रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के पार्टी कार्यालय में भाजपाइयों ने प्रदेश के बड़े भाजपा नेताओं की मौजूदगी में पत्रकार सुमन पाण्डेय को बंधक बनाकर इतना पीटा कि उनके सिर से खून बहने लगा।
छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार से भाजपा कुछ खिसियाई सी नज़र आ रही है। दरअसल हार के कारणों की समीक्षा करने के लिए शनिवार 2 फ़रवरी को राजधानी रायपुर के भाजपा कार्यालय में समीक्षा बैठक रखी गई थी। इस बैठक की कवरेज करने गए पत्रकार सुमन पांडेय और विनोद डोंगरे पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने जानलेवा हमला कर दिया।
शाम लगभग 4 बजे पत्रकार सुमन पांडेय अपने सहयोगी विनोद डोंगरे के साथ रायपुर के एकात्म परिसर स्थित भाजपा प्रदेश कार्यालय में चल रही समीक्षा बैठक को कवर करने पंहुचे थे। इसी दौरान बैठक में किसी बात पर हंगामा शुरू हो गया। मौजूद मीडिया कर्मी ये सब अपने कैमरे में रिकॉर्ड कर रहे थे। बैठक में चल रहा हंगामा कैमरे में रिकॉर्ड होता देख भाजपा के कुछ नेताओं ने दोनों मीडियाकर्मियों से हाथापाई शुरू कर दी। सारी मर्यादाएं भूल कर भाजपाइयों ने पत्रकार सुमन पाण्डेय को इतना मारा कि उनका सिर फट गया। कैमरा छीन कर उससे फुटेज डिलीट करने का दबाव बनाते हुए भाजपा नेताओं ने पत्रकार सुमन पांडेय को लगभग 15 मिनट तक बंधक बनाए रखा। वहीं कुछ भाजपा कार्यकर्ता वहां मौजूद दूसरे पत्रकार विनोद डोंगरे का मोबाईल फोन छीनकर भाग गए।
इस घटना से पत्रकारों में रोष का माहौल है। दो पत्रकारों की पिटाई के बाद अन्य मीडियाकर्मी एकजुट होकर शांतिपूर्वक विरोध करने भाजपा कार्यालय के सामने इकठ्ठा हुए तो भाजपाई रॉड और हॉकी स्टिक लेकर उन्हें धमकाने पहुंच गए। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार उत्तम कुमार का कहना है कि “बैठक में छत्तीसगढ़ भाजपा के बड़े नेताओं की मौजूदगी में एक पत्रकार को बंधक बनाकर बुरी तरह पीटने की ये घटना भाजपा की फासीवादी कार्यशैली को दर्शाती है”
राजधानी रायपुर के मीडियाकर्मी इस घटना के विरोध में दोषियों पर कार्रवाई की मांग के साथ अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। रायपुर प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर ने इसे प्रेस की आजादी पर हमला बताया है। उन्होंने कहा, “बीजेपी के गुंडों की पार्टी से बर्खास्तगी की मांग को लेकर हम धरने पर बैठे हैं। बीजेपी नेताओं की ये गुंडागर्दी किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अब पानी सिर से ऊपर हो चला है। एक पत्रकार को 20 लोगों ने मिलकर पीटा है, वो चिल्ला रहा था कि वो पत्रकार है, पर बीजेपी के गुंडे ये कांग्रेसी है बोल कर उसकी मॉब लिंचिंग पर आमादा थे। गनीमत है कि कुछ लोगों ने उसे पहचान लिया, वरना वे उसे जान से मार देते। ये कैसे नेता हैं। ये प्रदेश और देश के लोगों की क्या हिफाज़त करेंगे? हमें ऐसे गुंडे नहीं चाहिए। लोकतंत्र में गुंडों की बिल्कुल भी जगह नहीं है। हम पार्टी से उनकी बर्खास्तगी की मांग कर रहे हैं। जब तक मारपीट के आरोपी रायपुर शहर बीजेपी अध्यक्ष राजीव अग्रवाल और उनके गुंडों को पार्टी से बाहर नहीं किया जाता हमारा आंदोलन जारी रहेगा। अब ये लड़ाई केवल किसी एक पत्रकार के लिए नहीं है, अब ये लड़ाई लोकतंत्र को बचाए रखने के लिए है।”
घटना के बाद दोषियों को गिरफ्तार कर जमानत में छोड़ दिया गया है। तमाम पत्रकारों ने दोषियों को पार्टी से बर्खास्त करने, आरोपी नेताओं के ख़िलाफ़ गैर जमानती धाराओं में अपराध दर्ज करने तथा पत्रकारों को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग की है।
छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार से भाजपा कुछ खिसियाई सी नज़र आ रही है। दरअसल हार के कारणों की समीक्षा करने के लिए शनिवार 2 फ़रवरी को राजधानी रायपुर के भाजपा कार्यालय में समीक्षा बैठक रखी गई थी। इस बैठक की कवरेज करने गए पत्रकार सुमन पांडेय और विनोद डोंगरे पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने जानलेवा हमला कर दिया।
शाम लगभग 4 बजे पत्रकार सुमन पांडेय अपने सहयोगी विनोद डोंगरे के साथ रायपुर के एकात्म परिसर स्थित भाजपा प्रदेश कार्यालय में चल रही समीक्षा बैठक को कवर करने पंहुचे थे। इसी दौरान बैठक में किसी बात पर हंगामा शुरू हो गया। मौजूद मीडिया कर्मी ये सब अपने कैमरे में रिकॉर्ड कर रहे थे। बैठक में चल रहा हंगामा कैमरे में रिकॉर्ड होता देख भाजपा के कुछ नेताओं ने दोनों मीडियाकर्मियों से हाथापाई शुरू कर दी। सारी मर्यादाएं भूल कर भाजपाइयों ने पत्रकार सुमन पाण्डेय को इतना मारा कि उनका सिर फट गया। कैमरा छीन कर उससे फुटेज डिलीट करने का दबाव बनाते हुए भाजपा नेताओं ने पत्रकार सुमन पांडेय को लगभग 15 मिनट तक बंधक बनाए रखा। वहीं कुछ भाजपा कार्यकर्ता वहां मौजूद दूसरे पत्रकार विनोद डोंगरे का मोबाईल फोन छीनकर भाग गए।
इस घटना से पत्रकारों में रोष का माहौल है। दो पत्रकारों की पिटाई के बाद अन्य मीडियाकर्मी एकजुट होकर शांतिपूर्वक विरोध करने भाजपा कार्यालय के सामने इकठ्ठा हुए तो भाजपाई रॉड और हॉकी स्टिक लेकर उन्हें धमकाने पहुंच गए। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार उत्तम कुमार का कहना है कि “बैठक में छत्तीसगढ़ भाजपा के बड़े नेताओं की मौजूदगी में एक पत्रकार को बंधक बनाकर बुरी तरह पीटने की ये घटना भाजपा की फासीवादी कार्यशैली को दर्शाती है”
राजधानी रायपुर के मीडियाकर्मी इस घटना के विरोध में दोषियों पर कार्रवाई की मांग के साथ अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। रायपुर प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर ने इसे प्रेस की आजादी पर हमला बताया है। उन्होंने कहा, “बीजेपी के गुंडों की पार्टी से बर्खास्तगी की मांग को लेकर हम धरने पर बैठे हैं। बीजेपी नेताओं की ये गुंडागर्दी किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अब पानी सिर से ऊपर हो चला है। एक पत्रकार को 20 लोगों ने मिलकर पीटा है, वो चिल्ला रहा था कि वो पत्रकार है, पर बीजेपी के गुंडे ये कांग्रेसी है बोल कर उसकी मॉब लिंचिंग पर आमादा थे। गनीमत है कि कुछ लोगों ने उसे पहचान लिया, वरना वे उसे जान से मार देते। ये कैसे नेता हैं। ये प्रदेश और देश के लोगों की क्या हिफाज़त करेंगे? हमें ऐसे गुंडे नहीं चाहिए। लोकतंत्र में गुंडों की बिल्कुल भी जगह नहीं है। हम पार्टी से उनकी बर्खास्तगी की मांग कर रहे हैं। जब तक मारपीट के आरोपी रायपुर शहर बीजेपी अध्यक्ष राजीव अग्रवाल और उनके गुंडों को पार्टी से बाहर नहीं किया जाता हमारा आंदोलन जारी रहेगा। अब ये लड़ाई केवल किसी एक पत्रकार के लिए नहीं है, अब ये लड़ाई लोकतंत्र को बचाए रखने के लिए है।”
घटना के बाद दोषियों को गिरफ्तार कर जमानत में छोड़ दिया गया है। तमाम पत्रकारों ने दोषियों को पार्टी से बर्खास्त करने, आरोपी नेताओं के ख़िलाफ़ गैर जमानती धाराओं में अपराध दर्ज करने तथा पत्रकारों को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग की है।