अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कंम्यूनिकेंशंस लिमिटेड मुंबई एनसीएलटी में दीवालिया घोषित करने की अर्जी दाखिल करने जा रही हैं.
कर्ज के बोझ तले दबी कंपनी ने अपने बयान में कहा, "आरकॉम के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने आज (शुक्रवार) कंपनी की कर्ज निपटान योजना की समीक्षा की. बोर्ड ने पाया कि 18 महीने गुजर जाने के बाद भी संपत्तियों को बेचने की योजनाओं से कर्जदाताओं को अभी तक कुछ भी हासिल नहीं हो पाया है." आरकॉम के कर्जदाताओं में एसबीआई, चाइना डिवेलपमेंट बैंक, एचएसबीसी समेत कई बड़े बैंक शामिल हैं.
2016 में विदेशी ब्रोकरेज हाउस क्रेडिट सुइस ने सबसे ज्यादा कर्ज वाले कॉर्पोरेट हाउस की एक लिस्ट जारी की थी इसमे बताया गया कि अनिल अंबानी की अगुआई वाले समूह एडीएजी ग्रुप पर करीब 1 लाख करोड़ रुपए से भी अधिक का कर्ज है.
इस ग्रुप की कम्पनियों में मोटे तौर पर आरकॉम पर लगभग 48000 करोड़, आरइंफ़्रा पर 22500 करोड़, रिलायंस नेवल पर 9000 करोड़ कर्ज़ बकाया है.
अब कमाल की बात यह है कि रिलायंस नेवल ही रिलायंस डिफेंस है और जैसा कि आप जानते हैं कि रिलायंस डिफेंस ही रॉफेल की ऑफसेट पार्टनर है लेकिन बैंको पर लगातार दबाव डलवा कर रिलायन्स नेवल उर्फ रिलायंस डिफेंस को बचाया जा रहा है.
पब्लिक सेक्टर के बैंक विजया बैंक ने पिछले साल ही अनिल धीरू भाई अंबानी ग्रुप की कंपनी रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग के लोन अकाउंट को मार्च तिमाही से नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स यानी NPA घोषित कर दिया था. रिलायन्स नेवल को लोन देने वाले संस्थानों में ज्यादातर सरकारी बैंक हैं. पिछले साल ही यह खबर आई थी कि आईडीबीआई बैंक भी रिलायंस नेवल ऐंड इंजीनियरिंग (आरनेवल) के खिलाफ एनसीएलटी के अहमदाबाद पीठ में दिवालिया याचिका दायर कर रहा है.
वित्त वर्ष 2018 के अर्निंग स्टेटमेंट में कंपनी के ऑडिटर्स पाठक एचडी एंड एसोसिएट्स ने कंपनी के सुचारू रूप से चलने की क्षमता पर संदेह व्यक्त किया था.
लेकिन इन सारी प्रक्रियाओं में विलम्ब किया जाता रहा और सरकारी बैंकों को कोई एक्शन लेने से रोक लिया गया, दबाव का आलम यह है बैंको से जब आरटीआई के माध्यम से इन खातों के कर्ज की जानकारी माँगी गयी तो उन्होंने उन्होंने कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया.
अनिल अंबानी ने रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के अपने विद्युत कारोबार को 18,800 करोड़ रुपये में अडाणी ट्रांसमिशन को बेचने का सौदा जैसे तैसे पूरा कर रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर से कर्ज दो तिहाई कम कर दिया लेकिन इसके अलावा वह ओर किसी ऋणग्रस्त कम्पनी को बचाने में सफल नही हो पाये है.
रिलायंस कम्युनिकेशन पर पहले ही चाइना डेवलपमेंट बैंक ने दीवालिया घोषित किए जाने की याचिका दायर की थी और इससे पहले एरिक्सन इंडिया लिमिटेड, मणिपाल टेक लिमिटेड और टेक महिंद्रा लिमिटेड भी अनिल अंबानी की कंपनी आरकॉम के खिलाफ दिवालिया घोषित करने की याचिका दायर कर चुकी हैं.
लेकिन इसके बावजूद भी भारतीय बैंक रिलायन्स कम्युनिकेशन को बचने का लगातार मौका देते रहे लेकिन अब सारे रास्ते बंद हो गए हैं. दिवालिया प्रक्रिया के तहत यह एस्सार के बाद अब तक का सबसे बड़ा मामला है.
