कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच शुरू हुए नए लॉकडाउन को लेकर उद्योगपति अनिल अंबानी के बड़े बेटे अनमोल अंबानी भड़क उठे हैं। अनमोल ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए, इसे (लॉकडाउन को) लोगों के जीवन को नियंत्रित करने की एक सोची समझी साज़िश करार दिया है। अनमोल के अनुसार, यह समाज और अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ने वाला निर्णय है। कहा कि नए प्रतिबंधों का आम लोगों के स्वास्थ्य से कुछ लेना नहीं है, बल्कि इसका मकसद लोगों के जीवन को नियंत्रित करना है। ये पाबंदियां समाज और अर्थव्यवस्था के आधारभूत ढांचे को ध्वस्त कर देंगी।
रिलायंस कैपिटल के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर 29 वर्षीय अनमोल ने ट्वीट के माध्यम से सीधा हमला बोलते हुए कहा कि लॉकडाउन जैसे हालात से छोटे कारोबारियों और दिहाड़ी मजदूरों की जिंदगी प्रभावित होगी। अनमोल ने कहा कि इन लॉकडाउंस का हेल्थ से कोई संबंध नहीं रहा है। इनके चलते हमारे समाज की रीढ़ कहे जाने वाले दिहाड़ी मजदूर, सेल्फ एंप्लॉयड, रेस्तरां, ढाबा और कपड़ों की दुकानें चलाने वाले लोग तबाह हुए हैं। इसके अलावा इनके चलते हेल्थ भी खराब हो रही है क्योंकि जिम बंद किए जा रहे हैं। स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स और प्ले ग्राउंड्स तक पर रोक लग रही है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्यायाम, धूप और ताजी हवा जरूरी होती है। यही नहीं, अनमोल अंबानी ने कहा कि यह उस नई पीढ़ी के लिए खतरनाक है, जो इन बंदिशों के बीच घरों में बंद है। ऐसी स्थिति में भविष्य में उन्हें यही हालात सामान्य लगने लगेंगे।
अनमोल अंबानी ने सवाल उठाते हुए कहा कि आज 'पेशेवर अभिनेता अपनी फिल्मों की शूटिंग कर सकते हैं। प्रोफेशनल क्रिकेटर, देर रात तक खेल सकते हैं। पेशेवर नेता भारी भीड़ के साथ रैलियां कर सकते हैं। कोई रोक नहीं हैं लेकिन आप कारोबार नहीं कर सकते हैं। आपका कारोबार या काम जरूरी नहीं है।' #scamdemic लिखते हुए अनमोल अंबानी ने कहा, 'आखिर जरूरी होने का अर्थ क्या है? हर किसी का काम उसके लिए जरूरी होता है।'
अनमोल यही नहीं रुके। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन मानव इतिहास में धन हस्तांतरण को जारी रखने और सक्षम बनाने में महत्वपूर्ण जरिया है। उन्होंने कहा, 'गलती यह है कि लोगों को लगता है कि यह केवल अक्षम शासन है। ऐसा नहीं है। बल्कि यह एक समन्वित, सोची-समझी नीतियों का सेट है, जिसे एक नई विश्व व्यवस्था लाने के लिए डिजाइन किया गया है।'
अनमोल अंबानी ने कहा, 'यह स्वास्थ्य के बारे में नहीं है। यह नियंत्रण के बारे में है और मैं समझता हूं कि हम सभी अनजाने में एक बहुत बड़ी और बहुत भयावह योजना में फंसते जा रहे हैं। जो आपके जीवन के हर पहलू को नियंत्रित करने के लिए है। यह चीन के तकनीकतंत्र, अधिनायकवादी व बाहर से नियंत्रित जैव निगरानी रखने वाली फासीवादी सरकारी तंत्र की तरह हमारे जीवन के हर पहलू पर शिकंजा कसने की योजना है। लेकिन वह भारत और यहां की जनता में विश्वास रखते हैं, वे इस वैश्विक विप्लव का मुकाबला करेंगे और देश का और अधिक उपनिवेशीकरण नहीं होने देंगे। इसके लिए जरूरी है कि हम सच्चाई जानें और प्रेम, शांति, एकता और सहानुभूति का पक्ष लें।
