिलाओं पर असर, महिलाओं के हकों और आज़ादी पर वार और डायन हत्या, औनर किलिंग, यौन उत्पीडन, उनकी स्वतंत्रता पर रोक-टोक इत्यादि मुद्दों को भी इन चुनावों में अहम भूमिका देने के मांग की!
महिलाओं ने नारों और पोस्टर द्वारा स्पष्ट किया की उनका वोट उन्हीं को जाएगा जो देश के इन असली मुद्दों पर बात और काम करेगा ना की वह जो जनता का ध्यान भटकाएगा।रैली में “हमारा वोट बदलाव के लिए”, “त्रिशूल नहीं तलवार नहीं, हर हाथ को काम दो”, “मेक लव not war”, ” hum sab एक hain’ के नारे भी गूंजे!
रैली का अंत राम निवास बाग अल्बर्ट हॉल में हुआ जहां एक छोटी सभा कि गई। सभा में महिलाओं ने महिलावादी गीत और राष्ट्रीय महिला मार्च का सफदर हाशमी द्वारा रचित गीत ‘ औरतें उठी नहीं तो जुल्म बढ़ता जाएगा ‘ भी गाया।
‘ मोदी है, तो बेरोज़गारी, नोटेबंदी, राफेल घोटाला, मोब लिंचिंग, जातीय हिंसा, मुमकिन है’ के नारे लगाते हुए महिलाओं से मोदी सरकार की नीतियों पर तीखी टिप्पणी की। सुधा भारद्वाज, शोमा सेन और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं की भी रिहाई मांगी गई।
अंत में, महिलाओं ने जनता से सोच समझ कर वोट देने की बात की। बदलाव के लिए अपील की।