नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टीवी9 भारतवर्ष ने अपनी लॉन्चिंग पर आयोजित एक राष्ट्रीय सम्मेलन में बुलाया था। बात इतवार की है। मोदी पहुंचे तो उनकी अगवानी में हेमंत शर्मा, विनोद कापड़ी और टीवी के साईओ रवि प्रकाश आदि बाहर खड़े थे। मोदी ने पहुंचते ही रवि प्रकाश से ऐसी बात कही जिसका वीडियो अब तेज़ी से वायरल हो रहा है।

‘आपने ऐसे लोग भरे हैं जिनके ब्लड में है मुझे गाली देना’, मोदी के ऐसा कहते ही पीछे चल रहे शर्मा और कापड़ी हंस दिए। सीईओ रवि प्रकाश ने मामले को संभालते हुए जब कहा, ‘बदलाव ला रहे हैं इसमें’, तो मोदी ने पत्रकारों की मौज ले ली, ‘ऐसा मत करो भाई जीने दो इन बेचारों को…. हाहाहा… उनकी आत्मा मर जाएगी तो मज़ा नहीं आएगा।’
वीडियो इतना ही है। सवाल मोदी पर तो है ही कि वे हमेशा दूसरों के ब्लड के पीछे क्यों पड़े रहते हैं? इससे बड़ा सवाल हालांकि उन पत्रकारों पर है जो इस चैनल में बेशर्मी से काम कर रहे हैं। जिसे आपने न्योता दिया उसी ने आपको सरेआम बेइज्जत कर दिया। हेमंत शर्मा का तो फिर भी समझ में आता है क्योंकि 2014 में नरेंद्र मोदी के चुनाव में वे काफी सक्रिय थे और अमित शाह के साथ मिलकर प्रचार का काम देख रहे थे। इसलिए शर्मा तो ठहरे मोदी के ही आदमी।
बाकी का क्या? पत्रकार अनिल यादव ने फेसबुक पर इस वीडियो के संदर्भ में वाजिब सवाल उठाया है कि ‘वह खून किस ग्रुप का होता है जिसमें गाली बहती है?’ इस वीडियो को पोस्ट करते हुए इंदौर के पत्रकार तरुण व्यास क्या खूब लिखते हैं:
“ये देश के प्रधानमंत्री हैं… प्रधानमंत्री और सड़कछाप उठाईगीर की भाषा में कुछ तो फर्क होना ही चाहिए। पत्रकारों को काम तो वैसे भी नहीं करने दे रहे हो। अब क्या आपसे पूछकर पत्रकारों को नौकरी पर रखें? हद भाई”!
साभार- मीडिया विजिल

‘आपने ऐसे लोग भरे हैं जिनके ब्लड में है मुझे गाली देना’, मोदी के ऐसा कहते ही पीछे चल रहे शर्मा और कापड़ी हंस दिए। सीईओ रवि प्रकाश ने मामले को संभालते हुए जब कहा, ‘बदलाव ला रहे हैं इसमें’, तो मोदी ने पत्रकारों की मौज ले ली, ‘ऐसा मत करो भाई जीने दो इन बेचारों को…. हाहाहा… उनकी आत्मा मर जाएगी तो मज़ा नहीं आएगा।’
वीडियो इतना ही है। सवाल मोदी पर तो है ही कि वे हमेशा दूसरों के ब्लड के पीछे क्यों पड़े रहते हैं? इससे बड़ा सवाल हालांकि उन पत्रकारों पर है जो इस चैनल में बेशर्मी से काम कर रहे हैं। जिसे आपने न्योता दिया उसी ने आपको सरेआम बेइज्जत कर दिया। हेमंत शर्मा का तो फिर भी समझ में आता है क्योंकि 2014 में नरेंद्र मोदी के चुनाव में वे काफी सक्रिय थे और अमित शाह के साथ मिलकर प्रचार का काम देख रहे थे। इसलिए शर्मा तो ठहरे मोदी के ही आदमी।
बाकी का क्या? पत्रकार अनिल यादव ने फेसबुक पर इस वीडियो के संदर्भ में वाजिब सवाल उठाया है कि ‘वह खून किस ग्रुप का होता है जिसमें गाली बहती है?’ इस वीडियो को पोस्ट करते हुए इंदौर के पत्रकार तरुण व्यास क्या खूब लिखते हैं:
“ये देश के प्रधानमंत्री हैं… प्रधानमंत्री और सड़कछाप उठाईगीर की भाषा में कुछ तो फर्क होना ही चाहिए। पत्रकारों को काम तो वैसे भी नहीं करने दे रहे हो। अब क्या आपसे पूछकर पत्रकारों को नौकरी पर रखें? हद भाई”!
साभार- मीडिया विजिल