अब तक उद्योगपति राजीव बजाज ही कह रहे थे कि लॉकडाउन बिना सोचे समझे किया गया एक गलत फैसला था, जिसने देश की अर्थव्यवस्था को गर्त में पहुंचा दिया है। लेकिन अब यही बात अनिल अंबानी के बेटे अनमोल अंबानी कह रहे हैं। राजीव बजाज का कहना थोड़ा समझ आता है क्योंकि वे राहुल बजाज के बेटे हैं और जमनालाल बजाज के पोते हैं। उनका परिवार आजादी की लड़ाई में शामिल था और सच कहने की विरासत उनके डीएनए में है। लेकिन हैरानी की बात है कि जिस अनिल अंबानी की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सर्वाधिक बदनाम हुए, उनके ऊपर राफेल सौदे में अनिल अंबानी को ऑफसेट कांट्रैक्ट दिलाने का आरोप लगा, अनिल अंबानी की डूबती कंपनी को बचाने के लिए सवाल उठे, उनके बेटे ने राजीव बजाज से भी आगे बढ़ कर सरकार को कठघरे में खड़ा करने का काम किया है।
अनमोल का यह कहना इसलिए भी अहम है क्योंकि उन्होंने वह कहा, जो देश के बड़े विचारक, विद्वान, बौद्धिक और महान पत्रकार तक भी, कहने की हिम्मत नहीं कर रहे हैं। उन्होंने इसका भी लिहाज नहीं किया कि उनकी बातें उनके चाचा मुकेश अंबानी के खिलाफ जा सकती हैं या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुभ सकती हैं। उन्होंने ट्विट में लिखा, लॉकडाउन की कुंजी से मानव इतिहास का सबसे बड़ा वेल्थ ट्रांसफर हुआ, लोग इसे सिर्फ शासन का निकम्मापन मान रहे हैं पर असल में यह एक न्यू वर्ल्ड ऑर्डर बनाने के लिए बहुत कायदे से सोची समझी योजना है, यह सिर्फ संयोग नहीं है कि आम लोगों को जो नुकसान हुआ है उसका फायदा सबसे अमीर लोगों को हुआ है। उन्होंने किसी का नाम नहीं लिखा पर पिछले कुछ दिनों में दुनिया भर के आर्थिक सर्वेक्षणों में बताया गया है कि कोरोना के काल में कैसे मुकेश अंबानी और गौतम अडानी की संपत्ति में बेहिसाब इजाफा हुआ है।
उन्होंने न सिर्फ लॉकडाउन की आलोचना की, बल्कि कोरोना वायरस के संक्रमण के बहाने देश के लोगों के जीवन को कंट्रोल करने के प्रयासों की भी आलोचना की। तो भारत को चीन की तरह ‘टोटैलिटेरियन बायो सर्विलांस फासिस्ट स्टेट’ बनाने के प्रयास का भी अंदेशा जताया है।
यही नहीं मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अनमोल अंबानी ने किसान आंदोलन को भी एक तरह से न्यायसंगत ठहराते हुए सरकार और क्रोनी पूंजीपतियों की दुखती रग पर भी हाथ रख दिया। कहा, आज किसान और उसकी जमीन का कॉरपोरेटीकरण हो रहा है। उसे कोलोनाइज्ड किया जा रहा है। यह कितनी बड़ी बात है! किसान भी यही बात कह रहे हैं कि उनकी जमीन छीनकर बड़ी बड़ी कंपनियों को देने की साजिश चल रही है और उनको गुलाम बनाया जा रहा है। यही नहीं, उन्होंने कहा कि किसी न किसी बहाने से लोगों का बेहद निजी और गोपनीय डाटा इकट्ठा किया जा रहा है और इसे ‘न्यू एज एम्पायर’ को बेचा जा रहा है। यह सिर्फ भारत का खतरा नहीं है, बल्कि वैश्विक खतरा है। दरअसल इसे लेकर काफी पहले से सवाल भी उठ रहे हैं और डाटा को नए जमाने का तेल माना जा रहा है और इस पर कब्जे की होड़ चल रही है। ऐसे में अनमोल चेता रहे हैं तो उम्मीद है कि लोगों की आंखें खुलेंगी।
अनमोल ने लोगों का ध्यान भटकाने के लिए आए दिन होने वाले तमाशों का भी जिक्र किया। कहा आपको डराया जा रहा है, कमजोर व निष्क्रिय किया जा रहा है। आपका ध्यान भटकाया जा रहा है ताकि आप वह न देख सकें, जो असल में हो रहा है।