कर्ज के बोझ तले दबी कंपनी ने अपने बयान में कहा, "आरकॉम के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने आज (शुक्रवार) कंपनी की कर्ज निपटान योजना की समीक्षा की. बोर्ड ने पाया कि 18 महीने गुजर जाने के बाद भी संपत्तियों को बेचने की योजनाओं से कर्जदाताओं को अभी तक कुछ भी हासिल नहीं हो पाया है." आरकॉम के कर्जदाताओं में एसबीआई, चाइना डिवेलपमेंट बैंक, एचएसबीसी समेत कई बड़े बैंक शामिल हैं.
2016 में विदेशी ब्रोकरेज हाउस क्रेडिट सुइस ने सबसे ज्यादा कर्ज वाले कॉर्पोरेट हाउस की एक लिस्ट जारी की थी इसमे बताया गया कि अनिल अंबानी की अगुआई वाले समूह एडीएजी ग्रुप पर करीब 1 लाख करोड़ रुपए से भी अधिक का कर्ज है.
इस ग्रुप की कम्पनियों में मोटे तौर पर आरकॉम पर लगभग 48000 करोड़, आरइंफ़्रा पर 22500 करोड़, रिलायंस नेवल पर 9000 करोड़ कर्ज़ बकाया है.
अब कमाल की बात यह है कि रिलायंस नेवल ही रिलायंस डिफेंस है और जैसा कि आप जानते हैं कि रिलायंस डिफेंस ही रॉफेल की ऑफसेट पार्टनर है लेकिन बैंको पर लगातार दबाव डलवा कर रिलायन्स नेवल उर्फ रिलायंस डिफेंस को बचाया जा रहा है.
पब्लिक सेक्टर के बैंक विजया बैंक ने पिछले साल ही अनिल धीरू भाई अंबानी ग्रुप की कंपनी रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग के लोन अकाउंट को मार्च तिमाही से नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स यानी NPA घोषित कर दिया था. रिलायन्स नेवल को लोन देने वाले संस्थानों में ज्यादातर सरकारी बैंक हैं. पिछले साल ही यह खबर आई थी कि आईडीबीआई बैंक भी रिलायंस नेवल ऐंड इंजीनियरिंग (आरनेवल) के खिलाफ एनसीएलटी के अहमदाबाद पीठ में दिवालिया याचिका दायर कर रहा है.
वित्त वर्ष 2018 के अर्निंग स्टेटमेंट में कंपनी के ऑडिटर्स पाठक एचडी एंड एसोसिएट्स ने कंपनी के सुचारू रूप से चलने की क्षमता पर संदेह व्यक्त किया था.
लेकिन इन सारी प्रक्रियाओं में विलम्ब किया जाता रहा और सरकारी बैंकों को कोई एक्शन लेने से रोक लिया गया, दबाव का आलम यह है बैंको से जब आरटीआई के माध्यम से इन खातों के कर्ज की जानकारी माँगी गयी तो उन्होंने उन्होंने कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया.
अनिल अंबानी ने रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के अपने विद्युत कारोबार को 18,800 करोड़ रुपये में अडाणी ट्रांसमिशन को बेचने का सौदा जैसे तैसे पूरा कर रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर से कर्ज दो तिहाई कम कर दिया लेकिन इसके अलावा वह ओर किसी ऋणग्रस्त कम्पनी को बचाने में सफल नही हो पाये है.
रिलायंस कम्युनिकेशन पर पहले ही चाइना डेवलपमेंट बैंक ने दीवालिया घोषित किए जाने की याचिका दायर की थी और इससे पहले एरिक्सन इंडिया लिमिटेड, मणिपाल टेक लिमिटेड और टेक महिंद्रा लिमिटेड भी अनिल अंबानी की कंपनी आरकॉम के खिलाफ दिवालिया घोषित करने की याचिका दायर कर चुकी हैं.
लेकिन इसके बावजूद भी भारतीय बैंक रिलायन्स कम्युनिकेशन को बचने का लगातार मौका देते रहे लेकिन अब सारे रास्ते बंद हो गए हैं. दिवालिया प्रक्रिया के तहत यह एस्सार के बाद अब तक का सबसे बड़ा मामला है.