जानकार अनमोल के वक्तव्यों को मोदी सरकार की नीतियों पर ही हमले मान रहे हैं। दरअसल, केंद्र की मौजूदा सरकार पिछले सात साल से सुर्खियों के प्रबंधन के जरिए वास्तविकता से लोगों का ध्यान हटाती रही है। उसके अलावा तमाम किस्म के तमाशे रचे जा रहे हैं और अलग अलग नैरेटिव सेट किए जा रहे हैं ताकि असली मुद्दों से लोगों का ध्यान हटे। अब जहां एक ओर जीडीपी गिर रही है। नौकरियां जा रही हैं, काम-धंधे बंद हो रहे हैं, पढ़ाई का स्तर गिरता जा रहा है, स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार नहीं हो रहा है, मानवाधिकार से लेकर प्रेस की आजादी और लोकतंत्र के सूचकांक में भारत का स्थान लगातार गिरता जा रहा है। वहीं दूसरी ओर, लोगों को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के मुद्दों में उलझाया जा रहा है। धर्म और राष्ट्रवाद की अफीम सुंघाकर नीम बेहोशी की हालत में लाया जा रहा है ताकि वे हकीकत न देख सकें।
अनमोल ने कोरोना वायरस और इसे रोकने के लिए चल रहे टीकाकरण पर भी निशाना साधा। कहा- लोगों को मजबूर किया जा रहा है एक ऐसा इंजेक्शन लेने के लिए, जो पूरी तरह से टेस्टेड नहीं है, इसे आपको जीविकोपार्जन के लिए जरूरी बनाया जा रहा है, जो आपका सबसे बुनियादी अधिकार है और जिसे किसी हाल में छीना नहीं जा सकता है। उन्होंने लॉकडाउन पर तीखा हमला करते हुए कहा लॉकडाउन कभी भी स्वास्थ्य के लिए नहीं था, इसका स्वास्थ्य से कोई लेना देना नहीं था, इसने समाज और हमारी आर्थिकी की रीढ़ तोड़ दी। दैनिक मजदूरी करने वाले, स्वरोजगार वाले, एमएसएमई, रेस्तरां, ढाबा, फैशन सब खत्म हो गए। इतना ही नहीं, आम लोगों के स्वास्थ्य को पूरी तरह से खत्म कर दिया क्योंकि जिम से लेकर पार्क तक सब बंद हो गए खेल के मैदान, स्पोर्ट्स् कांप्लेक्स बंद हो गए, लोगों का धूप लेना बंद हो गया, बच्चों पर भयावह मनोवैज्ञानिक असर हुआ। सोचें, सरकार के धुर विरोधियों ने भी इस तरह से लॉकडाउन के नुकसान नहीं बताए थे।
अनमोल अंबानी ने अपनी ट्वीट्स में लॉकडाउन को असमानता बढ़ाने वाला बताया है। उन्होंने कहा कि यह संयोग नहीं है कि आम आदमी का नुकसान हो रहा है और अमीर लोगों को इससे लाभ मिल रहा है। अनमोल अंबानी ने कहा कि लॉकडाउन लगाना और लोगों से कारोबार को बंद करने और घरों में रहने की बात करना मानवता से अपराध जैसा है।
रिलायंस कैपिटल के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर 29 वर्षीय अनमोल ने ट्वीट के माध्यम से सीधा हमला बोलते हुए कहा कि लॉकडाउन जैसे हालात से छोटे कारोबारियों और दिहाड़ी मजदूरों की जिंदगी प्रभावित होगी। अनमोल ने कहा कि इन लॉकडाउंस का हेल्थ से कोई संबंध नहीं रहा है। इनके चलते हमारे समाज की रीढ़ कहे जाने वाले दिहाड़ी मजदूर, सेल्फ एंप्लॉयड, रेस्तरां, ढाबा और कपड़ों की दुकानें चलाने वाले लोग तबाह हुए हैं। इसके अलावा इनके चलते हेल्थ भी खराब हो रही है क्योंकि जिम बंद किए जा रहे हैं। स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स और प्ले ग्राउंड्स तक पर रोक लग रही है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्यायाम, धूप और ताजी हवा जरूरी होती है। यही नहीं, अनमोल अंबानी ने कहा कि यह उस नई पीढ़ी के लिए खतरनाक है, जो इन बंदिशों के बीच घरों में बंद है। ऐसी स्थिति में भविष्य में उन्हें यही हालात सामान्य लगने लगेंगे।
अनमोल अंबानी ने सवाल उठाते हुए कहा कि आज 'पेशेवर अभिनेता अपनी फिल्मों की शूटिंग कर सकते हैं। प्रोफेशनल क्रिकेटर, देर रात तक खेल सकते हैं। पेशेवर नेता भारी भीड़ के साथ रैलियां कर सकते हैं। कोई रोक नहीं हैं लेकिन आप कारोबार नहीं कर सकते हैं। आपका कारोबार या काम जरूरी नहीं है।' #scamdemic लिखते हुए अनमोल अंबानी ने कहा, 'आखिर जरूरी होने का अर्थ क्या है? हर किसी का काम उसके लिए जरूरी होता है।'
अनमोल यही नहीं रुके। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन मानव इतिहास में धन हस्तांतरण को जारी रखने और सक्षम बनाने में महत्वपूर्ण जरिया है। उन्होंने कहा, 'गलती यह है कि लोगों को लगता है कि यह केवल अक्षम शासन है। ऐसा नहीं है। बल्कि यह एक समन्वित, सोची-समझी नीतियों का सेट है, जिसे एक नई विश्व व्यवस्था लाने के लिए डिजाइन किया गया है।'
अनमोल अंबानी ने कहा, 'यह स्वास्थ्य के बारे में नहीं है। यह नियंत्रण के बारे में है और मैं समझता हूं कि हम सभी अनजाने में एक बहुत बड़ी और बहुत भयावह योजना में फंसते जा रहे हैं। जो आपके जीवन के हर पहलू को नियंत्रित करने के लिए है। यह चीन के तकनीकतंत्र, अधिनायकवादी व बाहर से नियंत्रित जैव निगरानी रखने वाली फासीवादी सरकारी तंत्र की तरह हमारे जीवन के हर पहलू पर शिकंजा कसने की योजना है। लेकिन वह भारत और यहां की जनता में विश्वास रखते हैं, वे इस वैश्विक विप्लव का मुकाबला करेंगे और देश का और अधिक उपनिवेशीकरण नहीं होने देंगे। इसके लिए जरूरी है कि हम सच्चाई जानें और प्रेम, शांति, एकता और सहानुभूति का पक्ष लें।
अब तक उद्योगपति राजीव बजाज ही कह रहे थे कि लॉकडाउन बिना सोचे समझे किया गया एक गलत फैसला था, जिसने देश की अर्थव्यवस्था को गर्त में पहुंचा दिया है। लेकिन अब यही बात अनिल अंबानी के बेटे अनमोल अंबानी कह रहे हैं। राजीव बजाज का कहना थोड़ा समझ आता है क्योंकि वे राहुल बजाज के बेटे हैं और जमनालाल बजाज के पोते हैं। उनका परिवार आजादी की लड़ाई में शामिल था और सच कहने की विरासत उनके डीएनए में है। लेकिन हैरानी की बात है कि जिस अनिल अंबानी की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सर्वाधिक बदनाम हुए, उनके ऊपर राफेल सौदे में अनिल अंबानी को ऑफसेट कांट्रैक्ट दिलाने का आरोप लगा, अनिल अंबानी की डूबती कंपनी को बचाने के लिए सवाल उठे, उनके बेटे ने राजीव बजाज से भी आगे बढ़ कर सरकार को कठघरे में खड़ा करने का काम किया है।
अनमोल का यह कहना इसलिए भी अहम है क्योंकि उन्होंने वह कहा, जो देश के बड़े विचारक, विद्वान, बौद्धिक और महान पत्रकार तक भी, कहने की हिम्मत नहीं कर रहे हैं। उन्होंने इसका भी लिहाज नहीं किया कि उनकी बातें उनके चाचा मुकेश अंबानी के खिलाफ जा सकती हैं या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुभ सकती हैं। उन्होंने ट्विट में लिखा, लॉकडाउन की कुंजी से मानव इतिहास का सबसे बड़ा वेल्थ ट्रांसफर हुआ, लोग इसे सिर्फ शासन का निकम्मापन मान रहे हैं पर असल में यह एक न्यू वर्ल्ड ऑर्डर बनाने के लिए बहुत कायदे से सोची समझी योजना है, यह सिर्फ संयोग नहीं है कि आम लोगों को जो नुकसान हुआ है उसका फायदा सबसे अमीर लोगों को हुआ है। उन्होंने किसी का नाम नहीं लिखा पर पिछले कुछ दिनों में दुनिया भर के आर्थिक सर्वेक्षणों में बताया गया है कि कोरोना के काल में कैसे मुकेश अंबानी और गौतम अडानी की संपत्ति में बेहिसाब इजाफा हुआ है।
उन्होंने न सिर्फ लॉकडाउन की आलोचना की, बल्कि कोरोना वायरस के संक्रमण के बहाने देश के लोगों के जीवन को कंट्रोल करने के प्रयासों की भी आलोचना की। तो भारत को चीन की तरह ‘टोटैलिटेरियन बायो सर्विलांस फासिस्ट स्टेट’ बनाने के प्रयास का भी अंदेशा जताया है।
यही नहीं मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अनमोल अंबानी ने किसान आंदोलन को भी एक तरह से न्यायसंगत ठहराते हुए सरकार और क्रोनी पूंजीपतियों की दुखती रग पर भी हाथ रख दिया। कहा, आज किसान और उसकी जमीन का कॉरपोरेटीकरण हो रहा है। उसे कोलोनाइज्ड किया जा रहा है। यह कितनी बड़ी बात है! किसान भी यही बात कह रहे हैं कि उनकी जमीन छीनकर बड़ी बड़ी कंपनियों को देने की साजिश चल रही है और उनको गुलाम बनाया जा रहा है। यही नहीं, उन्होंने कहा कि किसी न किसी बहाने से लोगों का बेहद निजी और गोपनीय डाटा इकट्ठा किया जा रहा है और इसे ‘न्यू एज एम्पायर’ को बेचा जा रहा है। यह सिर्फ भारत का खतरा नहीं है, बल्कि वैश्विक खतरा है। दरअसल इसे लेकर काफी पहले से सवाल भी उठ रहे हैं और डाटा को नए जमाने का तेल माना जा रहा है और इस पर कब्जे की होड़ चल रही है। ऐसे में अनमोल चेता रहे हैं तो उम्मीद है कि लोगों की आंखें खुलेंगी।
अनमोल ने लोगों का ध्यान भटकाने के लिए आए दिन होने वाले तमाशों का भी जिक्र किया। कहा आपको डराया जा रहा है, कमजोर व निष्क्रिय किया जा रहा है। आपका ध्यान भटकाया जा रहा है ताकि आप वह न देख सकें, जो असल में हो रहा है।
जानकार अनमोल के वक्तव्यों को मोदी सरकार की नीतियों पर ही हमले मान रहे हैं। दरअसल, केंद्र की मौजूदा सरकार पिछले सात साल से सुर्खियों के प्रबंधन के जरिए वास्तविकता से लोगों का ध्यान हटाती रही है। उसके अलावा तमाम किस्म के तमाशे रचे जा रहे हैं और अलग अलग नैरेटिव सेट किए जा रहे हैं ताकि असली मुद्दों से लोगों का ध्यान हटे। अब जहां एक ओर जीडीपी गिर रही है। नौकरियां जा रही हैं, काम-धंधे बंद हो रहे हैं, पढ़ाई का स्तर गिरता जा रहा है, स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार नहीं हो रहा है, मानवाधिकार से लेकर प्रेस की आजादी और लोकतंत्र के सूचकांक में भारत का स्थान लगातार गिरता जा रहा है। वहीं दूसरी ओर, लोगों को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के मुद्दों में उलझाया जा रहा है। धर्म और राष्ट्रवाद की अफीम सुंघाकर नीम बेहोशी की हालत में लाया जा रहा है ताकि वे हकीकत न देख सकें।
अनमोल ने कोरोना वायरस और इसे रोकने के लिए चल रहे टीकाकरण पर भी निशाना साधा। कहा- लोगों को मजबूर किया जा रहा है एक ऐसा इंजेक्शन लेने के लिए, जो पूरी तरह से टेस्टेड नहीं है, इसे आपको जीविकोपार्जन के लिए जरूरी बनाया जा रहा है, जो आपका सबसे बुनियादी अधिकार है और जिसे किसी हाल में छीना नहीं जा सकता है। उन्होंने लॉकडाउन पर तीखा हमला करते हुए कहा लॉकडाउन कभी भी स्वास्थ्य के लिए नहीं था, इसका स्वास्थ्य से कोई लेना देना नहीं था, इसने समाज और हमारी आर्थिकी की रीढ़ तोड़ दी। दैनिक मजदूरी करने वाले, स्वरोजगार वाले, एमएसएमई, रेस्तरां, ढाबा, फैशन सब खत्म हो गए। इतना ही नहीं, आम लोगों के स्वास्थ्य को पूरी तरह से खत्म कर दिया क्योंकि जिम से लेकर पार्क तक सब बंद हो गए खेल के मैदान, स्पोर्ट्स् कांप्लेक्स बंद हो गए, लोगों का धूप लेना बंद हो गया, बच्चों पर भयावह मनोवैज्ञानिक असर हुआ। सोचें, सरकार के धुर विरोधियों ने भी इस तरह से लॉकडाउन के नुकसान नहीं बताए थे।
अनमोल अंबानी ने अपनी ट्वीट्स में लॉकडाउन को असमानता बढ़ाने वाला बताया है। उन्होंने कहा कि यह संयोग नहीं है कि आम आदमी का नुकसान हो रहा है और अमीर लोगों को इससे लाभ मिल रहा है। अनमोल अंबानी ने कहा कि लॉकडाउन लगाना और लोगों से कारोबार को बंद करने और घरों में रहने की बात करना मानवता से अपराध जैसा है।